पहले ही टेस्ट में नंबर दस पर बैटिंग करते हुए साल 1902 में ऑस्ट्रेलिया के रेगी डफ़ ने इंग्लैंड के खिलाफ मेलबर्न टेस्ट की दूसरी पारी में 104 रन बनाए थे। अबुल हसन ने इसी रिकॉर्ड को धराशायी किया है। खुलना में हो रहे दूसरे टेस्ट में एक समय पर बांगलादेश के 193 रनों पर आठ विकेट गिर गए थे। अबुल ने महमूदुल्लाह के साथ मिल कर नौंवे विकेट के सिए 184 रन जोड़े। आख़िरकार वे 113 रन बना कर एडवर्ड्स की गेंद पर आउट हुए। इस तरह वह पहला टेस्ट खेलते हुए नंबर दस पर सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बन गए। उन्होंने एक रिकॉर्ड और बनाया। वह बांगलादेश के दूसरे ऐसे बल्लेबाज बन गए जिन्होंने चाय के बाद और दिन का खेल ख़त्म होने से पहले एक सत्र में 100 रन बनाए।

इंग्िलश बल्ला

जैसे ही उन्होंने शतक पूरा किया उन्होंने अपना बल्ला गिरा दिया और महमूदुल्लाह से गले मिल कर शरारती ढ़ंग से मुस्कराए। क्रिस गेल ने उनसे मज़ाकिया अंदाज में पूछा, बरख़ुद्दार यह बल्ला कहाँ से मिला ? अबुल ने जवाब दिया, ‘ यह इंग्लिश बल्ला है जो तमीम भाई मेरे लिए लाए हैं.’ इस पारी के बाद उन्होंने अपने कारनामे का राज़ बताते हुए कहा,’मैं बल्लेबाज़ की तरह खेलना चाहता था। जब मैं अंडर 15 क्रिकेट खेलता था तो मैं बल्लेबाज़ हुआ करता था। गेंदबाज़ तो मैं बाद में बना। मेरी कोशिश यही थी कि अच्छी गेंद पर बचा रहूँ और खराब गेंद का फ़ायदा उठाऊँ.’

बांगलादेश के बल्लेबाज़ तमीम इक़बाल का कहना था,‘यह गज़ब की पारी थी। मैंने अब तक अपने पूरे करियर में किसी नंबर दस को इसना अच्छा खेलते हुए नहीं देखा। उनके कुछ शॉट तो असली बल्लेबाज़ जैसे थे जिन्हें खेल कर मुझे गर्व होता.’ ‘ये गज़ब की पारी थी। मैंने अब तक अपने पूरे करियर में किसी नंबर दस को इसना अच्छा खेलते हुए नहीं देखा। उनके कुछ शॉट तो असली बल्लेबाज़ जैसे थे जिन्हें खेल कर मुझे गर्व होता.’

वेस्ट इंडीज़ के कोच ओटिस गिब्सन भी उनके खेल से इतने ही प्रभावित दिखे। उन्होंने कहा, ‘मैंने इतनी नाटकीय पारी पहले कभी नहीं देखी। आप यह हरगिज़ नहीं चाहते कि आपका विरोधी इस तरह की पारी खेले। आप हमेशा यह चाहते हैं कि आपकी टीम का ही सदस्य इस तरह का कारनामा अंजाम दे.’ इस रिकॉर्ड के साथ साथ अबुल हसन अपने पहले ही टेस्ट में शतक लगाने वाले अमीनुल इस्लाम और मोहम्मद अशर्फ़ुल के बाद तीसरे बांगलादेशी बल्लेबाज़ बन गए।


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