गोरखपुर (ब्यूरो) मेडिकल कॉलेज रोड स्थित मधुसूदन दास डिग्री कॉलेज में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम मंगलवार दोपहर 1 बजे पहुंची। जहां 18 वर्ष से अधिक के युवाओं के बीच उत्साह देखने को मिला। कॉलेज प्रिंसिपल डॉ। प्रदीप श्रीवास्तव व शिक्षिका डॉ। क्षमता अग्रवाल ने राजनीति-वाइस ऑफ यूथ कार्यक्रम में सहयोग करते हुए यूपी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपने मन की बात की, न सिर्फ मन की बात की, बल्कि कहा कि अब क्षेत्रवाद और जातिवाद के नाम पर वोट नहीं देंगे, बल्कि साफ-सुथरी छवि वाले नेता को ही सदन में पहुंचाएंगे। ताकि एक अच्छी सरकार बन सके। वहीं, बीकॉम व बीसीए के युवाओं ने जोश भरे लहजे में कहा, युवाओं के लिए सबसे जरूरी रोजगार है, इसके साथ ही अच्छी शिक्षा, जो हर हर युवा को चाहिए। सिर्फ अच्छी शिक्षा देकर डिग्री ही नहीं बल्कि हर एक विभाग में वैकेंसी के अवसर पैदा करें।

उच्च शिक्षा ग्रहण कर घर-घर पढ़ा रहे ट्यूशन

कॉलेज में युवा यह कहते हुए नजर आए कि अच्छी शिक्षा के लिए हम मंहगी फीस चुका रहे हैैं, ताकि हमें अच्छी शिक्षा मिल सके। शिक्षा तो हम ले रहे हैं, लेकिन पढ़ाई पूरी करने के बाद क्या गारंटी है कि हमें अपने स्पेशलाइजेशन के मुताबिक रोजगार मिल ही जाए। आज की डेट में आलम यह है कि उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद रोजी रोटी के लिए होम ट्यूटर का काम करना पड़ रहा है। घर-घर ट्यूशन के लिए सड़क के स्ट्रीट पोल पर विज्ञापन करने पड़ते हैैं। उच्च शिक्षा के लिए नई शिक्षा नीति आई है, लेकिन उस शिक्षा नीति में यह कहीं भी नहीं जिक्र किया गया है कि जो हमारे शिक्षक पढ़ा रहे हैैं, उनका फ्यूचर कहां है। आज आलम यह है कि गेस्ट लेक्चरर के तौर पर शिक्षकों के अप्वांइटमेंट किए जा रहे हैैं। यानी की जितने की क्लास उतने दिन की सैलरी। अब इस तरह की नौकरी के लिए क्या हम पढ़ाई कर रहे हैैं।

राजनीतिक दलों को लाना होगा सुधार

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की परिचर्चा में युवाओं ने कहा कि आज शिक्षा के स्तर में काफी बदलाव आया है, सिर्फ यूनिवर्सिटी में फीस के नाम पर मनमानी वसूली की जा रही है। जबकि हम जब घर से आते हैैं तो बाइक या फिर स्कूटी में पेट्रोल डलवाते हैैं, आज पेट्रोल की कीमत इतनी ज्यादा हो गई है कि पेरेंट्स भी पैसे नहीं देते हैैं। ऐसे में हम दोस्तों के साथ कंट्रिब्यूशन करके कॉलेज पढऩे आ रहे हैैं। अगर यही हाल रहा तो फिर हम अपना नेता क्यों चुने, क्यों न हम नोटा का इस्तेमाल करें। इसलिए नेताओं को और राजनीतिक पार्टियों को अपने में सुधार लाना होगा। अन्यथा पढ़ाई के बजाय दुकान खोलना ही बेहतर होगा।

अच्छी शिक्षा होगी, तभी विकास संभव है। इसलिए युवाओं की अच्छी शिक्षा के बाद रोजगार के बारे में भी सरकार को सोचना होगा। हमें डिग्री मिलती है और हम ले भी रहे हैैं, दिन रात पढ़ाई करने के बाद डिग्री लेकर इधर-उधर भटकते हैं और कभी-कभी ठगी के शिकार भी होते हैैं, लेकिन कोई भी जिम्मेदार राजनीतिक दल हम जैसे युवाओं के बारे में नहीं सोचता है।

दिव्यांश

रोजगार को लेकर सरकार को ठोस कदम उठाने पड़ेंगे। आज की डेट में हम उच्च शिक्षा ले रहे हैं, लेकिन अपने भविष्य को लेकर बेहद चिंतित हैैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव में ऐसे नेता चुने जाएंगे, जो हम युवाओं के भविष्य के बारे में सोच रखता हो। शिक्षा के स्तर में सुधार की जरूरत है। सिर्फ फीस वसूलने से काम नहीं चलेगा।

अंश पटेल

सड़कों पर आज भी छुट्टïा पशुओं की भरमार है, राहगीरों को काफी दिक्कतें उठानी पड़ती है। जबकि इसके लिए दावे किए गए थे कि सड़कों पर छुट्टïा पशु नजर नहीं आएंगे। लेकिन आज तक इस पर ठोस कदम नहीं उठाए गए। जबकि यह बहुत जरूरी है। बेरोजगारी और महिलाओं के सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाया जाना चाहिए।

प्राची श्रीवास्तव

हमारे लिए महंगाई अहम मुद्दा है। इसके लिए सरकार की तरफ से बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, लेकिन युवाओं को इसका लाभ नहीं मिला। आज भी पढ़े लिखे युवा डिग्री लेकर दर-दर भटक रहे हैैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है आवाज उठाने पर उन्हें डंडे मिलते हैैं, ऐसे हम उम्मीद करते हैैं कि आने वाली सरकार चाहे किसी भी दल की हो वह युवाओं के रोजगार के प्रति गंभीर हो और उसे रोजी रोटी के लिए रोजगार दें।

हर्षिता श्रीवास्तव

सिर्फ बड़ी बड़ी बातें होती हैं। धर्म, जाति के नाम पर राजनीति करने से कोई फायदा हम युवाओं को नहीं होने वाला है। यूपी विधानसभा चुनाव में अहम मुुद्दा रोजगार होना चाहिए ताकि हम युवा रोजगार प्राप्त होने के बाद खुद का घर बना सकें। फ्री का राशन और फ्री के घर में हम रहकर क्या कर लेंगे, लेकिन रोजगार होगा तो हम घर और राशन दोनों ही खरीद लेंगे।

हर्षवर्धन त्रिपाठी

सरकार चाहे कोई भी आए, लेकिन उसे महंगाई पर नियंत्रण करना होगा। विकास के साथ-साथ युवाओं के रोजगार पर ध्यान देना होगा। हमारे लिए यही मुख्य मुद्दा होगा, क्योंकि रोजगार होगा तो विकास होगा। विकास होगा तो हर परिवार खुशहाल होगा। लेकिन हम मुफ्त में किसी भी योजना का लाभ लेंगे तो फिर हमें इसका कोई दूरगामी परिणाम नहीं मिलेगा। इसलिए हमें रोजगार से जोड़ते हुए भविष्य संवारने का काम करने वाली सरकार चाहिए।

मोनिका राय

किसी भी दल का नेता हो, वह बेदाग हो, उसे ही विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए। जो दागी होगा, उससे पार्टी की छवि खराब तो होगी ही, वह अपनेे विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य में कोई विशेष रुचि भी नहीं दिखाएगा। ऐसे में पढ़े लिखे और साफ-सुथरी छवि वाले कैंडिडेट को टिकट देना चाहिए। ताकि वह हर किसी की समस्या का समाधान कर सकें।

नव्या

किसी भी दल का कैंडिडेट हो, कम से उसे इतना तो अधिकार दिया जाना चाहिए कि वह अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता की समस्या को सदन तक पहुंचा सके। ऐसे नेता को हम क्यों चुनें, जो नेता हमारी समस्या को ही न सुने, चाहे सुरक्षा का मामला हो या फिर विकास की बात हो, वह हमारे साथ है तो हम उसके साथ हैं। इसलिए हमारे लिए यह अहम मुद्दा हो कि ऐसे विधायक को चुनें, जो क्षेत्र की जनता की बात रख सके।

पल्लवी

वैसे तो परिचर्चा के दौरान युवाओं के तमाम मुद्दे थे। लेकिन कुछ मामले ऐसे भी थे जिन पर उन्होंने अधिक जोर दिया। इन मुद्दों पर तर्क-वितर्क भी हुआ। क्या रहे परिचर्चा के अहम पांच मुद्दे-

पहïला मुद्दा

टिकट देने से पहले देखनी होगी छवि

ज्यादातर युवाओं का यही कहना था कि विधानसभा चुनाव में खड़े होने वाले कैंडिडेट्स की छवि अच्छी होनी चाहिए। लेकिन पार्टियों को टिकट देने से पहले उसके छवि को भी देखना चाहिए। जो पार्टियों के लिए बड़ी कमजोरी बनती जा रही है। जो प्रत्याशी अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता की समस्या के समाधान के लिए दमदार होगा और उसकी छवि अच्छी होगी। उसे ही युवा चुनेंगे। बदले में कुछ युवाओं का कहना था कि अक्सर कई प्रत्याशियों पर मुकदमे भी होते हैं, लेकिन उसके बाद भी पार्टी उन्हें टिकट दे देती हैैं। कम से कम ऐसे प्रत्याशियों से बचना चाहिए।

दूसरा मुद्दा

महंगाई पर लगानी होगी लगाम

महंगाई दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है, आलम यह है कि एक मिडिल क्लास फैमिली बेहद परेशान है। जो भी नई सरकार आए। कम से कम अपने राज्य के टैक्सेज में कमी लाते हुए महंगाई पर नियंत्रण ला सकती है। पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी कर जनता को महंगाई के बोझ से बचा सकती हैैं। महंगाई इस चुनाव का अहम मुद्दा हैैं। आज युवाओं को अपने पढ़ाई लिखाई या फिर किसी आवेदन के फार्म भरने में सबसे ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैैं, लेकिन इस पर सरकार ध्यान नहीं देती है। दिन प्रतिदिन चार्जेज बढ़ाती जा रही हैै। सरकार को महंगाई पर रोक लगानी होगी।

तीसरा मुद्दा

उच्च शिक्षा के स्तर में सुधार की जरूरत

उच्च शिक्षा के स्तर में बेहद सुधार की जरूरत है। उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले स्टूडेंट्स के फ्यूचर को देखते हुए रोजगार के बारे में सोचना होगा। जिस प्रकार से यूनिवर्सिटी फीस बढ़ा रही है, कम से कम जो फीस हम बच्चों से ली जा रही है तो फिर सुविधाएं भी दी जाएं। जितने भी आवेदन करवाए जाते हैैं, उन आवेदन पर विचार करते हुए भर्ती को पूरा कराना चाहिए।

चौथा मुद्दा

महिïला को बनाना होगा स्वावलंबी

कालेज गोइंग गल्र्स का कहना था कि महिलाएं आज की डेट में काफी आगे निकल चुकी हैैं। सहायता सेवा समूह की महिलाएं स्वावलंबी बनती जा रही हैैं, लेकिन आज भी ऐसी महिलाएं हैैं, जो अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें मदद नहीं मिल पाती हैैं। जिसमें सुधार की जरूरत है। वहीं महिलाओं की सुरक्षा को लेकर आज भी महिला पुलिस कर्मियों में उतनी जागरुकता नहीं है जो उनकी मौके पर मदद कर सकें। महिला पुलिस कर्मियों के पुलिसिंग में सुधार की जरूरत है। ताकि वह महिलाओं के साथ होने वाले छेड़छाड़ की घटनाओं में शामिल शोहदों और बिगड़ैलों को सबक सिखा सकें।

पांचवा मुद्दा

धार्मिक की बजाय विकास को बनाना चाहिए मुद्दा

आगामी विधानसभा चुनाव में यूपी में जिस प्रकार से राजनीति पार्टियां जाति और धर्म के नाम पर राजनीति कर रही हैं, इससे बचना होगा। जाति और धार्मिक से बचते हुए रोजगार, शिक्षा और विकास मुद्दा एक बड़ी वजह बन सकती है। जो भी कैंडिडेट धर्म और जाति के नाम पर राजनीति कर रहे हैं, उनसे परहेज करना होगा। युवाओं को इन सभी चीजों से मतलब नहीं है, बल्कि उन्हें रोजगार चाहिए।