गोरखपुर (ब्यूरो).उन्हें अखबार के माध्यम से पता चला कि हंगामा और नारेबाजी के साथ गलत शब्दों का प्रयोग करने वाले निगम के कर्मचारी भी हैं। इसके बाद उन्होंने इस मामले की निगरानी का जिम्मा सीई और निदेशक कार्मिक एवं प्रशासन को दिया था। सीई ने मामले में विभागीय जांच के लिए दो अधीक्षण अभियंता की टीम गठित की थी। सूत्रों ने बताया कि दोनों ने लगभग 75 पेज की जांच रिपोर्ट मुख्य अभियंता को सौंपी है। इसमें घटना के दिन अधीक्षण अभियंता कार्यालय में मौजूद अन्य अभियंताओं, कर्मचारियों के बयान भी जोड़े गए हैं। इधर, जांच रिपोर्ट के बाद चेयरमैन की दखल से कैंट थाने में सभी के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया जा चुका है।

क्या था मामला

एक सितंबर को अधीक्षण अभियंता ने मजदूर पंचायत संगठन के चार पदाधिकारियों वार्त के लिए कार्यालय में बुलाया था। आरोप है कि बैठक में सेवानिवृत्त बिजली कर्मचारी इस्माईल खान, परीक्षण खंड के अरुण गुप्ता, नगरीय वितरण मंडल चतुर्थ दयानंद, तकनीकी कर्मचारी अशोक कुशवाहा और संगठन के क्षेत्रीय सचिव संदीप कुमार श्रीवास्तव (जो किसी पद पर नहीं हैं) ने अपनी मांगों को जबरदस्ती मनवाने के लिए संगठन के पदाधिकारियों ने दबाव बनाना शुरू किया। विरोध करने और संगठन के पदाधिकारियों की मांगे नहीं मानने पर उन्होंने उनके (एसई) संग अमर्यादित व्यवहार शुरू कर दिया। नौबत हाथापाई तक की आ गई थी, लेकिन अभियंताओं और अन्य कर्मचारियों की वजह से मजदूर पंचायत वाले कर्मचारी नेता एसई पर हावी नहीं हो सके थे।