गोरखपुर (ब्यूरो)। बिजली निगम के अनुसार 22.80 करोड़ यूनिट बिजली जोन के छह वितरण मंडलों के 180 बिजलीघरों, 45 दफ्तरों व 12 कॉलोनियों में खर्च हुई। यह बिजली एक वित्तीय वर्ष यानी एक अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 के बीच जलाई गई। जोन के चीफ इंजीनियर ने बीते मार्च-22 में मंडलों व खंडों में खर्च हुई 114 करोड़ रुपए की बिजली का टीईओ (ट्रांसफर एंट्री ऑर्डर) का राजस्व वसूली में समायोजन पॉवर कॉरपोरेशन से मांगा था, लेकिन कॉरपोरेशन ने इस पर कैंची चलाकर महज 53 करोड़ का टीईओ समायोजन दिया।
खर्च मापने के लिए लगाए मीटर
बिजली निगम के सभी दफ्तरों व बिजलीघरों में बिजली का खर्च मापने के लिए मीटर लगाए गए हैं। रीडिंग लेने का जिम्मा परीक्षण खंड का है। विभागीय जानकार बताते है कि खंडों व मंडलों के जिम्मेदार टीईओ में बिजली खर्च दिखाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। यही वजह है कि कॉरपोरेशन ने इंजीनियरों के टीईओ के हिसाब-किताब पर कैंची चलाकर महज 53 करोड़ का समायोजन दिया। अब अभियंता शेष रकम को खंडीय स्तर पर लाइनलॉस में समायोजित करेंगे। इसकी भरपाई कंज्यूमर्स से अप्रत्यक्ष रूप में की जाएगी। अभियंताओं का कहना है कि पॉवर कॉरपोरेशन के मानक के मुताबिक ही बिजली खपत का हिसाब भेज गया था, लेकिन आला अफसरों ने उसे नहीं माना है।
जोन के वितरण मंडलों में बिजली खपत
मण्डल टीईओ राशि
देवरिया मंडल 13.35 करोड़
ग्रामीण मंडल प्रथम 16.14 करोड़
ग्रामीण मंडल द्वितीय 14.14 करोड़
नगरीय मंडल 44.55 करोड़
महराजगंज मंडल 11.74 करोड़
कुशीनगर मंडल 14.53 करोड़
इन मदों में खर्च हुई बिजली
मद बिजली खपत की राशि
45 कार्यालय 21.28 करोड़
180 बिजलीघर 70.60 करोड़
12 कॉलोनी व अन्य मदों में 22.51 करोड़
सिटी के 25 बिजलीघरों की रोशनी पर 19.83 करोड़ खर्च
नगरीय विद्युत वितरण मंडल के चारों खंडों में 25 बिजलीघर हैं। इन बिजलीघरों की रोशनी व पंखा पर 19.83 करोड़ की बिजली खपत अभियंताओं ने दिखाई है। निगम के लेखाकार कहते हैं कि खंडों के जिम्मेदार अभियंता सभी तरह के खेल टीईओ के नाम पर करते हैं, क्योंकि खंड को आवंटित बिजली का हिसाब उन्हें देना होता है। ऐसे में टीईओ के नाम पर समायोजन लेकर अपनी जिम्मेदारी से बच जाते हैं।
पॉवर कॉरपोरेशन ने गोरखपुर जोन को टीईओ समायोजन के मद में 53 करोड़ रुपए दिए हैं। हमारे कार्यकाल के पहले टीईओ का हिसाब किताब पॉवर कॉरपोरेशन को भेजा गया था। फाइल देखे बिना कुछ बता पाना मुश्किल है।
- ई। एके सिंह, चीफ इंजीनियर