गोरखपुर (सुनील त्रिगुणायत)।बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 1044 डायबिटिक पेशेंट्स पर की गई स्टडी में सामने आया है कि वेजिटेरियन फूड खाने वाले डायबिटिक पेशेंट्स में विटामिन बी-12 का खतरा भी बढ़ रहा है। इनमें नॉन वेजिटेरियन के मुकाबले वेजिटेरियन फूड खाने वाले लोगों में बी-12 की कमी पाई गई है। इससे न सिर्फ उनके नर्व और ब्लड सेल डैमेज होने का खतरा बढ़ा है, बल्कि डीएनए और दूसरे सेल्स फॉर्मेशन में भी मुश्किल होने लगी हैं। साथ ही साथ कब्ज, डायरिया, चिड़चिड़ापन, मेमोरी लॉस और डिप्रेशन की शिकायत होने लगी है।

24 परसेंट नॉन वेजिटेरियन में बी-12 की कमी

मेडिकल कॉलेज मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ। राजकिशोर के नेतृत्व में एमडी मेडिसिन डॉ। संगम सिंह ने इस टॉपिक पर स्टडी की। उन्होंने 1044 डायबिटीज मरीजों को चुना, जिन्हें पहले से डायबिटीज थी। इनमें 384 वेजिटेरियन और 650 नॉन वेजिटेरियन को शामिल किया गया था। इसमें से 44 परसेंट लोगों में विटामिन बी-12 की कमी पाई गई। रिसर्च के दौरान सबसे ज्यादा 78 परसेंट वेजिटेरियन लोगों में इसकी कमी मिली। वहीं, 24 परसेंट नॉन वेजिटेरियन लोगों में इसकी कमी पाई गई। सांख्यिकी मूल्य निकालने पर यह 11 आया है। इसका मतलब नॉन वेजिटेरियन लोगों की अपेक्षा वेजिटेरियन लोगों में विटामिन बी-12 की कमी होने की आशंका 11 गुना अधिक है।

नसों की क्रियाशीलता के लिए जरूरी विटामिन

एमडी मेडिसिन डॉ। संगम सिंह ने बताया कि विटामिन बी-12 नसों की क्रियाशीलता के लिए बहुत जरूरी विटामिन है। डायबिटीज की कमी से न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम आने लगती है। डायबिटीज मरीजों में इसकी कमी पाई गई। उनका कहना है कि जिन लोगों को डायबिटीज की दवा अभी श्ुारू हो रही है। डॉक्टर्स को चाहिए कि उन लोगों की पहले विटामिन बी-12 जांच करा लें। यदि कम है तो उसकी भी दवा साथ चलाएं, इससे मरीज सुरक्षित रहेगा।

कोरोना के कारण बढ़ रहे डायबिटिक केस

प्रोफेसर डॉ। राजकिशोर ने बताया कि डायबिटीज के बढ़ते मामलों की एक वजह कोरोना वायरस भी है। कोविड से संक्रमित हुए लोगों को स्टेरॉयड दिए गए थे, इनकी वजह से शरीर में ब्लड शुगर का लेवल काफी बढ़ा और डायबिटीज की परेशानी हो गई। डायबिटीज की वजह से इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो रहा है।

संक्रमित होने के बाद बढ़ा लेवल

पहले जिन लोगों को डायबिटीज का कोई लक्षण तक नहीं था। कोविड से संक्रमित होने के बाद अचानक से उनका शुगर लेवल काफी बढ़ गया है। स्टेरॉयड और कोविड की वजह से कमजोर हुई, इम्युनिटी के कारण ऐसा हुआ है। पिछले दो सालों में डायबिटीज के नए मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जो भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है।

डायबिटीज के टाइप -

टाइप 1 - डीएम पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने के लिए अग्न्याशय की विफलता का परिणाम है। इस रूप को पहले 'इंसुलिन-आश्रित मधुमेह मेलाईटसÓ (आईडीडीएम) या 'किशोर मधुमेहÓ के रूप में जाना जाता था। इसका कारण अक्सर ऑटो इम्युनिटी होता है।

टाइप 2 - डीएम इंसुलिन प्रतिरोध या रेजिस्टेंस से शुरू होता है, एक हालत जिसमें कोशिका इंसुलिन को ठीक से जवाब देने में विफल होती है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, इंसुलिन की कमी भी बढ़ती चली जाती है। इस तरह के पहले 'गैर इंसुलिन-आश्रित मधुमेह (एनआईडीडीएम) या वयस्क मधुमेह के रूप में जाना जाता था। इसका सबसे आम कारण शरीर का अत्यधिक वजन होना और पर्याप्त व्यायाम न करना है।

गर्भावधि मधुमेह इसका तीसरा मुख्य रूप है और तब होता है जब मधुमेह के पिछले इतिहास के बिना गर्भवती महिलाओं को हाई ब्लड शूगर के लेवल का विकास होता है। सेकेंडरी डायबिटीज चौथा प्रकार है। इस प्रकार की डायबिटीज कारण का इलाज करने मात्र से ही सही हो सकती है।

डायबिटीज के लक्षण

- बहुत ज्यादा और बार बार प्यास लगना

- बार-बार पेशाब आना

- लगातार भूख लगना

- दृष्टि धुंधली होना

- प्यास में वृद्धि

- अत्यधिक भूख

- अनायास वजन कम होना

- चिड़चिड़ापन और अन्य मनोदशा कमजोरी और थकान को बदलते हैं

- अकारण थकावट महसूस होना

- अकारण वजन कम होना

- घाव ठीक न होना या देर से घाव ठीक होना

- बार बार पेशाब या रक्त में संक्रमण होना

- खुजली या त्वचा रोग

- सिरदर्द

- धुंधला दिखना

डायबिटीज की कमी से न्योलॉजिस्ट प्रॉब्लम आने लगती है। डायबिटीज मरीजों में इसकी कमी पाई गई, जिन लोगों को डायबिटीज की दवा अभी श्ुारू हो रही है। डॉक्टर्स को चाहिए कि उन लोगों की पहले विटामिन बी-12 जांच करा लें। यदि कम है तो उसकी भी दवा साथ चलाएं। इससे मरीज सुरक्षित रहेगा।

डॉ। संगम सिंह, एमडी

पिछले दो सालों में डायबिटीज के नए मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जो भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है। ऐसे में डायबिटीज से बचाव करना बहुत जरूरी है। इसकी वजह से शरीर में कई और खतरनाक बीमारियां पनप रही हैं।

- डॉ। राजकिशोर सिंह, प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, बाआरडी मेडिकल कॉलेज