- एमओयू के तहत नगर निगम, जीडीए व आवास विकास परिषद को देना है एसटीपी मेंटेनेंस चार्ज

- जून बाद खर्च उठाने से जल निगम ने खड़े किए हाथ, सीवेज बंद हुआ तो कचरे से भर जाएगा ताल

GORAKHPUR: सिटी का मेन टूरिस्ट अट्रैक्शन रामगढ़ताल दो महीने में कूड़े का ढेर बन जाएगा। नगर निगम, जीडीए व आवास विकास परिषद की लापरवाही का हाल तो यही कह रहा है। रामगढ़ताल परियोजना के तहत लगाया गया सीवेज पंपिंग स्टेशन व सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट मेंटेनेंस के लिए जरूरी पैसों के अभाव में बंद हो सकते हैं। दिसंबर 2017 में ही जल निगम ने एमओयू से जुड़े सभी विभागों को लिखित सूचना देकर बताया था कि अगर एसटीपी सिस्टम मेंटेनेंस के लिए पैसे नहीं मिले तो इसे बंद करना पड़ सकता है। लेकिन पैसों का अभी तक कोई इंतजाम नहीं हो सका है। इस सूरत में जल निगम के पास जितना बजट है उसमें एसटीपी सिस्टम को बमुश्किल जून तक ही चलाया जा सकता है। दो माह बाद अगर सिस्टम बंद हुआ तो इसमें सीधे कचरा गिरने लगेगा जिससे ताल की खूबसूरती बढ़ाने की सारी कवायदों पर बट्टा लग जाएगा।

मेंटेनेंस के लिए हुआ था एमओयू

राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना में रामगढ़ताल के शामिल होने के बाद इसकी सफाई के लिए केंद्र सरकार ने बजट स्वीकृत किया था। लेकिन मेंटेनेंस चार्ज देने से मना कर दिया था। मेंटेनेंस के लिए नगर निगम, जीडीए व आवास विकास परिषद के बीच 2010 एमओयू हुआ था। जिसके तहत जीडीए को 2.504, नगर निगम को 2.484 और आवास विकास परिषद को 1.614 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष देने थे। एमओयू के अनुसार तीनों विभागों से प्राप्त 6.6 करोड़ रुपए से ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट सिस्टम के मेंटेनेंस चार्ज का भुगतान किया जाना था।

एक पैसा तक नहीं मिला

दो सीवेज पंपिंग स्टेशन व दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट सहित सीवर सप्लाई के मेंटेनेंस पर जल निगम को हर महीने 50 से 60 लाख रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। एमओयू के तहत निर्माण कार्य पूरा होने के बाद ही जल निगम को मेंटेनेंस चार्ज की डिमांड करनी थी। फरवरी 2015 में ही काम पूरा करने के बाद विभाग ने डिमांड करनी शुरू कर दी थी। लेकिन तब से आज तक तीनों विभागों ने एक पैसा तक नहीं दिया। जल निगम खुद के खर्च पर एसटीपी सिस्टम का मेंटेनेंस कर रहा है। दिसंबर 2017 में जल निगम ने तीनों विभागों को पत्र लिखकर सूचित कर दिया था कि पैसों के अभाव में एसटीपी को जनवरी के बाद से नहीं चलाया जा सकेगा। तब पैसे देने के लिए तीनों विभागों ने अपनी सहमति भी जाहिर की थी। लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ। इसके बाद अब फिर जल निगम ने पत्र लिखकर साफ कर दिया है अब जून के बाद विभाग एसटीपी का मेंटेनेंस वहन नहीं कर सकता।

45 एमएलडी पानी करता है साफ

देवरिया बाई पास रोड पर 30 एमएलडी क्षमता व झारखंडी में 15 एमएलडी के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं। जबकि पैडलेगंज में 30 एमएलडी व मोहद्दीपुर में 15 एमएलडी क्षमता का पंपिंग स्टेशन स्थापित है। पंपिंग स्टेशन पर नालों के पानी से पॉलीथीन सहित मुख्य कचरा निकाल लिया जाता है। फिर अंडरग्राउंड सीवर के जरिए मोहद्दीपुर से झारखंडी व पैडलेगंज पंपिंग स्टेशन से काशीराम एसटीपी में गंदे पानी को भेज दिया जाता है। जहां ट्रीटमेंट कर पानी को साफ कर रामगढ़ताल में छोड़ दिया जाता है।

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तो धरी रह जाएंगी सभी परियोजनाएं

रामगढ़ताल परियोजना के तहत ताल को वॉटर स्पो‌र्ट्स के लिहाज से विकसित किया जा रहा है। ऐसे में अगर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट किसी कारण से बंद हो जाता है तो रामगढ़ताल फिर से नालों के गंदे पानी से भर जाएगा और वॉटर स्पो‌र्ट्स, नौका विहार, ताल को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने की सभी योजनाएं धरी की धरी रह जाएंगी।

एसटीपी मेंटनेंस पर होने वाला प्रति माह खर्च

डीजल 15 से 20 लाख

बिजली 20 से 25 लाख

लेबर 8 से 10 लाख

रोजाना निकलने वाला कचरा

पैडलेगंज स्टेशन से 2-3 ट्रॉली

मोहद्दीपुर स्टेशन से 2 ट्रॉली

एक ट्रॉली में 2 से 3 कुंतल

प्रतिदिन प्लांट में 800 कुंतल कचरा गिरता है

वर्जन

2015 से ही मेंटेनेंस का काम जल निगम की ओर से किया जा रहा है। लेकिन एमओयू के मुताबिक तीनों विभागों से पैसा नहीं मिल पा रहा है। जिससे मेंटेनेंस में समस्या हो रही है, दो तीन माह से अधिक विभाग से नहीं चला पाएगा।

- ई। रतन सेन सिंह, प्रोजेक्ट मैनेजर, रामगढ़ताल विकास परियोजना