खुद फेल, दूसरों का संवारेंगे फ्यूचर

गुरु। ऐसा शख्स जो भगवान से भी ऊपर है। जो अपने नॉलेज से दूसरे का फ्यूचर संवारता है। एक कच्चे मटके को पक्का बनाता है। जिसकी बताई हुई बातों को उसके स्टूडेंट्स पूरी जिंदगी याद रखते हैं और अपनी जिंदगी में उसकी हकीकत को उतारते है। मगर ये शिक्षा देने वाले गुरु जी ही अगर खुद एग्जाम में पास न हुए हो तो। सुनकर थोड़ा अजीब लगा होगा। मगर फ्यूचर में एजुकेशन सिस्टम कुछ ऐसा ही होने वाला है। जब स्कूल्स में ऐसे टीचर होंगे, जो शायद खुद ही एग्जाम में पास नहीं हुए होंगे। टीचर बनने से पहले बीएड करना जरूरी है। मगर इस साल बीएड में जितने एडमिशन हुए है, उसमें लगभग 50 परसेंट वे लोग है, जिनके इंट्रेंस एग्जाम में जीरो नंबर भी नहीं थे। मतलब एग्जाम में बैठे और बीएड में एडमिशन के साथ गुरु जी बन गए। इस साल इंट्रेंस एग्जाम में माइनस 116 नंबर लाने वाले कैंडिडेट का भी बीएड में एडमिशन हो गया और वह डिग्री के लिए आगे की पढ़ाई कर रहा है।

खाली रह गई है 33 हजार से अधिक सीट्स

गोरखपुर यूनिवर्सिटी ने बीएड इंट्रेंस एग्जाम ऑर्गनाइज किया था। 1105 कॉलेज में 1,21,619 सीट्स के लिए लगभग 3 लाख 78 हजार कैंडिडेट्स ने इंट्रेंस एग्जाम दिया। लगातार तीन काउंसिलिंग के बाद भी बीएड में लगभग 48 हजार से अधिक सीटें खाली रह गई। सीट्स को भरने के लिए कॉर्डिनेटर ने दोबारा काउंसिलिंग कराई। इसके बाद भी सीट नहीं भर पाई और अभी तक 33045 सीटें खाली पड़ी है। इस साल बीएड में 89839 कैंडिडेट्स ने एडमिशन कराया है।

बीएड में काफी सीट्स खाली है। इसके लिए इंट्रेंस एग्जाम में पार्टिसिपेट करने वाले कैंडिडेट्स को दोबारा काउंसिलिंग कराने के लिए बुलाया गया। फिर भी 33 हजार से अधिक सीट खाली बची है। जबकि इस साल नंबर के आधार पर एडमिशन नहीं हुआ है। इस बार कई एडमिशन ऐसे हुए हैैं, जिसमें कैंडिडेट्स के इंट्रेंस एग्जाम में निगेटिव माक्र्स थे।

प्रो। सुरेंद्र दुबे, स्टेट कॉर्डिनेटर

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