गोरखपुर (ब्यूरो)। डेंगू और वायरल फीवर के बीच मम्पस ने भी पेशेंट्स और अटेंडेंट दोनों को परेशान कर दिया है। सरकारी और प्राइवेट हास्पिटल में वायरल फीवर के साथ-साथ वायरल इंफेक्शन वाले मम्प्स के पेशेंट पहुंच रहे हैं। जिला अस्पताल में प्रतिदिन 30-35 बच्चे आ रहे हैैं। जो वायरल फीवर के साथ-साथ मम्प्स से भी जूझ रहे हैैं।

टीका नहीं लगने से बीमारी

बता दें, शुरुआती ठंड से बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं वायरल फीवर, सर्दी, जुखाम और खांसी से जूझ रहे हैैं। वहीं, 5-10 वर्ष तक के बच्चों को मम्प्स ने अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है। जिला अस्पताल के डॉक्टर्स की मानें तो मम्प्स उन्हीं बच्चों को तेजी के साथ हो रहा है, जिन्हें बचपन में टीका नहीं लगा या प्रॉपर दोनों डोज नहीं दी गई।

लार ग्रंथियों को करता है प्रभावित

जिला अस्पताल के सीनियर फिजिशियन डॉ। राजेश कुमार ने बताया कि गलसुआ या मम्प्स एक प्रकार वायरल इंफेक्शन होता है। जो मुख्य रूप से लार ग्रंथियों को प्रभावित करता है। इन ग्रंथियों को पैरोटिड ग्रंथियां भी कहा जाता है। ये ग्रंथियां लार बनाती हैं। लार ग्रंथियों के तीन समूह होते हैैं, जो मुंह के तीनों तरफ होते हैैं, जो कानों के पीछे और नीचे स्थित होते हैैं। गलसुआ के सबसे मुख्य लक्षण लार ग्रंथियों में सूजन होती है। गलसुआ के लक्षण शुरू होने के बाद ये 14-18 दिनों तक रहते हैैं। रोग की अवधि लगभग सात से दस दिन तक की होती है। गलसुआ में आमतौर पर एक या दोनों तरफ की ग्रंथियों (गाल व जबड़े वाले क्षेत्र) में दर्द, सूजन और टेंडरनेस (छूने पर दर्द होना) आदि शामिल होते हैैं।

पेनकिलर से आराम

चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ। नरेश अग्रवाल ने बताया, गलसुआ की रोकथाम में एमएमआर वैक्सीनेशन आदि शामिल है। गलसुआ के लिए कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है। लार ग्रंथियों में टेंडरनेस और सूजन आदि की समस्या को कम करने के लिए उन्हें गर्म व ठंडी चीजों से सेकना मददगार हो सकता है। दर्द को शांत करने के लिए कुछ पेनकिलर दवाएं भी ली जा सकती हैं। गलसुआ के साथ कुछ गंभीर जटिलताएं भी जुड़ी हैैं। जैसे कि मेनिनजाइटिस, इंसेफेलाइटिस, बहरापन और जननांगों में सूजन, लालिमा व जलन आदि।

सिम्पट्म्स

- चबाने और निगलने में कठिनाई।

- चेहरे के एक तरफ या दोनों तरफ की लार ग्रंथियों में सूजन।

- बुखार (103 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर)

- थकान और कमजोरी।

- भूख न लगना।

- सिरदर्द।

- मांसपेशियों में दर्द।

प्रिवेंशन ऑफ मम्प्स

- अपने बच्चों का समय से एमएमआर का वैक्सीनेशन करवा कर आप अपने बच्चों को गलसुआ से बचाव कर सकते हैैं। गलसुआ का वैक्सीनेशनल करवाना गलसुआ की रोकथाम का सबसे बेहतर तरीका होता है।

- एमएमआर वैक्सीनेशन बचपन में वैक्सीनेशन प्रोग्राम का हिस्सा होता है। जब आपका बच्चा 12 से 13 महीने का होता है, तो उनका एक वैक्सीनेशन करवा देना चाहिए। दूसरा वैक्सीनेशन बच्चे के स्कूल शुरू करने से पहले ही करवा देना चाहिए। जब एक दोनों खुराक मिल जाती है, तो गलसुआ के प्रति बच्चा 95 प्रतिशत सुरक्षित हो जाता है।

जिला अस्तपाल में अपने बच्चे को दिखाने आई हूं। मेरे बेटे को वायरल फीवर तीन दिन से हैैं। लेकिन दाहिने साइड के गाल पर सूजन के कारण वह कुछ खा नहीं पा रहा है।

शिवानी, खोराबार

मेरी सात साल की बेटी है। बेटी को गलसुआ हुआ है। दर्द के साथ-साथ सूजन है। वह पिछले चार दिनों से परेशान हैैं। डाक्टर ने दवा लिखी है।

गरिमा, रुस्तमपुर

इन दिनों वायरल फीवर के साथ-साथ वायरल इंफेक्शन वाले मरीजों की भरमार है। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं के बीमार होने की संख्या भी बढ़ी है। बच्चों को गलसुआ की बीमारी तेजी के साथ देखने को मिल रही है। इसलिए वैक्सीनेशन पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

डॉ। राजेंद्र ठाकुर, एसआईसी, जिला अस्पताल