इसके साथ नई फिल्मों की कामयाबी के लिए दुआ का सिलसिला भी बढ़ा है। दरगाह दीवान ने इस पर सवाल उठाए हैं और ऐतराज भी दर्ज कराया है। लेकिन वे इसमें अकेले पड़ गए है। उनकी आपत्ति के बावजूद फ़िल्मी सितारों का आना बदस्तूर जारी है।

दरगाह में बॉलीवुड सितारों के खादिम क़ुतुबुद्दीन कहते है कि उर्स के दौरान फ़िल्मी सितारों के लिए चादर चढ़ाई जाती है। वो कहते हैं, ''जब भी ख्वाजा का बुलावा आता है, वो चले आते है। संगीतकार एआर रहमान ख्वाजा के प्रति इतनी गहरी श्रद्धा रखते हैं कि अजमेर में उन्होंने अपना एक घर ही खरीद लिया है.''

फिल्मों और सितारों पर नजर रखने वाले पत्रकार नवल किशोर शर्मा कहते हैं, ''कुछ अदाकार नियमित आते है। जो नहीं आ पाते, जो बड़े अदाकार है जैसे सलमान, आमिर और शाहरुख़, उनके परिजन या सचिव वगैरह यहाँ आकर चादर चढ़ाते हैं। कैटरीना की जबसे फिल्में हिट होने लगी हैं, वो बराबर आती है। अभी वो 'एक था टाइगर' के लिए आकर गई हैं.''

विवाद

सितारों की आमदो रफत बढ़ी तो उस पर विवाद भी बढ़ा। कभी उनके लिबास को लेकर सवाल उठे तो अभी दरगाह के दीवान जैनुअल अबेद्दीन ने सितारों और टीवी धारावाहिकों के निर्माताओं के आगमन पर आपत्ति की। उनका कहना था दरगाह की जगह को फिल्मों की व्यावसायिक कामयाबी के लिए इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

उनकी तात्कालिक आपत्ति एकता कपूर की फिल्म 'क्या सुपर कूल है हम' को लेकर थी। अबेद्दीन का कहना था, "फिल्में क्या प्रस्तुत कर रही हैं, ये सब जानते हैं." मगर दरगाह दीवान की आपत्ति के तुरंत बाद कैटरीना कैफ ने दरगाह में हाजिरी दी और अपनी फिल्म की कामयाबी के लिए दुआ की।

अमिताभ बच्चन ने पिछले साल कोई चालीस वर्ष बाद दरगाह में हाजिरी दी और मन्नत का धागा बाँधा। बिग बी ने श्रद्धा के फूल नज़र किए और फिर कहा कि पहले तब आया जब वो दौर था जब मैं फिल्मों में दाखिल होने का प्रयत्न कर रहा था। उस वक्त वो ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म में काम कर रहे थे। ये पिछले साल की बात है।

दरगाह में दुआ के बाद अमिताभ ने पत्रकारों से कहा था, ''उस वक्त मन में बहुत सी भावनाएं थीं और मन्नतें मांगी थीं। फिर कभी आने का अवसर नहीं मिला। यहाँ आने के लिए महीनों से सोच रहा था। यहाँ आए तो चालीस साल पुरानी एक मन्नत मांगी थी, उसको पूरा करने का अवसर मिला है। वो मन्नत क्या थी, ये नहीं बताऊंगा.''

पुराना रिश्ता

दरगाह में खादिमों की संस्था अंजुमन के सचिव वाहिद हुसैन कहते है कि बॉलीवुड का अकीदत से पुराना रिश्ता रहा है। वे कहते है उस दौर में महबूब खान, राजकपूर और दिलीप कुमार आते रहे है और ये कोई नई बात नहीं है।

वे कहते हैं, ''मीडिया की वजह से अब लोगों को पता लग जाता है। वरना फ़िल्मी सितारे शुरू से आते रहे हैं। इस पर कोई पाबन्दी नहीं है। हाँ कुछ लोग खुद को मीडिया में जगह हासिल करने के लिए इस पर शोर मचा रहे है। यहाँ कोई भी आ सकता है."

पहले तो यहाँ फिल्मों की शूटिंग तक हुई है। दरगाह दीवान का कहना है कि ये पाक़ मक़ाम है। पर क्या इसे फिल्मों के प्रचार के इस्तेमाल के लिए इस्तेमाल करने देना चाहिए। इस सवाल पर दरगाह दीवान ने खामोशी ओढ़ ली है।

मगर अंजुमन के अध्यक्ष हिस्सामुद्दीन कहते हैं कि आस्था के साथ कोई भी आ सकता है। फ़िल्मी अदाकार भी अकीदे से आते है। सब सुकून दुआ करते है और उनको रोकने की बात ही गलत है।

अंजुमन के पूर्व सदर गुलाम किबरिया कहते हैं कि चमत्कार को नमस्कार है। यहाँ रहमतों की बरसात होती है, जो भी आता है फैजयाब होता है, ख्वाजा तो हमेशा नवाजते हैं, वो रहमदिल हैं, इसलिए सब आते हैं।

किसी को रूहानी सुकून की प्यास है, किसी को कामयाबी की तलब। भारत में बहुतेरे बॉलीवुड की फिल्मों में सुकून देखते हैं। मगर बॉलीवुड को गोया इस सूफी संत की मजार पर सुकून मिलता है।

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