- शहर में लगभग 15 सौ लोग डिब्बा पानी के व्यवसाय से जुड़े हैं

- डेली एक लाख लीटर आरो प्लांट बर्बाद कर रहे हैं पानी

GORAKHPUR: देश में भले ही पानी के लिए हाहाकर मचा है, लेकिन गोरखपुर की पब्लिक को इससे कुछ भी लेना देना नहीं है। शहर के लगभग आधा दर्जन मोहल्ले जबरदस्त पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। मगर शुद्ध पानी के नाम पर रोजाना हजारों लीटर पानी नाले और नालियों में बहा दिया जा रहा है। स्थिति यह है कि शहर में शुद्ध पानी के नाम पर रोजाना करीब 1500 आरो प्लांट मशीन से 90 हजार लीटर पानी बर्बाद हो रहा है।

ऐसे वेस्ट होता है पानी

एमएमएमयूटी के प्रोफेसर डॉ। गोविंद पांडेय का कहना कि आरो एक सिस्टम के तहत कार्य करता है। इसमें पानी के शुद्धीकरण के लिए रिवर्स ऑस्मोसिस की प्रक्रिया अपनाई जाती है। इस सिस्टम से 100 लीटर पानी में केवल 40 लीटर पानी ही शुद्ध किया जा सकता है। वहीं इससे करीब 60 लीटर पानी वेस्ट हो जाता है। इस तरह अगर शहर में डेली एक लाख लीटर पानी की खपत हो रही है, तो उसके बाद 60 हजार लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। शहर में डेली हो रही पानी की बर्बादी को रोकने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया जाता है।

क्या है आरो सिस्टम?

आरो सिस्टम डोमेस्टिक वॉटर प्यूरीफिकेशन के लिए काम करता है। इसमें रिवर्स ऑस्मोसिक की प्रक्रिया से जल शुद्धीकरण किया जाता है। इसलिए आरो सिस्टम का पानी पीने योग्य होता है, लेकिन इसमें टीडीएस की मात्रा बहुत कम हो जाती है। जो मानक सीमा के अंदर तो होती है। यह जीवन के लिए बहुत नुकसान पहुंचाती है। आरो सिस्टम के रिवर्स ऑस्मोसिस की प्रक्रिया के माध्यम से शोधित जल से बाहर चली जाती है, जिसका प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।

बचाया जा सकता है पानी

डॉ। गोविंद पांडेय का कहना है कि आरो प्लांट में डेली 60 प्रतिशत पानी बर्बाद होता है। यह पानी नाली और नाले में मिलकर बर्बाद हो जाता है। इसे बर्बाद हो रहे पानी को बचाया जा सकता है। इसके लिए पब्लिक और आरो प्लांट लगाने वाले लोगों को जागरुक होने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि जो 60 प्रतिशत पानी वेस्ट हो रहा है, उसको दूसरी बार रिसाइकल करके 24 प्रतिशत और तीसरी बार रिसाइकल करके 16 प्रतिशत पर लाया जा सकता है। उसके बाद बचे 16 प्रतिशत पानी को घर की सफाई, कार धोने, पौधों की सिंचाई, नहाने या अन्य दैनिक उपयोग में लाया जा सकता है।

स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक

डॉ। गोविंद पांडेय का कहना है कि आरो प्लांट के पानी केवल प्रकृति ही नहीं, बल्कि मानव जीवन को भी प्रभावित कर रहे हैं। इसमें बहुत ऐसे तत्व हैं, जो वेस्टेज पानी में बहकर नाले में चले जा रहे हैं। जिसका प्रभाव मानव जीवन पर पड़ रहा है। आरो पानी में जिंक पूरी तरह से समाप्त हो जाता है। जिसके कारण मानव शरीर के हड्डियां कमजोर हो रही हैं।

पानी सप्लाई

आरो सिस्टम की संख्या- 1500 लगभग

सामान्य दिन एक ओरो से पानी सप्लाई- 1000 लीटर

लगन वाले दिनों में आरो मशीन से सप्लाई पानी- 2000 लीटर

सामान्य दिन में शहर में आरो पानी की सप्लाई- 1.5 लाख लीटर

लगन वाले दिन में आरो पानी की सप्लाई- 3 लाख लीटर

पानी की बर्बादी

सामान्य दिन में आरो सिस्टम द्वारा डेली बरबाद पानी- 600 लीटर

लगन वाले दिन आरो सिस्टम द्वारा बरबाद पानी- 1200 लीटर

सामान्य दिन में 1500 आरो सिस्टम द्वारा बरबाद पानी- 90 हजार लीटर

लगन वाले दिन 1500 आरो सिस्टम द्वारा बरबाद पानी- 1.80 लाख लीटर