- लाइब्रेरी अध्यक्षों ने राजकीय लाइब्रेरी से संपर्क कर बताया लाइब्रेरी का हाल

- केवल नाम की रह गई है लाइब्रेरी, किताबों सहित अन्य सुविधाओं का अकाल

एक
सिद्धार्थ पुस्तकालय व वाचनालय सहजनवा के सीहापार गांव में स्थित है। इसमें तीन कमरों में 298 किताबें रखी हुई हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के जरिए जब संचालक ब्रिजेश को पता चला कि प्रशासन उनकी लाइब्रेरी को ढूंढ रहा है तो खुद राजकीय लाइब्रेरी पहुंच गए। उन्होंने बताया कि लाइब्रेरी खुलती तो है लेकिन अनियमित तौर पर। ब्रिजेश का भी कहना था कि समाज सेवा के लिए लाइब्रेरी खोली गई थी। महिला कल्याण प्रशिक्षण संस्थान के तहत उसका रजिस्ट्रेशन कराया गया था। पाठकों की संख्या कम होने और सरकारी सहयोग के अभाव के कारण उसके प्रति रूचि कम हो गई।

दो
यज्ञानन्द सार्वजनिक पुस्तकालय सहजनवा के टिकरिया गांव में स्थित है। इस लाइब्रेरी के दो कमरों में 436 किताबें रखी हुई हैं पर इनकी दुर्दशा हो गई है। जाहिर है इतनी कम किताबों में कोई लाइब्रेरी नहीं चल सकती है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट में जब लाइब्रेरी के संचालक ओम प्रकाश श्रीवास्तव ने लापता लाइब्रेरियों की खबर पढ़ी तो खुद ही राजकीय लाइब्रेरी में पहुंच कर वास्तविक स्थिति के बारे में बता दिया। लाइब्रेरी बंद होने के बारे में उन्होंने बताया कि पिता को किताबें पढ़ने का बहुत शौक था। इसीलिए लाइब्रेरी का नामकरण पिता के नाम किया था। उसी समय इसमें काफी खर्चा किया था। चित्रगुप्त सेवा संस्थान संस्था के नाम पर लाइब्रेरी का आवंटन किया गया था। लेकिन जब हमें शहर आना पड़ा तो लाइब्रेरी की देख-रेख के लिए कोई नहीं बचा।

तीन
गोला स्थित प्रेरणा पुस्तकालय एवं वाचनालय के प्रबंधक अरविंद ने बताया कि हमने लाइब्रेरी को शुरू तो काफी उत्साह के साथ किया था। लेकिन पाठकों की संख्या के अभाव में धीरे-धीरे लाइब्रेरी का खर्चा भारी लगने लगा। किसी तरह की आय नहीं हो रही थी। लेकिन खर्चा लगातार हो रहा था।

दो का नहीं चला पता
लापता लाइब्रेरियों में तीन का पता चलने के बाद भी दो पता नहीं चल सका है। पंडित दीन दयाल उपाध्याय सार्वजनिक पुस्तकालय का कोई पता ही नहीं दर्ज है। इसके अलावा वाणी पुस्तकालय बेतियाहाता का भी कोई पता अभी तक नहीं चल पाया है।

रजिस्ट्रेशन रद्द करने की संस्तुति
तीनों लाइब्रेरी संचालकों को बता दिया गया है कि यदि इस वर्ष भी उनका संचालन नहीं किया गया तो रजिस्ट्रेशन रद्द करने की संस्तुति कर दी जाएगी।
- सुनील कुमार राय, अध्यक्ष, राजकीय पुस्तकालय