गोरखपुर (ब्यूरो).बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मेडिसीन विभाग के प्रोफेसर डॉ। राजकिशोर सिंह ने बताया, शुगर कोशिकाओं की कार्यक्षमता को खराब कर देती है। जीभ की स्वाद संवेदी कोशिकाएं तंत्रिका तंतु के जरिए ब्रेन से जुड़ी होती हैं। अगर कोई भी चीज खाते हैं तो जीभ की संवेदी कोशिकाएं उस स्वाद को नशों या तंत्रिका तंतुओं के जरिए मस्तिष्क तक भेजती हैं। इस तरह से हमें स्वाद की अनुभूति होती है। अनियंत्रित शुगर इन स्वाद संवेदी कोशिकाओं, तंत्रिका तंतुओं व ब्रेन या मस्तिष्क की कार्यक्षमता पर बुरा प्रभाव डालता है, जिससे की स्वाद संवेदना कम हो जाती है। शुगर पेशेंट्स को रक्त शर्करा नियंत्रित करने वाली मुंह से दी जाने वाली मेडिसिन के प्रयोग से भी उक्त कोशिकाओं पर खराब असर पड़ता है। उदाहरण के तौर पर रक्त शर्करा नियंत्रित करने की मेडिसिन मेटफार्मिन का अधिक मात्रा व लंबे समय तक सेवन से बी-12 की कमी हो जाती है, जो स्वाद संवेदी कोशिकाओं, तंत्रिका तंतुओं व मस्तिष्क की कार्यक्षमता पर अत्यधिक बुरा प्रभाव डालती है। लंबे समय का मधुमेह, पेट, लीवर, आंत, लार ग्रंथियों, दांतों के स्वास्थ्य व कार्यक्षमता पर भी खराब प्रभाव डालता है। इसके कारण भी स्वाद संवेदना में अंतर आता है।

200 पेशेंट्स पर हुई रिसर्च

यह सब एक प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल के 2022 के एक शोधपत्र में प्रकाशित हुआ है। पैरागुसिया, पेरिओडेंटल डिजिज व डायबिटिक टंग नामक डिजीज शुगर पेशेंट्स में बहुतायत में होती हैं। पेरिओडेंटल डिजीज में तो हार्ट अटैक या हार्ट की गंभीर बीमारियों के होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसकी गंभीरता व प्रासंगिकता को देखते हुए बीआरडी मेडिकल कॉलेज भी इस विषय पर शोध अध्ययन करने की तैयारी कर रहा है। इसी क्रम में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर के मेडिसिन विभाग के सीनियर फिजीशियन डॉ। विशाल गुप्ता की ताजा रिसर्च में इन तथ्यों की पुष्टि हुई है। यहां के ओपीडी में आए 200 पेशेंट्स पर यह रिसर्च हुआ है।

घर में झगड़ा तक कर लेते पेशेंट

कानपुर मेडिकल कॉलेज में की गई रिसर्च में सामने आया कि पेशेंट स्वाद में दिक्कत बता रहे थे। हालत यह रही है कि खाने में नमक पता न चलने पर पेशेंट घर में झगड़ा कर लेते। साथ ही पेशेंट का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। रिसर्च में फास्टिंग और पीपी दोनों में शुगर ज्यादा बढ़ा मिला।

ऐसे करें बचाव

1. ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित रखें, ताकि क्षति और अधिक न हो व शुगर की जांचें अच्छी क्वालिटी के ग्लुकोमीटर से करें। ग्लुकोमीटर की रिपोर्ट से शुगर का नार्मल लेवल प्राप्त होने पर ही जीवन अच्छा होगा। लैब की रिपोर्ट वेन्स नीले वाले ब्लड पर आधारित होती है व ग्लुकोमीटर की रिपोर्ट कैपिलरी लाल ब्लड पर आधारित होती है। ऐसे में दोनों को कम्पेयर न करें।

2. अपने फिजिशियन से संपर्क कर डायबिटीज के जीभ की स्वाद संवेदी कोशिकाओं व तंत्रिका तंतुओं पर प्रभाव का आकलन कराएं व फिजिशियन की सलाह पर यदि आवश्यक हो तो मुख व दंत रोग विभाग के डॉक्टर्स की राय भी लें।

3. जिन पेशेंट्स का स्वाद नहीं गया है। वे सतर्क हो जाएं, जिससे समस्या से बचे रहें।

4. ब्लड शुगर स्तर की फिजिशियन की सलाह अनुसार हफ्ते या महीने में एक दिन नियमित जांच करें, जिससे स्थिति पता रहे।

5. अपने डॉक्टर से लक्षणों के बदलाव को शेयर करें।

6. फिजिशियन की सलाह अनुसार जीवन शैली व भोजन में सुधार करें।