गोरखपुर (ब्यूरो)।कम उम्र से ब्लड डोनेशन करने वाले युवा सिर्फ थैलेसीमिया की बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए भी तत्पर होकर काम कर रहे हैं।

थैलेसीमिया के पेशेंट्स को 15 से 21 दिन पर ब्लड चढ़ाना होता है। ब्लड के जरिए इन पेशेंट्स में कोई संक्रमण तो नहीं जा रहा है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इसकी जांच की जाती है। जांच में पता लगाया जाता है कि किन कारणों से बीमारियों की एंटीबाडी उनमें बनी है।

120 से अधिक थैलेसीमिया पेशेंट

बता दें, मेडिकल कॉलेज में 120 से अधिक थैलेसीमिया के रजिस्टर्ड पेशेंट हैं। हर माह 55 से 60 मरीजों को ब्लड चढ़ाया जाता है.ब्लड चढ़ाने से पहले इसकी की जाती है। फिर भी पेशेंट्स के शरीर में जाने के बाद यदि कोई रिएक्शन होता है और उसका दुष्प्रभाव किन अंगों पर पड़ रहा है। यह जांच से पता लगाया जाता है।

फ्री मिलता है ब्लड

थैलेसीमिया के पेशेंट्स को फ्री ब्लड दिया जाता है। सरकारी व सभी रजिस्टर्ड प्राइवेट अस्पतालों के ब्लड बैंकों से उन्हें फ्री ब्लड उपलब्ध कराने का नियम है। ब्लड बैंक प्रभारी राजेश कुमार राय ने बताया कि पेशेंट्स को प्राथमिकता के आधार पर ब्लड उपलब्ध कराया जाता है।

अनुवांशिक बीमारी है थैलेसीमिया

थैलेसीमिया अनुवांशिक बीमारी है। यदि माता-पिता में से किसी को यह बीमारी है तो बच्चे में होने की आशंका प्रबल हो जाती है। इस बीमारी में ब्लड नहीं बनता है। बच्चा लगातार दुबला होता जाता है। वह अक्सर बीमार रहता है। हर 15 से 21 दिन पर उसे ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। इस बीमारी का पता तीन माह की उम्र के बाद ही चल जाता है।

25 से अधिक बार डोनेट किया ब्लड

थैलेसीमिया पेशेंट्स के लिए ब्लड डोनेट करने वाले नवभारत निर्माण ट्रस्ट के विक्रमादित्य नारायण सिंह के साथ काम युवा काम कर रहे हैं। वे अब तक 25 से अधिक बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। साथ ही औरों को भी ब्लड डोनेशन करने के लिए जागरूक करते हैं। उन्होंने ब्लड डोनेशन की शुरुआत की थी। इतना ही नहीं उन्होंने अपने साथ कई युवाओं को भी प्रेरित किया। इस काम के लिए 2020-21 में उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है।

76 बार डोनेट किया ब्लड

श्री गुरु नानक देव रक्तदान सेवा सोसायटी पिछले 25 साल से निरंतर रक्तदान कर रही है। जगनैन सिंह नीटू अब तक 76 बार ब्लड डोनेट चुके हैं। उन्होंने थैलेसीमिया के पेशेंट्स को हमेशा ब्लड के लिए परेशान होते देखा है। कोरोना काल में भी काफी प्रॉब्लम हुई। इस बीच सोसायटी हर माह गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय ब्लड बैंक में ब्लड डोनेशन कैंप के जरिए ब्लड डोनेट करवाती रही। मोबाइल वैन और डोर-टू-डोर ब्लड डोनेशन का काम भी किया।

28 बार डोनेट किया ब्लड

गायत्री परिवार रचनात्मक ट्रस्ट गोरखपुर के मुख्य ट्रस्टी दीना नाथ सिंह ब्लड डोनेशन में एक्टिव हैं। वह अभी तक 28 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। 12 बार रक्तदान शिविर का आयोजन करवाया। कोरोना काल में भी उन्होंने 67 यूनिट ब्लड बीआरडी मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक को दिया। गायत्री परिवार के युवा ब्लड डोनेट करने के लिए अक्सर तत्पर रहते हैं।

अवेयरनेस से थमेगी बीमारी

- बच्चे को जन्म से ही थैलेसीमिया हो जाता है। ऐसे में जरूरी है कि माता-पिता का शादी के पूर्व थैलेसीमिया टेस्ट हुआ हो।

- थैलेसीमिया जोन से प्रभावित बीबी कंसीविंग के पहले एचबीए 2 की जांच से इस रोग को रोका जा सकता है।

- हर किसी को थैलेसीमिया की जांच आवश्यक रूप से करवानी होगी।

- थैलेसीमिया के मुख्य रूपों में थैलेसीमिया अल्फा और थैलेसीमिया बीटा कहा जाता है।