सिर्फ जुर्माना वसूलना जानती है

एक तरफ रेलवे प्रशासन यात्रियों को बेहतर सुविधा देने का दावा करता है। उसके लिए कैटेगरी वाइज सुविधाएं बांट रखी हैं। जनरल यात्रियों के लिए जहां 90 सीट वाली अलग कोच लगाई गई है। वहीं रिजर्व यात्रियों के लिए स्लीपर, एसी थर्ड, सेकेंड और फस्र्ट क्लास की सुविधाएं दी गई हैं। लेकिन 150 किलोमीटर के भीतर सफर करने वाले एमएसटी होल्डर्स की मानें तो उनके लिए अलग से न तो कोई एक्स्ट्रा कोच लगाया जाता है। और ना ही स्लीपर कोच में बैठने की अनुमति दी जाती है और ना ही उनकी सुविधा के बारे में सोचा जाता है। रेलवे प्रशासन अपनी आय को बढ़ाने के लिए सिर्फ एमएसटी होल्डर्स से जुर्माना चार्ज करती है। उनकी सुविधाओं के बारे में क्यों नहीं सोचती। मुंबई या फिर अन्य जोन्स में तो एमएसटी होल्डर्स के लिए अलग से कोचेज लगाए गए हैं जिस पर यह लिखा होता है कि यह कोच सिर्फ एमएसटी होल्डर्स के लिए है।

रेलवे और एमएसटी होल्डर्स दोनों को होगा फायदा

एमएसटी होल्डर्स के अकार्डिंग अगर रेलवे प्रशासन को रेवन्यू ही बढ़ाना है तो वह एमएसटी होल्डर्स को स्लीपर कोच में जाने के लिए अलाउ कर दें और स्लीपर कोच के जो चार्जेज हों, वह चार्ज एमएसटी बनवाते समय उसमें चार्ज करें। इससे रेलवे की आय में भी बढ़ोत्तरी होगी और एमएसटी होल्डर्स को जुर्माना भी नहीं देना पड़ेगा। कई बार पकड़े गए लोगों में कॉलेज के प्रिंसिपल, बैंक मैनेजर, स्टूडेंट्स, वकील, पुलिसकर्मी आदि पकड़े जाते हैं, पकड़े जाने के बाद उन्हें इतनी बदनामी झेलनी पड़ती है।

एमएसटी होल्डर्स से चूंकि जनरल किराया लिया जाता है। इसलिए उन्हें जनरल कोच में बैठने की अनुमति है। अगर वह स्लीपर या फिर एसी क्लास में बैठते हैं तो उनसे जुर्माना चार्ज किया जाएगा।

आलोक कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे