- जाजमऊ का पुराने गंगा पुल की हालत दिन ब दिन होती जा रही है जर्जर

- रेलिंग जंग खा चुकी, सड़क पर हो गए गढ्डे सरिया तक बाहर निकलने लगी

KANPUR : नाम: जाजमऊ गंगा पुल, स्थान- कानपुर-लखनऊ हाईवे, उम्र 41 साल और हालत ऐसी हो रही है मानों कोई बीमार होकर अस्पताल के वेंटीलेटर में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा हो। जी हां, जाजमऊ गंगा पुल के हालात बखान करने के लिए ये शब्द अतिश्योक्ति नहीं कहलाएंगे। इसकी मजबूती की तुलना पुराने गंगा पुल (कानपुर-शुक्लागंज ओवरब्रिज) से की जाए तो पुराने पुल को ही अधिक नम्बर मिलेंगे।

गोवा-मुंबई हाईवे के मेहाड़ में बीते ट्यूजडे की रात को सावित्री नदी की तेज धार में अग्रेजों के जमाने का 80 साल पुराना बना ओवरब्रिज बह गया। 29 जानें चली गई और उनमें अधिकतर की लाशें भी नहीं मिल सकी। इस हादसे को देखते हुए देश के उन सभी पुलों की चिन्ता होना जरूरी है, जो सालों पुराने हो चुके हैं। शहर में भी कई पुल हैं जिसमें कानपुर-लखनऊ हाई वे पर बना जाजमऊ गंगा पुल भी एक है। आई नेक्स्ट ने इस पुल का रियलिटी चेक किया तो देखने में ही इस पुल की हालत जर्जर नजर आ रही है। हैवी वाहनों के चलने पर पुल इतना कांपता है दिल डर जाए।

छह साल पहले हुई थी रिपेयरिंग

सन 1975 में इस पुल को ट्रैफिक के लिए खोला गया। इसके चालू होते ही पुराने गंगापुल पर हैवी वाहनों के संचालन पर रोक लगा दी गई। कानपर-लखनऊ आने-जाने वाले हैवी व्हीकल इसी पुल पर दौड़ने लगे। समय के साथ ट्रैफिक बढ़ा तो समानान्तर एक पुल की और आवश्यकता महसूस की गई। सात साल पहले समानान्तर पुल भी बन कर चालू हो गया। इसके पहले ही जाजमऊ के इस पुराने पुल की हालत बिगड़ने लगी थी। एनएचएआई ने छह साल पहले पुल को बंद कर इसकी रिपेयरिंग कराई। रिपेयरिंग के बाद इस पर वनवे ट्रैफिक कर दिया गया है।

पत्ते की तरह कांपने लगता है

सटरडे को आई नेक्स्ट रिर्पोटर ने इस पुल का मौके पर जाकर जायजा लिया तो हालत चिंतनीय लगी। गंगा के एक बड़े पाट पर बने इस पुल को 24 घंटे की गंगा की तेज लहरों का सामना करना पड़ता है। वनवे ट्रैफिक करके वाहनों का लोड कम करने की कोशिश जरूर की गई, लेकिन इतने में ही पुल जब कोई ट्रक गुजरता है तो ऐसे कांपता है जैसे पत्ता। यही नहीं पुल को सुरक्षित रखने वाली रेलिंग में जंग लग चुका है और कई जगह से टेढ़ी भी हो चुकी है।

सरिये का जाल बाहर आ गया

अब यहां की सड़क पर नजर डाल लीजिए। वाहन से गुजरते समय हिचकोला लेते हुए ही चलना पड़ेगा। कई जगह से टूट चुकी इस सड़क पर कई स्थानों पर सरिये का जाल भी बाहर आ गया है। गढ्डा जैसा बन जाने की वजह से वहां से गुजरने वाले वाहनों के टायर भी सरिया की चपेट में आकर कटते रहते हैं। जिस जगह सरिये के जाल निकल रहे हैं वहां की सड़क काफी कमजोर हो गई है। वाहन अपनी गति धामी कर देते हैं। अगर हैवी वाहन तेज रफ्तार से गुजरेगा तो यह हिस्सा खतरनाक हो सकता है।

(पि1ब्लक वर्जन)

पब्लिक भी डरने लगी

- इस पुल पर पहले इतने ट्रैफिक का लोड पड़ गया कि यह समय से पहले ही जर्जर हो गया।

मनोज शुक्ला

- लखनऊ जाता रहता हूं। इस पुल से गुजरते समय न जाने क्यों अजीब सा डर लगने लगा है।

उमंग अग्रवाल

- यह पुल एक सिरे से ओवरहालिंग मांग रहा है। अगर ध्यान नहीं दिया गया तो हादसा हो सकता है।

महेश मेघानी

- कहने को 41 साल पुराना है ये ब्रिज लेकिन हालत ऐसी हो गई है कि मानो 100-150 साल पुराना हो।

घनश्याम त्रिपाठी