कानपुर (ब्यूरो)। कानपुर समेत 10 जिलों से लिए गए सैैंपल्स की जांच पूरी हो गई है। 22 दवाओं में मिलावट मिली है, जबकि 10 दवा नकली मिली हैैं। कार्रवाई करते हुए शासन ने एलोपैथिक दवाओं की मिलावट पाए जाने पर सभी 32 दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। बिक्री पर रोक लगाने के लिए प्रदेश के सभी क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारियों को निर्देश दिया गया है।

लिवर की प्रचलित दवा लिव-52 शामिल

इसमें कई बीमारियों में यूज की जाने वाली लिवर की प्रचलित दवा लिव 52 भी शामिल है, इस दवा में मंडूर भस्म व दारुहरिद्रा का मिश्रण मानक के अनुरूप नहीं पाया गया। अनेक दवाओं में प्रेडनिसोलोन व बीटामेथासोन नामक स्टेरायड, दर्द निवारक आइबोप्रोफेन व डाइक्लोफिनेक, मधुमेह की दवा ग्लीम्पैराइड व यौन उत्तेजना की दवा सिलिडिनाफिल का अपमिश्रण पाया गया है।

पत्र जारी कर दिया निर्देश

निदेशक आयुर्वेद सेवाएं ने क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारियों को पत्र जारी कर निर्देश दिया है कि प्रदेश भर में इन दवाओं के उत्पादन, परिवहन एवं बिक्री पर रोक लगाई जा रही है। इन दवाओं को तत्काल जब्त कर नष्ट कराया जाए। 2022 से अब तक मिली शिकायतों के आधार पर प्रदेश के अनेक जनपदों से इन दवाओं के नमूने लिए गए थे। जांच आयुर्वेदिक एवं यूनानी औषधि परीक्षण प्रयोगशाला लखनऊ में कराई गई।

32 दवाओं पर रोक

क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी ने कहा कि 32 दवाओं पर रोक लगाने के लिए आदेश आया है। इनमें दस दवाएं नकली पाई गई हैं। जिले में इनका उत्पादन नहीं होता है, लेकिन बिक्री व परिवहन नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए कमेटी का गठन किया जाएगा, जो किसी भी समय किसी दुकान पर अचानक पहुंचकर उनका स्टाक देखेगी। यदि इन दवाओं की बिक्री करते कोई पाया गया तो विधिक कार्रवाई की जाएगी।