-पैर दर्द की शिकायत पर हैलट ओपीडी में पड़ा था रिक्शा चालक

-इमरजेंसी में इंजेक्शन लगाने के बाद अकड़ गया शरीर और 10 मिनट में हो गई मौत

KANPUR : हैलट इमरजेंसी में संडे दोपहर को पैर दर्द की शिकायत पर आए एक अधेड़ की दर्द का इंजेक्शन लगाते ही मौत हो गई। उसे आर्थो विभाग में लाया गया था। वहां कोई सीनियर डॉक्टर नहीं था, बल्कि नए जेआर मौजूद थे। वहीं मामला सामने आया तो डॉक्टर्स पल्ला झाड़ने में लग गए और मामला मेडिसिन विभाग का बता दिया गया। दरअसल, इंजेक्शन लगाने के बाद उस अधेड़ का अचानक से शरीर अकड़ गया और कुछ ही पलों में उसने दम तोड़ दिया था। इसके बाद भी खुद को बचाने के लिए जेआर ने मरने के बाद उसकी बीएचटी फाइल बनवाई।

ओपीडी बंद होने पर इमरजेंसी आया था

हैलट की ओपीडी में संडे सुबह 10 बजे के करीब एक अधेड़ फर्श पर काफी देर से पड़ा था। सूचना पर 12 बजे के करीब इमरजेंसी से एक कर्मचारी उसे स्ट्रेचर से इमरजेंसी लेकर पहुंचा। इस दौरान उसने खुद को रिक्शा चालक बताया जोकि मूल रूप से उन्नाव का रहने वाला था। बातचीत में उसने पैर में दर्द की शिकायत बताई। उसे आर्थोपेडिक विभाग ले जाया गया, जहां डॉ। अजय भारती की यूनिट के जूनियर डॉक्टर्स तैनात थे।

इंजेक्शन लगाकर बाहर कर दिया

अधेड़ को पैर दर्द की शिकायत पर आर्थो के जेआर ने उसे दर्द का इंजेक्शन लगाया था फिर न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम की आशंका पर मेडिसिन वार्ड में भेज दिया गया, जहां वह बाहर ही पड़ा रहा। 10 मिनट के अंदर उसका शरीर अकड़ गया और उसकी मौत हो गई। इस दौरान मेडिसिन के डॉक्टर्स दूसरे मरीजों के इलाज में व्यस्त रहे, अधेड़ पर ध्यान ही नहीं दिया।

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झाड़ लिया अपना पल्ला

इंजेक्शन लगाते ही मौत की खबर फैली तो अधिकारियों ने मामले की लीपापोती का भी प्रयास शुरू कर दिया। मीडियाकर्मी 12.40 बजे स्ट्रेचर पर उसकी डेडबॉडी की फोटो खींच रहे थे। लेकिन लीपापोती करने के लिए जूनियर डॉक्टर्स ने उसकी फाइल 1.09 बजे बनवाई और 1.40 बजे लिखापढ़ी में उसे मृत घोषित कर शव मोर्चरी में रखवा दिया। साथ ही पहचान नहीं होने की वजह लिखवाई कि परिजन छोड़ कर भाग गए। इस मसले पर जब यूनिट इंचार्ज डॉ। अजय भारती से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनके यहां सिर्फ मरीज को दर्द का इंजेक्शन दिया गया था। उसे कुछ न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम थी। इसलिए उसे मेडिसिन में रिफरेंस के लिए भेज दिया गया था, जहां उसकी मौत हो गई।