गोरखपुर (ब्यूरो).कुलाधिपति को लेटर लिखकर एक्स वीसी प्रो। अशोक कुमार ने यूजीसी के मानकों को नजर अंदाज करने की शिकायत की है। उन्होंने कहा कि कुलपति के लिए कम से कम 10 वर्ष का प्रोफेसर पद का अनुभव होना चाहिए। सर्च कमेटी में पांच सदस्यों का नाम होना चाहिए। जिसमें एक सदस्य कुलाधिपति का, एक सदस्य यूजीसी चेयरमैन का, एक सदस्य एग्जीक्यूटिव काउंसिल, सिंडिकेट व बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट ऑफ द यूनिवर्सिटी का होना चाहिए। ऐसे में कई मानक निर्धारित हैैं। वहीं, प्रो। अशोक कुमार डीडीयूजीयू गोरखपुर व सीएसजेएमयू कानपुर के अलावा चंद्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुल्लाजी वैदिक यूनिवर्सिटी चित्तौड़, निर्वाण यूनिवर्सिटी जयपुर के कुलपति रह चुके हैैं।

मानकों पर होनी चाहिए नियुक्ति

एक्स वीसी प्रो। अशोक कुमार ने बताया, सुप्रीम कोर्ट आदेश जारी कर यूजीसी के मानकों पर ही नियुक्ति की बात कह चुका है। पिछले माह 20 सिंतबर 2022 को लखनऊ विश्वविद्यालय की तरफ से कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। जिसमें उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 (क्र.10सन 1973) के अंतर्गत स्थापित है। के कुलपति की निुयक्ति इस अधिनियम की धारा 12 के अधीन गठित समिति द्वारा अनुसंशित पैनल में से कुलाधिपति द्वारा होती है।

5 नवंबर से आमरण अनशन करेंगे प्रो। कमलेश

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी के वीसी को पद से हटाने और उनके कार्यकाल में आय-व्यय की जांच की मांग को लेकर आंदोलनरत ङ्क्षहदी विभाग के आचार्य प्रो। कमलेश गुप्ता पांच नवंबर से आमरण अनशन शुरू करेंगे। प्रो। गुप्त अभी निलंबित चल रहे हैं और वे लगातार प्रशासनिक भवन पर उपवास कर रहे हैं।