कानपुर (ब्यूरो)। सडक़ और अस्पताल में किसी लावारिश को कराहना न पड़े इसलिए गुमटी नंबर पांच बंबा रोड निवासी तरनजीत सिंह रात 10 से दो बजे तक सडक़ों और अस्पतालों में रहते हैैं। बुलेट से चलने के कारण इनका नाम बुलेट वाले सरदार जी पड़ गया है। सडक़ पर दर्द से कराहते किसी भी लावारिस शख्स की आवाज सुनकर बुलेट से उतरकर यह मदद के लिए दौड़ पड़ते हैं। यह काम बीते पांच वर्षों से कर रहे हैं। रोजाना रात 10 बजे घर से निकलकर लावारिस मरीजों का हाल लेने के लिए हैलट, उर्सला जाते हैं। उनकी बुलेट गाड़ी में हर समय फस्र्ट एड बाक्स और कुछ खाने पीने की चीजें होती हैं। जहां कहीं भी उन्हें लावारिस शख्स दिखता है, उसका प्राइमरी ट्रीटमेंट करके अस्पताल में एडमिट कराते हैैं। इस काम को यह बिना किसी एनजीओ या सरकारी हेल्प के अपनी इनकम से करते हैैं।

ऐसे शुरू हुआ सफर
तरनजीत लाजपत नगर में मोबाइल फोन का शोरूम चलाते हैं। बताते हैं कि 2017 में एक मरीज की मदद करने के लिए पत्नी चरनजीत कौर के साथ हैलट अस्पताल गए थे। वहां एक लावारिस शख्स के कराहने की आवाज सुनकर रहा नहीं गया। बस उसी दिन सोच लिया कि अब इनके लिए कुछ करना है।

ऐसे करते हैैं काम
रोज रात 10 से दो बजे तक इनकी बुलेट हैलट, उर्सला और सडक़ों पर रहती है। भर्ती लावारिस मरीजों को दवा और इलाज दिलाने के साथ साथ घर का बना नाश्ता और दूध देते हैैं। बुजुर्ग मरीजों की हाथ और पैरों की मालिश कराते हैं। किसी परेशानी पर अस्पताल प्रशासन से बातचीत कि कर मदद दिलाते हैं। मकसद सिर्फ इतना होता है कि कोई भी मरीज कराहें नहीं।

इलाज के बाद फैमिली से मिलाते
तरनजीत को लावारिस व्यक्ति की सूचना सोशल मीडिया, अनजान फोन कॉल्स या फिर एंबुलेंस ड्राइवरों से मिलती है। उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती कराते हैं। इलाज के बाद लावारिस शख्स से घर का पता जानकर अपनों से मिलाने का प्रयास करते हैं। अभी तक 20 से ज्यादा लोगों को अपनों से मिला चुके हैं। बस और ट्रेनों में जहरखुरानों के शिकार लोगों को भर्ती कराने और उन्हें घर पहुंचाने का भी काम करते हैं। हाल में ही वेस्ट बंगाल की एक महिला और पंजाब में दो लोगों को उनकी फैमिली से मिलवाया है।

फैमिली मेंबर्स भी देते साथ
कोरोना काल में जब लोग अपनों को छूने से कतरा रहे थे। तब भी ये अपने काम से पीछे नहीं हटे। अस्पताल में जाकर लावारिस मरीजों की सेवा में लगे रहे। होली, दिवाली, लोहड़ी, बर्थडे और मैरिज एनिवर्सरी को यह अस्पताल में ही मनाते हैैं। तरनजीत सिंह ने बताया कि उनके इस काम में पत्नी चरनजीत कौर, बेटी इश्मित कौर और बेटा जॉयदीप सिंह इनका साथ देते हैं। पत्नी रोज रात मरीजों के लिए नाश्ता तैयार करके देती हैं। तरनजीत ने अब तक 70, पत्नी चरनजीत 13 और बेटा जॉयदीप 15 बार ब्लड डोनेट कर चुका है।