गोरखपुर (ब्यूरो).जिला अस्पताल के आर्थो डिपार्टमेंट में आने वाले मरीजों में 18-40 वर्ष के यूथ्स जहां विटामिन डी-थ्री की कमी और कैल्शियम की कमी से जूझ रहे हैं। 10-15 वर्ष के बीच टीनेजर्स भी हड्डियों में दर्द की समस्या लेकर आ रहे हैैं। आर्थोपेडिक्स राजन शाही बताते हैैं कि गठिया के रोगी सिर्फ युवाओं, बुजुर्गो में ही नहीं बच्चों में भी हो रहे हैैं, इसलिए कैल्शियम की भरपूर मात्रा लेने के लिए सलाह दी जाती है। साथ ही बच्चों को पौष्टिक आहार देने के साथ-साथ बाहर के खानपान से परहेज करना चाहिए।

क्या है गठिया या अर्थराइटिस?

फिजियोथिरैपिस्ट डॉ। रविंद्र ओझा बताते हैैं कि गठिया या अर्थराइटिस शब्द का अर्थ वास्तव में ज्वाइंट इंफ्लेमेशन होता है। अर्थराइटिस से आज दुनिया भर में लाखों लोग परेशान हैं। अर्थराइटिस यानी गठिया, जो जोड़ों की बीमारी है। जब चलने में तकलीफ हो, जोड़ों में दर्द रहे तो समझ लें कि आप अर्थराइिटस के शिकार हो रहे हैं। ज्यादातर यह रोग बढ़ती उम्र में होता है। हालांकि, आज जिस तरह की दिनचर्या लोग अपना रहे हैं, उससे हर उम्र के लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं।

बढ़ती है यूरिक एसिड की मात्रा

अर्थराइटिस होने पर शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढऩे लगती है, जिसकी वजह से जोड़ों में सूजन की समस्या बढ़ जाती है। इसमें दर्द भी बहुत होता है। सर्दियां आने वाली हैं। ऐसे में इसका दर्द बर्दाश्त से बाहर हो जाता है। यह दर्द कई बार लाइफ स्टाइल के साथ-साथ डायट के कारण भी बढ़ जाता है। कई आहार ऐसे होते हैं, जो गठिया के दर्द को बढ़ाते हैं। ऐसे में यदि आपको अर्थराइटिस की समस्या है, तो खासकर मछली, मांस, शुगरी फूड्स, दूध से बनी चीजें, मटन, अल्कोहल, टमाटर, सॉफ्ट ड्रिंक आदि खाने से परहेज करें।

करना है बचाव

- गठिया के सबसे आम प्रकार ऑस्टियोअर्थराइटिस, गाउट, फाइब्रोमायल्गिया और रुमेटाइड अर्थराइटिस हैं।

- अर्थराइटिस से बचना चाहते हैं तो स्मोकिंग करना छोड़ दें।

- तनाव की समस्या भी अर्थराइटिस को बढ़ा देती है।

- तनाव से छुटकारा पाने के उपाय अपनाएं।

- पर्याप्त नींद लेना भी जरूरी है। इससे मानसिक और शारीरिक सेहत बनी रहती है।