गोरखपुर (ब्यूरो)। मेंटल हेल्थ के प्रति लोगों को अवेयर करने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को दुनिया भर में वल्र्ड मेंटल हेल्थ डे मनाया जाता है। मंगलवार को गोरखपुर यूनिवर्सिटी के संवाद भवन में वल्र्ड मेंटल हेल्थ डे के मौके पर एक कम्युनिटी आउटरीच प्रोग्राम आयोजित हुआ। इसमें शॉर्ट फिल्म, नुक्कड़ नाटक और ओपन माइक के माध्यम से स्टूडेंट्स को मेंटल हेल्थ के प्रति अवेयर किया।

रोल प्ले में डेमो काउंसिलिंग

कार्यक्रम में साइकोलॉजी डिपार्टमेंट और यूथ पॉवर एसोसिएशन की ओर से एक नुक्कड़ नाटक आयोजित हुआ। इसमें मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं के प्रति स्टूडेंट्स को अवेयर किया। साथ ही डेमो काउंसिलिंग भी की गई। यह रोल प्ले वाईपीए के अध्यक्ष शिव प्रसाद शुक्ला और सार्थक शुक्ला के निर्देशन में हुआ। एचओडी प्रो। अनुभूति दुबे ने कहा कि हम सभी अभी हाल ही में कोविड-19 महामारी से उबरे हैं, जिसके बाद बहुत ज्यादा स्ट्रेस और डिप्रेशन से घिरे हुए हैं। सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को वैश्विक प्राथमिकता देना आवश्यक है।

चिंता और चिता में केवल बिंदु का है फर्क

कार्यक्रम समन्यवक डॉ। विस्मिता पालिवाल ने कहा कि चिंता और चिता इन शब्दों में केवल एक बिंदु का फर्क है। लेकिन चिता निर्जीव शरीर को जलाती है और चिंता जीवित को ही जला डालती है। डॉ। गरिमा सिंह ने कहा कि 'मन के हारे हार है मन के जीते जीतÓ आज के इस आधुनिक दौर में यह कहावत सौ फीसदी सच साबित हो रहा है, क्योंकि बदलते जमाने के तौर-तरीकों ने इसकी महत्ता को बढ़ा दिया है।

स्टूडेंट्स ने शेयर किए एक्सपीरिएंस

ओपन माइक कार्यक्रम में स्टूडेंट्स ने मेंटल हेल्थ को लेकर अपने एक्सपीरिएंस शेयर किए। उन्होंंने बताया कि पहले वो अगर किसी से अपना प्रॉब्लम शेयर करते थे तो लोग उनका मजाक उड़ाते थे। कोई ध्यान नहीं देता था। लेकिन इस कार्यक्रम में शामिल होकर उनका आत्मविश्वास बढ़ा है। अगर किसी तरह की कोई समस्या आती है तो उसको काउंसलर से जरूर शेयर करेंगे।

मेंटल हेल्थ के प्रति बढ़ी जागरुकता

स्वस्ति साइकोलॉजिकल काउंसिलिंग सेंटर के काउंसलर शुभांकर राय और वत्सला पाठक ने इस काउंसिलिंग सेंटर के बारे में स्टूडेंट्स को बताया। उन्होंने कहा कि पहले स्टूडेंट्स कुछ बताने में डरते थे लेकिन अब वो खुल कर अपना बात रख रहे हैं जिससे काफी हद तक यह समस्या कंट्रोल हो रही है।