-साथी की मौत के दोषियों पर कार्रवाई के लिए आइआइटी छात्रों ने कसी कमर

-ट्यूजडे को पूरे दिन करते रहे आइआइटी प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी

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KANPUR : गाजीपुर के रहने वाले पीएचडी स्कॉलर आलोक पांडेय की डेथ से आइआइटी छात्र खासे नाराज हैं। स्टूडेंट्स का आरोप है कि मृत छात्र का ट्रीटमेंट करने वाले डॉक्टर शैलेन्द्र किशोर ने इलाज में पूरी तरह से अनदेखी की, जिसकी वजह से साथी छात्र की असमय मौत हो गई। छात्रों का आरोप है कि पीएचडी स्कॉलर को दिल का दौरा पड़ा था, जबकि हेल्थ सेंटर के डॉक्टर ने पेन किलर इंजेक्शन लगा दिया।

24 घंटे में तीन प्वॉइंट पर प्रोटेस्ट

आइआइटी के सैकड़ों छात्रों ने मंडे शाम को ही हेल्थ सेंटर के बाहर प्रोटेस्ट शुरू कर दिया था। ट्यूजडे की सुबह तक यह प्रोटेस्ट हेल्थ सेंटर में चलता रहा। इसके बाद स्टूडेंट्स एकेडमिक एरिया के गेट नंबर 3 पर पहुंच गए और चिलचिलाती धूप में आइआइटी प्रशासन हाय हाय के नारे लगाने शुरू कर दिए। मंगलवार की शाम को स्टूडेंट्स ने आइआइटी मेन गेट बंद कर रोड जाम कर दिया। यहां पर स्टूडेंट ने मृत छात्र आलोक पांडेय की फोटो के साथ बीच सड़क पर बैठकर प्रशासन विरोधी नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामा बढ़ता देख कई थानों का फोर्स मौके पर पहुंच गया।

क्लास का बायकॉट कर प्रोटेस्ट किया

पहली बार आइआइटी स्टूडेंट्स का जिमखाना क्लब इस मैटर में अहम भूमिका निभा रहा है। स्टूडेंट्स के जिमखाना क्लब ने मेल चलाकर मंगलवार को स्टूडेंट्स से क्लास व लैब का बायकॉट करने का आग्रह किया था। हालांकि ट्यूजडे की सुबह कुछ क्लासेस का बायकॉट स्टूडेंट्स ने कर दिया। यही नहीं स्टूडेंट्स कैंपस में टोलियां बनाकर निकले और संस्थान प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। अहम बात यह रही कि इंस्टीट्यूट की एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग में जिमखाना क्लब के मेंबर क्लब प्रेसीडेंट आशुतोष राका शामिल नहीं हुए, जबकि वह प्रोटेस्ट के स्थान पर माैजूद थे।

गो बैक गो बैक, सेम सेम कह लौटाया

ट्यूजडे की दोपहर करीब तीन बजे इंस्टीट्यूट एडवाइजरी कमेटी के मेंबर प्रो। सीएस उपाध्याय, प्रो। सत्की रे, प्रो। संजय मित्तल, प्रो। वाइएन महापात्रा गेट नंबर तीन पर पहुंचे और प्रोटेस्ट कर रहे स्टूडेंट्स से इंट्रैक्शन किया। स्टूडेंट्स ने कमेटी से डिसीजन के बारे में पूछा तो वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। प्रोफेसर्स ने कहा कि वह कहीं और चल कर बात कर लें यहां ठीक नहीं रहेगा। जिसे स्टूडेंट्स ने एक सिरे से खारिज कर दिया। इसके बाद स्टूडेंट्स ने गो बैक और सेम सेम के नारे लगाकर कमेटी को बैरंग वापस कर दिया।

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हेल्थ सेंटर नहीं डेथ सेंटर

स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट के टाइम ड्रम बजाकर अन्य साथियों का ध्यान आकर्षित कर रहे थे। छात्र हाथों में स्लोगन लिखे हुए तख्ती लिए हुए थे। किसी में हेल्थ सेंटर नहीं डेथ सेंटर लिखा था। जस्टिस फॉर आलोक, जब हॉस्पिटल ही बीमार हो तो क्या करेगा हमारा सुधार, कैंपस में छाई मौत की आंधी डायरेक्टर ने आंखों पर बांधी पट्टी, जिसने आलोक को मारा है, वह डॉक्टर हत्यारा है, कौम के जो काम न आए वो बेकार जवानी है जैसे नारे स्टूडेंट्स लगाकर अपना विरोध दर्ज करा रहे थे।

इंस्टीट्यूट का प्राइमरी हेल्थ सेंटर

आइआइटी के प्राइमरी हेल्थ सेंटर में करीब 10 रूम हैं, जिसमें कि 31 बेड हैं। सेंटर में होम्योपैथी के चिकित्सक समेत 12 डॉक्टर्स तैनात हैं। डॉक्टर्स की नाइट ड्यूटी भी लगती है। सेंटर में 11 नर्स भी काम करती हैं। नाइट शिफ्ट में दो नर्स रहती हैं। अन्य दो शिफ्ट में 3-3 नर्स ऑन ड्यूटी होती हैं। जरा भी क्रिटिकल केस होता है तो आइआइटी सिटी के दो प्रॉमिनेंट हॉस्पिटल एसपीएम कल्यानपुर और रीजेन्सी हॉस्पिटल सर्वोदय नगर से टाईअप किए हुए है। सेंटर में डॉ। आरके जैस कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ। नीलम जौहरी आई एक्सपर्ट, डॉ। ऋतु निगम गायनी, डॉ। गौरव आर्य बालरोग, डॉ। प्रेरणा सिंह एमडीएस हैं।

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पीएचडी स्कॉलर आलोक पांडेय की डेथ दुखद है। इंस्टीट्यूट ने मेडिकल फील्ड के एक्सपर्ट की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित करने का डिसीजन लिया है। इसमें कैंपस में कोई भी मेंबर नहीं होगा। बुधवार तक कमेटी के नाम तय हो जाएंगे इसमें जिला प्रशासन से हेल्प ले रहे हैं। कमेटी दो दिन में जो रिपोर्ट देगी उसी के बेस पर दोषियों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। रही बात स्टूडेंट्स की डिमांड की तो एक केस में दो एफआईआर दर्ज नहीं होती हैं। हेल्थ सेंटर का रिव्यू किया जाएगा।

-प्रो। इन्द्रनील मान्ना, डायरेक्टर, आइआइटी।