14 साल के लाल का कमाल

एसडीएस इंटर कालेज सौरहा, गांगी बाजार में पढऩे वाले वेद प्रकाश चौधरी के पिता बाबूराम पेशे से किसान हैं। उनके तीन बेटों आदित्य, सत्यप्रकाश में तीसरे नंबर का वेद प्रकाश साइंस में रुचि रखता है। पढ़ाई के साथ- साथ वह नए नए एक्पेरिमेंट भी करता है। उसने एक ऐसा इंस्ट्रूमेंट बनाने की सोची जिससे हमलावरों को ढेर किया जा सके। इसलिए उसने साउंड बम ईजाद किया, जो शब्दभेदी बाण की तरह काम करता है।

इंस्ट्रूमेंट का वैज्ञानिक सिद्धांत

वेद प्रकाश ने बताया कि उसने ध्वनि उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलने फिर विद्युत उर्जा को उष्मीय उर्जा में बदलने के सिद्धांत को अपनाया। इसमें एक सेंसर है जो गोली चलने या फिर बम फूटने की आवाज को पहचान कर हमला करेगा। इंस्ट्रूमेंट को जिस भी मशीन से जोड़ा जाएगा, वह सेंसर के इशारे पर आवाज को पहचानकर उसी दिशा में  गन या फिर राकेट लांचर को चला देगा। इसे डिस्ट्रिक्ट और प्रदेश लेवल पर सराहना मिल चुकी है।

बारूद की नमी ने रोक लिया फस्र्ट प्राइज

वेद प्रकाश ने बताया कि उसने जब प्रोजेक्ट बनाया तो यह 220 वोल्ट से चलता था। तब यह सवाल पैदा हुआ कि खराब मौसम और दुर्गम जगहों पर इतनी उर्जा की बैट्री कहां से लाएंगे। इस दौरान उसने सुधार करके तीन वोल्ट की बैट्री से चलने के लिए इसको तैयार किया। इसको सोलर सेल से जोड़कर भी चलाया जा सकता है। दिल्ली में 16 दिसंबर से लेकर 18 दिसंबर तक चले साइंस फेयर में नेशनल साइंस सेंटर दिल्ली के डायरेक्टर डी रमा शर्मा ने वेद प्रकाश को जहां थर्ड प्राइज दिया। वहीं एस्कार्ट टीचर एसपी सिंह को भी सर्टिफिकेट दिया गया।

हमको जब जानकारी हुई तो हमने स्टूडेंट को प्रोत्साहित किया। उसने प्रोजेक्ट बनाया तो पूरा भरोसा था कि कामयाबी मिलेगी।

एसपी सिंह, स्कोर्ट टीचर

मेरे रुचि ने मुझे यहां तक पहुंचाया है। यदि स्टूडेंटस को प्रोत्साहन और सहयोग मिले तो वह कोई भी काम कर सकते हैं।

वेद प्रकाश चौधरी, स्टूडेंट

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