गोरखपुर ब्यूरो। यह उत्सव ऋतुराज वसंत के प्रारंभ होने का पर्व है। पंचमी, वसंत के अभिनंदन का दिन है। प्राचीन काल से इस महोत्सव को हमारे देश में उत्सव के रूप में मनाया जाता रहा है। कहा जाता है कि यह आरंभ में विशुद्ध ऋतु संबंधी महोत्सव था, बाद में इसके साथ कुछ धार्मिक कथाएं एवं मान्यताएं जोड़ दी गई हैं। इस दिन विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती का पूजन किया जाता है।

वसंत पंचमी का महत्व

ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार वसंत पंचमी के दिन अज्ञानता के अंधकार को खत्म करने के लिए ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा होती है। विशेष तौर पर इस दिन विद्यार्थी मां सरस्वती की आराधना कर विद्या का आशीर्वाद मांगते हैं। वसंत पंचमी के दिन विशेषकर पीले वस्त्र ही धारण करने चाहिए। ऐसा करना शुभ माना जाता है। यह रंग ऊर्जा और ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है।

ऐसे करें वसंत पंचमी की पूजा

पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार इस दिन प्रात: काल स्नानादि कर पीले वस्त्र धारण करें। मां सरस्वती की प्रतिमा को सामने कलश स्थापित करें। इसके बाद माता सरस्वती और भगवान गणेश व नवग्रह की विधि-विधान से पूजा करें। प्रसाद के रूप में खीर अथवा दुध से बनी मिठाईयां चढ़ाएं। इसके बाद श्वेत फूल माता को अर्पण करें। विद्यार्थी मां सरस्वती की पूजा कर गरीब बच्चों में कलम व पुस्तकों का दान करें। संगीत से जुड़े व्यक्ति अपने साज पर तिलक लगाकर मां की आराधना करें।