कानपुर (ब्यूरो)। नवंबर और दिसंबर मंथ में 10 नालों से गंगा और सहायक पांडु नदी में बुरी तरह से पॉल्यूशन फैलाया गया। इस मामले में यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने निरीक्षण में पाए तथ्यों के आधार पर नगर निगम पर कार्रवाई की है। नालों में बायोरेमिडिएशन (जैविक विधि द्वारा शोधन) न होने और नालों का दूषित पानी गंगा व पांडु नदी में जाने पर यूपीपीसीबी ने नगर निगम को 90 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही कार्रवाई के लिए यूपीपीसीबी के पॉल्यूशन अफसर को संस्तुति की है।

जांच में सामने आया सच
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के रीजनल अफसर अमित मिश्रा ने बताया की नवंबर और जनवरी में किए गए वीकली निरीक्षण के दौरान गंगा नदी में गिर रहे नालों डब्का, सत्तीचौरार, गोलाघाट नाला और रानीघाट नाला के पानी का नमूना लिया गया था। जिसकी रिपोर्ट आई है। इसमें बहुत अशुद्धियां मिली हैं। साथ ही निरीक्षण के दौरान पाया गया कि नालों का बायोरेमिडिएशन वर्क भी नहीं हो रहा था। जिससे गंगा नदी के पानी में प्रतिकूल प्रभाव पडऩा स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि दो महीनों के हिसाब से चार नालों पर पांच लाख के हिसाब से कुल 40 लाख रुपये का नोटिस कार्यदायी संस्था नगर निगम को जारी किया गया है। कार्रवाई के लिए उच्च अधिकारियों को भी संस्तृति की गई है।

नहीं कराया गया बायोरेमिडियेशन वर्क
उन्होंने बताया कि पांडु नदी में गंदा नाला, अर्रा नाला, सागरपुरी नाला, पिपौरी नाला, पनकी थर्मल नाला और हलवा खांड़ा नाला गिर रहे हैं। जो पांडु नदी के साथ ही गंगा नदी में भी पॉल्यूशन जा रहा है। इन सभी नालों में बायोरेमिडियेशन होना चाहिए। लेकिन, नवंबर और दिसंबर में हुए निरीक्षण में पाया गया कि सभी नाले बिना बायोरेमिडियेशन वर्क के ही नदी में गिर रहे हैं। पानी के नमूने भी अनुकूल नहीं मिले। इनवॉयरमेंट क्षतिपूर्ति के तहत 5 लाख रुपये प्रति महीने के हिसाब से 50 लाख रुपये की नोटिस जारी की गई है। उन्होंने बताया कि पनकी थर्मल नाला और हलवा खांड़ा नाले पॉल्यूशन फैलने पर सिर्फ एक मंथ का जुर्माना लगाया गया है।

पहले भी डेढ़ करोड़ रुपये का लग चुका है जुर्माना
गंगा व पांडु नदी में शहर के नालों का गंदा पानी सीधे प्रवाहित करने पर पहले भी यूपीपीसीबी ने नगर निगम पर कुल एक करोड़ पचपन लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। हालांकि इस मामले में नगर निगम ने उच्च अधिकारियों को सफाई दी है।