गोरखपुर (ब्यूरो)। यह दवा सिर्फ दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती व गंभीर तौर पर बीमार लोगों को नहीं खानी है। मधुमेह, ब्लड प्रेशर, थायराइड, अर्थराइटिस जैसी बीमारियों के मरीज दवा ले सकेंगे।

कभी भी दिख सकते हैं लक्ष्ण

जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि शरीर में मौजूद फाइलेरिया के जीवाणु दस से पंद्रह साल बाद और कभी-कभी बीस साल बाद लक्षण प्रदर्शित करते हैं। इस बीमारी के लक्षणों में हाथ, पैर, स्तन में सूजन, हाइड्रोसिल, पेशाब में जलन प्रमुख तौर पर हैं। हाइड्रोसिल की तो राजकीय अस्पतालों में नि:शुल्क सर्जरी हो जाती है, लेकिन हाथीपांव का फाइलेरिया मरीज ठीक नहीं हो पाता है। उसका जीवन बोझ बन जाता है। ऐसे मरीजों को चार-चार महीने के अंतराल पर 12 दिन तक नि:शुल्क दवा दी जाती है। फाइलेरिया की अगर समय से पहचान हो जाए तो यह बीमारी ठीक भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया का वाहक क्यूलेक्स मच्छर गंदे पानी में पनपता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फाइलेरिया का संक्रमण फैलाता है।

टीम का किया गया गठन

उन्होंने बताया कि अभियान वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल अधिकारी डॉ। एके चौधरी की निगरानी में चलेगा। इस दौरान दवा खिलाने के लिए बनाई गई एक टीम को 25 घर जाकर प्रतिदिन दवा खिलानी है। बुधवार, शनिवार और रविवार को यह अभियान नहीं चलेगा। एक टीम में दो सदस्य होंगे और दोनों को प्रोत्साहन राशि के तौर पर 125 रुपए भी दिए जाएंगे। अभियान के बाद एक मॉप अप राउंड चलेगा, जिसमें छूटे हुए लोगों को दवा खिलाई जाएगी। दवा न लेकर रखना है और न ही अपने मन से खाना है। इसका सेवन स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही करना है।

घर-घर दवा खिलाने के अभियान के दौरान हाथीपांव और हाइड्रोसील के मरीज भी खोजे जाएंगे। एप के जरिए प्रतिदिन के अभियान की रिपोर्टिंग होगी। प्रत्येक पांच से छह टीम पर एक सुपरवाइजर लगाए जाएंगे।

- डॉ। आशुतोष कुमार दुबे, सीएमओ