रयोग का मकसद होगा कि दिल तक जाने वाली एक किसी नस को बिजली के जरिए सक्रिय करना ताकि दिल सिकुड़ जाए। मनुष्यों पर ये अपनी तरह का पहला प्रयोग है। ये प्रयोग चूहों और कुत्तों पर किया गया था और पाया गया था कि इससे उनकी उम्र लंबी हुई है।

अगले कुछ दिनों में पहले मरीज का ऑपरेशन होगा। मनुष्य का दिल शरीर में खून पंप करता है। जब दिल ठीक तरीके से ऐसा नहीं कर पाता तो व्यक्ति को थकान महसूस होती और उसकी साँस जल्दी फूल जाती है। कुछ लोगों को तो ऐसा लगता है कि वो किसी मैराथन में दौड़ रहे हैं, फिर वो भले ही कुर्सी पर बैठे हों।

जैसे जैसे दिल पंप करने की अपनी क्षमता खोता जाता है, इसमें खून भरता जाता है और वो कुछ समय के बाद खिंच सा जाता है। दिल का आकार जितना बड़ा होता जाएगा उतनी ही तकलीफ़ बढ़ती जाएगी।

लिवरपूल हार्ट एंड चेस्ट अस्पताल और द रॉयल लिवरपूल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के सर्जन इसी नुकसान को कम करने की कोशिश में जुटे हैं। सर्जन ये कोशिश करेंगे कि वे पेसमेकर से मिलता जुलता यंत्र वेगस नस में लगा दें। ये नस दिल तक जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि बिजली से मिलने वाली ऊर्जा से दिल को एड्रेनालिन से होने वाली क्षति के प्रति सुरक्षा मिलेगी।

प्रयोग का पहला मरीज
एड्रेनालिन होर्मोन से दिल तेज़ी और जोर से पंप करने लगता है। जब दिल ठीक से काम नहीं करता तो शरीर ऐसी ही प्रतिक्रिया देता है। डॉक्टरों का कहना है कि इससे दिल को और नुकसान पहुँचता है।

डॉक्टरों के नए प्रयोग के पीछे विचार यही है कि दिल को अगर सुरक्षित रखा जाए तो उसका आकार बड़ा नहीं होगा और वो सिकुड़ने लगेगा। लिवरपूल हार्ट एंड चेस्ट अस्पताल के डॉक्टर जे राइट कहते हैं, “हम उम्मीद कर रहे हैं कि इससे दिल सिकुड़ जाएगा लेकिन वो सामान्य आकार का फिर भी नहीं होगा। हमें पता है कि दिल का साइज जितना बड़ा होगा उसके दुष्प्रभाव उतने ही ज्यादा होते हैं.”

इस प्रयोग में विश्व भर के 30 अस्पतालों में करीब 100 मरीज हिस्सा लेंगे। पहले मरीज हैं कैरल जॉर्डन जो खुद मेडिकल पेशे से जुड़े हुए थे। उन्हें कई बार दिल का दौरा पड़ चुका है जिससे उनके दिल को काफी नुकसान हुआ है और उसका साइज बड़ा हो गया है।

इस प्रयोग का हिस्सा बनने के बारे में कैरल कहते हैं, “लिवरपूल में एक सर्जरी के तहत नया यंत्र लगवाने वाला पहला मरीज बनना – ये मेरे लिए बड़ा फैसला था। इस वक़्त मेरा जीवन काफी मुश्किलों से भरा है। दिल की बीमारी के कारण मुझ पर कई तरह की पाबंदियाँ हैं। साँस लेने में तो बहुत दिक्कत होती है। मेरी बीमारी के कारण मेरा परिवार भी झेल रहा है, वो यही देखते रहते हैं कि मेरे लिए क्या कर सकते हैं। मैं उम्मीद करता हूँ कि ये नया प्रयोग मेरे और दूसरे लोगों के जीवन को बेहतर बनाएगा.”

दिल के ठीक से काम न करने से ब्रिटेन में ही नौ लाख लोग प्रभावित हैं। इसका कारण उच्च रक्तचाप, दिल के दौरे के बाद खराब हुई हार्ट मसल या कोई आनुवांशिकी दिक्कत भी हो सकती है।

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