टॉयलेट के पानी से बनता है खाना

थर्सडे इवनिंग 5.55 बजे थे, वीआईपी ट्रेन बरौनी-नई दिल्ली वैशाली सुपर फास्ट प्लेटफॉर्म नंबर दो पर आकर रूकी। कुछ ही देर बाद एक वेटर ट्रेन के टॉयलेट में बैठकर बाल्टी में पानी भरने लगा। जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने इस करतूत को कैमरे में कैद करना शुरू किया तो वेटर रिपोर्टर से उलझ गया। सवाल पूछे जाने पर उसने कड़े अंदाज में जवाब दिया कि चावल, दाल पकाने के लिए पानी ले जा रहा हूं।

सेहत से खिलवाड़ कर रहा है रेलवे

जब इस संदर्भ में वैशाली एक्सप्रेस के मैनेजर से बात करने की कोशिश की गई तो उसने आनाकानी शुरू कर दी। उसके बाद पेंट्रीकार में तैनात दूसरे कर्मचारियों से बात करने की कोशिश की गई तो उसने बात करने से मना कर दिया, लेकिन कैमरे में कैद पतीले में भरा चावल देखकर यही लग रहा था कि शायद यह  चावल भी टॉयलेट के पानी से बना हो। हैरानी की बात तो यह है कि  रेलवे प्रशासन पैसेंजर्स की सुविधा के बड़े-बड़े दावे करता है वहीं उसकी नाक के नीचे कैटरिंग डिपार्टमेंट यात्रियों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा है।  

कैटरिंग डिपार्टमेंट नहीं लेता सुध

ट्रेन में बिकने वाले खान-पान को लेकर वैसे तो मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी कैटरिंग डिपार्टमेंट की होती है, लेकिन पेंट्रीकार मैनेजर और वेटर के दबंगई के आगे कैटरिंग डिपार्टमेंट भी नतमस्तक है। हालांकि कैटरिंग डिपार्टमेंट की यह जिम्मेदारी है कि वह खानपान को लेकर प्रॉपर चेकिंग करें और यात्रियों से फीडबैक ले, लेकिन वह ऐसा नहीं करती है।

कंप्लेंट से भी नहीं है कोई फायदा

यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे प्रशासन की तरफ से खानपान को लेकर कंप्लेंट नंबर जारी किए गए हैं, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि शिकायत के बाद भी कोई फायदा नहीं होता है। फिर भी खानपान की क्वालिटी और शुद्धता को लेकर सवाल उठते रहे हैं। जब इस संदर्भ में रेलवे प्रशासन से बात की गई तो उनका एक ही जवाब था कि खानपान से संबंधित शिकायत यात्री 9795845955 पर कर सकते हैं या फिर टोल फ्री नंबर 1800111321 पर भी कर सकते हैं, लेकिन संबंधित वेटर या फिर पेंट्रीकार मैनेजर पर इसका कोई इफेक्ट नहीं पड़ता है।

हो सकती है गंभीर बीमारी

टॉयलेट के पानी से पकने वाले भोजन के संदर्भ में जब डॉ। संदीप श्रीवास्तव से बात गई तो उन्होंने बताया कि चूंकि पानी में ऑल रेडी टीडीएस, ऑर्सेनिक, क्रोमियम व सिलिकॉन आदि मैटेरियल्स होते हैं। ऐसे में इंड्रयूज प्रॉब्लम हो सकते हैं। टॉयलेट के पानी के जरिए जीआरडिया, सालमोनेला, प्लास्ट्रिडियम, अमीबा आदि बैक्टिरिया व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकता है, जिससे पेट में ऐठन, दर्द, उल्टी, खूनी पेचिश, लूज मोशन आदि बीमारी हो सकती है। अगर ज्यादा दिन तक यह बीमारी बनी रही तो ज्वाइंडिश, कोलाइटिस, एनिमिया व हेपेटाइटिस आदि बीमारियां हो सकती हैं।

एनई रेलवे और अन्य जोन से आने वाले वाली ट्रेनों के पेंट्रीकार की प्रॉपर मॉनिटरिंग कराई जाती है। इसके अलावा इन सभी गाडिय़ों को यह भी निर्देश है कि वह स्टेशन से ही पानी लेकर चले, लेकिन किसी गाड़ी में अनियमितता पाई गई है तो संबंधित रेलवे को अवगत कराते हुए कार्रवाई कराई जाएगी।

आलोक कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे

मैं गोरखपुर से दिल्ली जा रहा था, खाने के लिए मैंने वेटर से एक प्लेट वेज थाली का ऑर्डर किया था, लेकिन खाने का स्वाद बिलकुल डिफरेंट था। हालांकि मैने इसके लिए वेटर से कंप्लेंट भी किया, लेकिन उल्टे वह उलझ गया।  

विपुल

आज तक मैंने जितनी बार पेंट्रीकार से खाना लिया है, कभी भी अच्छी क्वालिटी का नहीं मिला। अब तो मैं जब भी सफर पर जाता हूं घर से ही खाना लेकर चलता हूं। मुझे इनके खाने पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं है।

अंकित

कई बार ऐसा हुआ है कि सफर के दौरान मुझे खाना फेंकना पड़ा है। कभी भी खाना शुद्ध नहीं मिला है। अगर खाने की क्वालिटी की बात करें तो खाने में जरा भी स्वाद नहीं रहता है।  

अजीम

रेलवे हमेशा बेहतर खानपान के लिए दिशा-निर्देश जारी करती है, लेकिन खाने की क्वालिटी और क्वांटिटी के बारे में कभी नहीं सोचती। शिकायत करने से भी कोई फायदा नहीं होता, क्योंकि पेंट्रीकार मैनेजर या फिर वेटर अपनी आदत से बाज नहीं आते।

इन ट्रेंस के पेंट्रीकार में होता है खेल

- अमरनाथ एक्सप्रेस

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report and photo by : amarendra.pandey@inext.co.in