गोरखपुर (ब्यूरो)। पंडित राम नारायण त्रिपाठी ने 1942 से 1975 तक श्रेष्ठ गायन वादक एवं नृत्य के कलाकारों को गोरखपुर बुलाकर अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन आयोजित कर यहां के माहौल को बेहतर करने का काम किया था। वहीं, अब उनके बेटे पंडित शरद मणि त्रिपाठी इसे आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं और म्यूजिक के गुणों को भी सिखा रहे हैं उन्होंने बच्चों में म्यूजिक को लोकप्रिय करने के लिए अलग से विद्यालय खोलने तथा इसकी अलग से क्लास चलाने की मांग सीएम योगी आदित्यनाथ से की है।

घु्रपद, धमार, ख्य़ाल, ठुमरी, भजन और गजल संगीत की शैली हैं। आज के दौर में लोग इन्हें जानना, समझना और सीखना चाहते हैं। कोविड पीरियड में फिजिकली ट्रेनिंग प्रभावित हुई तो पंडित शरद मणि त्रिपाठी ने ऑनलाइन क्लास शुरू कर दी। वे कहीं भी रहें, लेकिन ऑनलाइन सेशन कर संगीत सिखाते हैं।

संगीत सुनने के लाभ

1. तनाव कम होता है।

2. दिमाग की नसों को आराम मिलता है।

3. दर्द कम करने में लाभकारी है।

4. सांस से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए लाभकारी है।

5. मेमोरी लॉस कम करता है।

6. हृदय के लिए भी संगीत अच्छा है।

7. नींद अच्छी आती है।

सारेगामापा में सिलेक्ट हो चुके हैं हिमांशु

गोरखपुर के निवासी हिमांशु मिश्रा को बचपन से ही गाने का शौक है, जिसके साथ ही उन्होनें म्यूजिक में कई उपलब्ध्यिां भी हासिल की हैं। हिमांशु रेडियो सिटी के विनर रहने के साथ ही राइजिंग स्टार में 2 बार प्रतियोगी रहकर गोरखपुर का मान बढ़ाया है। वहीं, सारेगामापा में सिलेक्ट होकर अपना आवाज का जादू बिखेर चुके हैं।

क्यों मनाया जाता है म्यूजिक डे

पहला म्यूजिक डे 1982 में पेरिस में फ़ेते डे ला म्यूजिक के रूप में मनाया गया था। इसकी शुरुआत फ्र ांसीसी संस्कृति मंत्री जैक लैंग ने की थी। तब से हर साल 21 जून को वल्र्ड म्यूजिक डे मनाया जाता है।