कानपुर (ब्यूरो)। जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट के तहत घर-घर जल पहुंचाने के प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर हुए करप्शन की वजह से कानपुराइट्स को पानी नहीं मिल रहा है, जबकि इस स्कीम में 869 करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं। जलनिगम के तत्कालीन 24 इंजीनियर के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है। हालांकि इनमें से कई इंजीनियर्स को इस केस में कोर्ट से स्टे मिल चुका है। स्टे के लिए कोर्ट दी गई अप्लीकेशन में उन्होंने साफतौर पर कहा कि पीएससी की जगह जीआरपी पाइप यूज करने और शर्ते बदलवाने जैसे बड़े डिसीजन &हॉयर अथॉरिटीज&य ने किए थे। उन्होंने अप्लीकेशन में मिनट्स ऑफ मीटिंग आदि ऑर्डर की कॉपी लगाई है, जिसमें कुछ &बड़े &य प्लेयर्स के नाम शामिल हैं। वहीं जानकारों का कहना है कि &बड़े&य प्लेयर्स की मिलीभगत के बगैर इतना बड़ा खेल नहीं हो सकता है। अगर जांच हो जाए तो इन बड़े प्लेयर्स के नाम सामने आ जाएंगे।

24 इंजीनियर्स पर एफआईआर
जेएनएनयूआरएम के अन्र्तगत बिछाई पाइप लाइनों में गड़बड़ी आदि को लेकर तीन वर्ष पहले फजलगंज थाना में जलनिगम के 24 एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसमें शामिल कई इंजीनियर हाईकोर्ट चले गए। इनमें शामिल तत्कालीन एसई रामसेवक शुक्ला ने बताया कि कोर्ट में दिए प्रत्यावेदन में जलनिगम के चेयरमैन की अध्यक्षता 19 जून 2010 को हुई उस मीटिंग के एनयूआरएम के तत्कालीन चीफ इंजीनियर डीपी सिंह के जारी मिनट्स की कॉपी भी लगाई थी, जिसमें जीआरपी पाइप के यूज करने का डिसीजन हुआ था। उन्होंने प्रत्यावेदन में यह भी बताया कि चेयरमैन ने ही अधीनस्थ अधिकारियों पर दबाव डालकर शर्ते बदलवा दीं। 5 की 10 परसेंट मोबिलाइजेशन एडवांस और बिछाने के बाद टेस्टिंग के बिना पाइप का पूर्ण भुगतान को अनुमन्य कर दिया गया। कुछ इसी तरह के आरोप एफआईआर में शामिल इंजीनियर आरके वर्मा, दिनेश चन्द्र शर्मा ने भी लगाए हैं।

दोनों प्रोजेक्ट करप्शन की भेंट चढ़े
दरअसल जवाहर लाल अरबन रिन्यूवल मिशन के अन्र्तगत सिटी के इनर ओल्ड एरिया के 67 वार्डो को शामिल किया गया था। 270.94 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट को सेंट्रल गवर्नमेंट ने 16 अक्टूबर 2007 को पास किया था। हालांकि बाद में प्रोजेक्ट कास्ट बढक़र 340.80 करोड़ रुपए हो गई थी। वहीं बचे हुए 33 वार्ड के ड्रिकिंग वाटर प्रोजेक्ट को 22 जनवरी 2009 को पास किया गया था। पहले यह प्रोजेक्ट 377.78 करोड़ रुपए का था, जिसकी प्रोजेक्ट कास्ट बढक़र 475.15 करोड़ रुपए पहुंच गई थी। हालांकि ड्रिकिंग वाटर प्रोजेक्ट के दोनों पार्ट में खेल हुआ। जिस कारण लाखों कानपुराइट्स के घरों में अब तक पानी नहीं पहुंच सका है। दोनों प्रोजेक्ट में गड़बड़ी को लेकर एफआईआर भी हुई। एक में जलनिगम के 24 इंजीनियर और दूसरे में कांट्रैक्टर कम्पनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ।

पार्ट वन में हुआ बड़ा खेल
जेएनएनयूआरएम के दोनों प्रोजेक्ट में करप्शन का खेल हुआ। हालांकि करप्शन का बड़ा खेल पार्ट वन प्रोजेक्ट में हुआ। जिसमें न केवल पाइप (पीएससी की जगह जीआरपी) बदल दिए गए, बल्कि लेईंग और एडवांस मोबिलाइजेशन (पेमेंट) की शर्ते भी बदल दी गई। मतलब कम्पनी को मनमानी का पूरा मौका दे दिया गया। यही पाइप अब सिरदर्द बन चुके है। जिनकी वजह से 400 एमएलडी क्षमता के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स से केवल 50 एमएलडी पानी सप्लाई हो रहा है। जरा सा तेज प्रेशर में पानी छोड़ते ही पाइपलाइनों से पानी के फौव्वारे छूटने लगते हैं। इन पाइपों को अब 112 करोड़ रुपए से बदलने की तैयारी हो रही है।