कानपुर (ब्यूरो) । रोड एक्सीडेंट और उनमें होने वाली मौतों को रोकने के लिए गंभीर ङ्क्षचतन शासन, प्रशासन व ट्रैफिक पुलिस के स्तर से किया जा रहा है। फिर भी मौतों का आंकड़ा कम होने के बजाय बढ़ता जा रहा है। इसकी मूल वजह सडक़ों पर वाहन ड्राइव करने के साथ ईयर फोन में सांग का सुनना है। जो अपनी जान जोखिम में डालने के साथ ही दूसरों की जान ले रहे हैं। सिटी में ईयर फोन, ईयर बड्स लगाकर बाइक, ई-रिक्शा, आटो-टेपों व कार ड्राइवर सडक़ पर फर्राटा भरते हैं। चौक-चौराहों पर खड़े ट्रैफिक पुलिस भी इन्हें नजरअंदाज करते हैं, जो हादसे की प्रमुख वजह बन रहे हैं। वहीं, ई-रिक्शा व आटो-टेंपो में लगे तेज आवाज साउंड सिस्टम भी ट्रैफिक की चाल बिगाड़ते हैं, फिर भी उनका न चालान होता है और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई।

550 लोगों ने एक्सीडेंट में तोड़ा दम

सिटी की सडक़ों पर सांग की धुन में दौड़ते वाहन सवारों की वजह से सबसे अधिक हादसे होते हैं। इस वर्ष 550 लोगों ने सडक़ हादसे में जान गंवाई, जिसमें 60 प्रतिशत से ज्यादा लोग वाहन चलाते समय ईयरफोन लगाए थे। इसके चलते उन्हें वाहनों के बगल से गुजरने की भनक न लग सकी, जिससे वह उसकी चपेट में आ गए। हद तो यह है कि हर दूसरा व्यक्ति ईयरफोन और ईयरबड्स लगाए हैं। वाहन चलाते समय ऐसी लापरवाही पर 1000 रुपये तक चालान का नियम है।

2500 लोगों का हुआ चालान

अप्रैल 2023 में अब तक वाहन चालाते समय ईयरफोन व ईयरबड्स का यूज करने वाले 2500 लोंगों का चालान किया गया है। फिर भी लापरवाही लगातार बरती जा रही है। ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी भी ट्रैफिक मंथ में ही अभियान चलाते हैं, उसके बाद सुस्त होकर बैठ जाते हैं।

सिटी के डेंजर स्पॉट

सिटी के गुमटी क्राङ्क्षसग, कोकाकोला क्राङ्क्षसग, गोलचौराहे के नीचे, गुटैया और गीतानगर क्राङ्क्षसग, पनकी चौराहे के पास, दादानगर के पास झांसी लाइन, दबौली के पास, रामादेवी चौराहे पर ओवरब्रिज के नीचे, श्याम नगर में पीएसी के पास अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं। इसलिए इन क्षेत्रों को डेंजर जोन चिन्हित किया गया है।