आई एक्सक्लूसिव

-ध्वनि प्रदूषण को फैलने से रोकने में नहीं किसी की दिलचस्पी, सरकार ने एक महीने पहले ही दिया था आदेश लेकिन नहीं सुन रहा कोई

-मल्टीटोन हॉर्न के चलते बढ़ रहे हैं कान की बीमारियों की प्रॉब्लम, कानपुर में रोजाना 12 लोगों के कानो में हो रही है घातक बीमारी

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KANPUR : शासन ने करीब एक महीने पहले फिर से सरकारी और प्राइवेट गाडि़यों में प्रेशर हॉर्न हटाने के निर्देश दे दिए हैं, अगर किसी सरकारी गाड़ी में भी प्रेशर हॉर्न लगा मिलता है तो ड्राइवर का लाइसेंस निरस्त किया जाएगा। कानपुर में तो बैन के बाद भी खुलेआम मल्टीटोन हॉर्न बजाते हुए लोग आपको मिल जाएंगे। ये हॉर्न बहुत तेजी से ध्वनि प्रदूषण की सारी सीमाएं पार कर रहे हैं। हाल ही में एक प्राइवेट संस्था की सर्वे रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। संस्था की ओर से जारी आंकड़ों में कहा गया है कि इन हॉर्न की वजह से कानपुर में रोजाना दो दर्जन लोग कान की बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है तेज आवाज वाले हॉर्न हैं, लेकिन इसके बावजूद कोई अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।

सिटी में धड़ल्ले से यूज

सिटी की रोड्स पर मल्टीटोन हॉर्न बहुत तेजी से ध्वनि प्रदूषण फैलाते हुए चलते हैं, जिन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। बड़ा चौराहा हो या पी रोड, सिविल लाइंस हो या गोविंद नगर हर जगह मल्टीटोन हॉर्न का प्रयोग करते हुए वाहन दिख जाते हैं। सड़क पर चलते समय अचानक से पीछे आते मल्टीटोन हॉर्न लगे वाहन जब हॉर्न बजाते हैं तो कई बार लोग गिरकर चुटहिल भी हो जाते हैं। ट्यूजडे को जब आई नेक्स्ट ने रियलिटी चेक किया तो हर चौराहे पर ये हॉर्न धड़ाधड़ बजाते हुए गाडि़यां निकल रही थीं।

पेशेंट में 10 प्रतिशत हॉनर् के शिकार

सिटी में डॉक्टर्स के पास आने वाले ईयर पेशेंट में 10 प्रतिशत पेशेंट तेज हॉर्न के चलते कान की विभिन्न बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। मेडिकल कॉलेज के ईएनटी एक्सपर्ट डॉ। संदीप कौशिक ने बताया कि ओपीडी में रोज करीब 30 से 40 मरीज आते हैं, जिसमें 3-4 मरीज तेज हॉर्न व शोर के चलते पीडि़त होते हैं। माह में करीब 90-120 मरीज तेज हॉर्न के चलते बीमार होकर आते हैं। मेडिकल कॉलेज असिस्टेंट प्रो। डॉ। हरेंद्र कुमार ने बताया कि तेज आवाज वाले हॉर्न कानों के लिए बहुत खतरनाक होते हैं। ज्यादा तेज आवाज से व्यक्ति बहरा भी हाे जाता है।

क्या होती है समस्या?

-तेज हॉर्न से कानों का कोटिला खराब हो सकता है।

-रैनाइटरा डिजीज हो सकती है, जिसमें कानों में सीटी सुनाई देती है।

-वरटाइबो डिजीज हो सकती है। जिसमें चक्कर आने लगते हैं।

-साइकोलॉजिकल इफेक्ट भी हो सकते हैं। मरीज इरिटेट होने लगता है।

-हाई बीपी की शिकायत भी हो सकती है।

(मेडिकल कॉलेज ईएनटी एचओडी डॉ। एसके कनौजिया के मुताबिक)

बचाव के लिए ये क्या करें

-ईयर प्लग्स का यूज करें। इससे कान हाई साउंड से सेफ रहते हैं।

-खुद अवेयर हों। वाहनों से मल्टीटोन हॉर्न हटाएं।

-उन रोड्स से न निकलें, जहां हैवी ट्रैफिक रहता हो।

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क्या है मल्टीटोन हॉर्न?

एआरटीओ प्रभात पांडेय ने बताया कि मल्टीटोन हॉर्न एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है। ये टू व्हीलर व फोर व्हीलर में लगता है। इसमें साउंड बदला जा सकता है। पुलिस सायरन, प्रेशर हॉर्न, एंबुलेंस हॉर्न आदि इसमें आते हैं। मार्केट में फिल्मी गानों के म्यूजिकल हॉर्न भी आते हैं। नॉर्मली बीप को छोड़कर अन्य सभी हार्न मल्टीटोन हॉर्न माने जाते हैं।

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जोन पॉसिबल डेसीबल लेवल

डे नाइट

इंडस्ट्रियल 75 70

कॉमर्शियल 65 55

रेजिडेंशियल 55 45

साइलेंस 50 40

नियम: आरटीओ नियमों के अनुसार वाहन में 75 डेसीबल से ज्यादा का साउंड नहीं होना चाहिए। जबकि डॉक्टरों के अनुसार 90 डेसीबल से ज्यादा का साउंड हेल्दी मैन के लिए खतरनाक है, लेकिन कानपुर में 120 से ज्यादा डेसीबल वाले मल्टीटोन हॉर्न बज रहे हैं।

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सिटी में मल्टीटोन हॉर्न लगाकर घूम रहे वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। मल्टीटोन हॉर्न लगाना व बेचना गलत है।

-प्रभात पाण्डेय, एआरटीओ