गोरखपुर (ब्यूरो)। मार्च माह में लखनऊ स्थित राजभवन में आयोजित प्रादेशिक शाक-भाजी प्रतियोगिता में गोरखपुर जेल में उगाए गए आलू को प्रथम और प्याज को द्वितीय पुरस्कार भी मिल चुका है। पिछले साल भी गोरखपुर जेल के आलू ने फस्र्ट प्राइज पर कब्जा जमा लिया था.शनिवार को 20 कुंतल आलू की सप्लाई संतकबीर नगर जेल को दी गई है।

दूसरी जेलों में होती सब्जियों की सप्लाई

जिला जेल में 13 एकड़ के फार्म हाउस में मौसमी सब्जियां उगाई जाती हैं। यहां उगने वाली सब्जियों की हर साल दूसरी जेलों में सप्लाई दी जाती है। पिछले साल जेल के फार्म हाउस में आठ एकड़ में आलू की बुवाई की गई थी। पिछले पिछले सीजन में 549 क्विंटल आलू की पैदावार हो चुकी है। जेल में आलू पैदावार इतनी होती है कि पूरे साल इसे खरीदना नहीं पड़ता है।

इन सब्जियों की बुआई

बैंगन, गोभी, टमाटर, ब्रोकली, मूली, पालक, नेनुआ, भिंडी, सरसों का साग, कद्दू, अरुई, चौराई के साथ ही आलू और प्याज की बुआई

सब्जी के मामले में सेल्फ डिपेंडेंट जेल

जेल अधिकारियों का कहना है कि बंदियों की मेहनत से गोरखपुर जेल पूरी तरह से सब्जी उगाने में आत्मनिर्भर हो चुकी है। हर साल जेल में उगने वाली सब्जी दूसरी जेलों में जाती है। यहां से देवरिया, महराजगंज, संतकबीर नगर, आजमगढ़ सहित कई जेलों में सब्जी भेजी जाती है। सब्जी उगाने में करीब डेढ़ सौ बंदी काम करते हैं।

ऑर्गेनिक खेती के लिए नजीर बनी जेल

जेल के कृषि फार्म में आर्गेनिक खेती नजीर बन गई है। जेल में दिसंबर-जनवरी माह में करीब सौ बंदियों को बिना कीटनाशक दवाओं के सब्जी उगाने की ट्रेनिंग दी गई है। इसलिए बिना कीटनाशकों के सब्जी भी उगने लगी है। जेल में जैविक खाद बनाकर ऑर्गेनिक खेती पौष्टिक साग, सब्जियों का उत्पादन होता है। जेल की भूमि में फार्म बनाकर कूड़े,कचरे,गोबर, गोमूत्र,नींबू सहित अन्य चीजों की मदद से कंपोस्ट तैयार करके फसलों को उगाया जा रहा है।

जेल में बाहर से सब्जी खरीदकर नहीं आती है। जेल में उगी हुई सब्जी बंदी खाते हैं। यहां उत्पादित होने वाली सब्जियों की सप्लाई दूसरी जिलों में दी जाती है।

प्रेम सागर शुक्ला, जेलर