- वीकली लॉकडाउन का रोजेदारों ने किया पालन

- कोरोना महामारी से छुटकारे की मांगी दुआ

- रोजा बख्शिश व मगफिरत की सनद है : मौलाना मो। अहमद

GORAKHPUR: मुकद्दस रमजान सब्र, भलाई, रहमत और बरकत का महीना है। रमजान में मुसलमान गरीब, असहाय और जरूरतमंदों का ख्याल रख कर उनकी मदद कर रहे हैं। रमजान में अल्लाह अपने बंदों के गुनाहों को माफ कर उन्हें दोजख से आजादी का परवाना अता करता है। इस मौके पर उलेमाओं के बयान का सिलसिला भी जारी है। इस कड़ी में गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर के इमाम मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी ने बताया कि पैगंबर-ए-आजम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि अगर अल्लाह के बंदे रमजान की फजीलत जान लें तो मेरी उम्मत तमाम साल रोजे से रहने की ख्वाहिशमंद होती। रोजा राहे हिदायत की दलील है। रोजा हुसूले रूहानियत का जरिया है। रोजा अहले तकवा की अलामत है। रोजा खैर व बरकत का जरिया है। रोजा अलामते मुसलमानी है। रोजा बख्शिश व मगफिरत की सनद है। रोजा जन्नत में दाखिल होने का एक दरवाजा है। रोजा मगफिरत-ए- हक का ख़जाना है। रोजा आखिरत में कामयाबी की जमानत है।

रमजान में अल्लाह से करीब होने का मौका मिलता है : मौलाना सद्दाम

बरकातिया मस्जिद मिर्जापुर के इमाम मौलाना सद्दाम हुसैन ने बताया कि मुकद्दस रमजान में एक रकात नमाज पढ़ने का सवाब 70 गुना हो जाता है। इसी पाक महीने में कुरआन-ए-पाक नाजिल हुआ। रमजान का मुबारक महीना और फिजा में घुली रूहानियत से दुनिया सराबोर हो रही है, ऐसा लगता है कि चारों तरफ नूर की बारिश हो रही हो। यह महीना बंदे को तमाम बुराइयों से दूर रखकर अल्लाह के करीब होने का मौका देता है। इस माह में रोजा रखकर रोजेदार न केवल खाने-पीने कि चीजों से परहेज करते हैं बल्कि तमाम बुराइयों से भी परहेज कर अल्लाह की इबादत करते हैं।

घर में ही रहे रोजेदार

रमजान की सुबह-शाम खैर व बरकत में गुजर रही है। रोजेदारों ने साप्ताहिक लॉकडाउन का कड़ाई से पालन किया। घरों में रहकर इबादत की। मस्जिदों में भी सीमित तादाद में लोगों ने नमाज अदा की। कोरोना महामारी से छुटकारे की दुआ मांगी गई। मगफिरत का अशरा शुरू हो चुका है। लोग अपने गुनाहों की माफी मांग रहे हैं। रोजेदारों के हौसलों के आगे धूप की शिद्दत कमजोर पड़ गयी है। तरावीह की नमाज का सिलसिला जारी है। कुरआन-ए-पाक की तिलावत हो रही है। दरूदो सलाम का नजराना पेश किया जा रहा है। बच्चे व महिलाएं भी इबादत में मशगूल हैं।