- क्लर्क अधिकारी एक दूसरे पर लगाते हैं फाइल दबाने का आरोप

केस नं। 1

बक्शीपुर एक्सईएन ऑफिस पर तैनात बाबू अमरनाथ चौबे और अनिल सिंह पर कई बार बिल सही करने के लिए कंज्यूमर्स को दौड़ाने का आरोप लग चुका है। कुछ दिन पहले काजी अनवार नामक व्यक्ति का जून माह का बिल गड़बड़ आया। इसकी सूचना उन्होंने एक्सईएन से मिलकर दी। इसके बाद एक्सईएन ने जेई के पास रीडिंग की जांच के लिए भेजा। रीडिंग जांच होने के बाद बिल सही करने के लिए फाइल अमरनाथ चौबे के पास गई। जुलाई और अगस्त बीत जाने के बाद जब सितंबर का बिल आया तो बिल सही नहीं था।

केस नं 2

अलहदादपुर के शक्ति श्रीवास्तव का दो माह का सीडीएफ बिल 87 हजार रुपए आया है। जुलाई माह में उन्होंने टाउनहाल स्थित बिजली विभाग ऑफिस में अप्लीकेशन दिया। क्लर्क ने इनका बिल सही भी कर दिया, लेकिन एक्सईएन के वेरिफाई न करने के कारण शक्ति श्रीवास्तव का बिल सही नहीं हो पा रहा है, जबकि पिछले तीन माह से लगातार उनके यहां गड़बड़ बिल आ रहा है। जब भी वह टाउनहाल जाते हैं तो वहां पर कहा जाता है कि एक्सईएन साहब जैसे ही हस्ताक्षर कर देंगे, सही बिल जनरेट हो जाएगा। एक्सईएन के सही बिल पर हस्ताक्षर न करने के कारण बिल सही नहीं हो पा रहे हैं। सितंबर माह में इसी मुद्दे को लेकर बिजली विभाग के कर्मचारियों ने एक्सईएन के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था।

GORAKHPUR:

इन दोनों केसेज की तरह ही, जबकि ऐसी सैकड़ों फाइल पर बाबू कुंडली लगाकर बैठे हुए हैं और पब्लिक ऑफिसों परेशान हो रही है। जब पब्लिक हल्ला करती है तब बाबू नियम-कानून बताने लगते हैं। आई नेक्स्ट ने जब इस मामले की तहकीकात की तो पता चला कि बिल की फाइल पर कमीशन तय होता है और फाइल दबा दी जाती है। कमीशन सेट हुआ तो फाइल दौड़ती है नहीं तो कंज्यूमर्स दौड़ता है और बिल बढ़ता जाता है।

यहां रहता है आपका बिल

बिल गलत होने पर कंज्यूमर्स बिल सही करने के लिए अप्लीकेशन देता है। इसके इसे वेरीफाई करने की जिम्मेदारी जेई की होती है। रीडिंग वेरीफाई होने के बाद बिल हेड क्लर्क के पास जाती है। उसके बाद हेड क्लर्क सहायक बाबुओं को बिल बनाने के लिए देता है। यहीं से बिल का खेल होता है। कंज्यूमर्स पहले जेई के पास रीडिंग वेरीफाई करने के लिए दौड़ते हैं। ऐसे में एक सप्ताह के काम में महीनों में लग जाते हैं।

मोहद्दीपुर में गोलमाल, बक्शीपुर में मुश्किल

शहर में तीन जगह बिल सही किए जाते हैं। इसमें पहला ऑफिस टाउनहाल, दूसरा बक्शीपुर और तीसरा मोहद्दीपुर में। इसमें मोहद्दीपुर में गोलमाल होता है तो बक्शीपुर में बिल सही कराने के लिए सबसे अधिक पब्लिक परेशान होती है। महानगर विद्युत वितरण निगम के डिवीजन थर्ड ऑफिस मोहद्दीपुर में पिछले एक साल में पांच से अधिक गोलमाल के सामने आए। इसमें दो मामले तो एमडी ऑफिस तक पहुंच गए थे। इसमें एक कंज्यूमर्स का छह लाख बकाया बिल को डेढ़ लाख रुपए जमा कराकर सही कर दिया गया था। इसी तरह का एक और मामला था, जिसमें राप्तीनगर बिलिंग सेंटर पर एक कर्मचारी ने 5 कंज्यूमर्स से कैश लिया और चेक जमा कर दिया। यह मामला तब खुला जब चेक बाउंस हो गया। इसी तरह का मामला बक्शीपुर में हर माह आता है। यहां एक तैनात पूर्व एसडीओ का कहना है कि बक्शीपुर में तीन क्लर्क हैं। वह पूरी तरह से अपनी मनमर्जी से काम करते हैं। जिस बिल मे इनका कमीशन तय हो जाता है या जो सीधे आती हैं, वह एक सप्ताह में सही हो जाती है, जबकि जो अफसरों के पास से आती हैं उनको महीनों दौड़ाते रहते हैं।