-आई नेक्स्ट ने 27 अगस्त को ही पुलिस के खेल का किया था खुलासा

-कोर्ट ने आरोपी लड़की को नाबालिग माना, अब जमानत की राह हुई आसान

-जेल से बाल सुधार गृह भेजी जाएगी किशोरी, दीवाली तक हो सकती है बेल

-बचाव पक्ष ने लड़की को पीटने वालों और पुलिस के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी की

KANPUR :

शहर की पुलिस की किस तरह से नाबालिग को बालिग बताकर जेल भेज देती है, इसका खुलासा कर्नलगंज के दीपेंद्र मर्डर केस में हो गया। इसमें पुलिस ने आरोपी लड़की के नाबालिग होने के बाद भी उसको बालिग बताकर जेल भेज दिया था, जबकि उसके परिजन चिल्ला-चिल्लाकर लड़की के नाबालिग होने का दुहाई दे रहे थे। आई नेक्स्ट ने पुलिस के इस खेल का पहले ही पर्दाफाश कर दिया था। अब कोर्ट ने भी आई नेक्स्ट की इस खबर पर मोहर लगा दी है। कोर्ट ने आरोपी लड़की को नाबालिग मानते हुए उसको जेल से बाल सुधार गृह भेजने का आदेश दिया। इस केस में पुलिस की भूमिका शुरुआत से ही गैरजिम्मेदाराना रही है, लेकिन आला अधिकारी सबकुछ जानने के बाद भी आंख बन्द किए हैं। पुलिस ने इस हत्याकांड में पहले आरोपी लड़की का अ‌र्द्धनग्न जुलुस निकालकर उसकी लज्जा भंग की फिर पूरी रात उसको हवालात में रखने और मेंटल टॉर्चर करने की हरकत की। सवाल ये है कि वो नाबालिग है तो उसे जेल क्यों भेजा गया? आईनेक्स्ट ने इस मामले में खुलासे पर खुलासा किया लेकिन अधिकारियों के कान पर जूं नहीं रेंगी। सवाल ये है कि अब अदालत के आदेश के बात आलाधिकारी इस मामले के लिए जिम्मेदार पुलिस वालों पर कार्रवाई करते हैं या नहीं।

क्या था मामला?

कर्नलगंज से ख्ख् जुलाई को लापता दीपेंद्र का शव थाने के पीछे एक कुएं में मिला था। गुस्साए परिजन समेत इलाकाई लोगों ने दीपेंद्र की कथित प्रेमिका कविता पर शक जताते हुए उसे बुरी तरह पीटते हुए कपड़े फाड़ दिए थे। वो मदद के लिए चिल्लाती रही, लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी है। हद तो तब हो गई, जब पुलिस अ‌र्द्धनग्न हालत में उसको एक किलोमीटर दूर स्थित थाने उसी हालत में पैदल ले गई, जबकि ऑफिसर के पास उस समय जीप भी मौजूद थी। पुलिस ने युवती को जीप में बैठाने की जरूरत भी नहीं समझी। जीप आगे चलती रही और पुलिसकर्मी पैदल ही युवती का अ‌र्द्धनग्न जुलूस निकालकर थाने ले गए। जहां पर उसको हिरासत में ले लिया गया और अगले दिन उसको ही आरोपी बनाकर केस का खुलासा कर दिया गया।

ख्7 अगस्त को आई नेक्स्ट ने किया था खुलासा

आई नेक्स्ट दीपेंद्र हत्याकांड की लगातार तफ्तीश कर रहा है। आई नेक्स्ट की टीम ख्7 अगस्त को आरोपी लड़की के घर पहुंची, तो उसके पिता फूट-फूटकर रोने लगे। उन्होंने दोबारा पुलिस पर बेटी को फर्जी फंसाने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी तो नाबालिग है, लेकिन पुलिस ने उनकी एक भी नहीं सुनी और उसको बालिग बताकर जेल भेज दिया। जिससे उसकी जमानत नहीं हो पा रही है। उसका जेल में बुरा हाल है। उन्होंने सुबूत के रूप में आरोपी लड़की यानि कविता की मॉर्कशीट दिखायी। जिसमें उसकी उम्र ख्म् जुलाई क्998 है, यानि वो पुलिस हिरासत के दिन क्म् साल ख्ख् दिन की थी।

पुलिस ने जानबूझकर बनाया बालिग

दीपेंद्र हत्याकांड में पुलिस की भूमिका शुरुआत से संदिग्ध है। पुलिस ने पहले तो बिना जांच के कविता को आरोपी बनाकर गिरफ्तार कर लिया और उसको मां, पिता और बहन के साथ थाने में पूरी रात हिरासत में रखा। पुलिस ने पड़ताल करने की भी जरूरत नहीं समझी। पुलिस के सामने मृतक के परिजन समेत अन्य लोग उसको पीटते रहे और पुलिस मूकदर्शक बनी रही। पुलिस ने अगले दिन केस को खोल भी दिया और उसे झूठ बोलकर जेल भेज दिया। परिजन एसओ के सामने बेटी की बेगुनाह होने की दुहाई देते रहे और एसओ ने उनकी एक भी नहीं सुनी।

एक संस्था की मदद से मिला वकील, फ्री में लड़ रहे हैं केस

आई नेक्स्ट ने सरेआम लड़की का अ‌र्द्धनग्न जुलूस निकालने के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है। जिसके चलते लड़की मदद के लिए कई संस्थाएं और वकील आगे गए। एक संस्था के जरिए लड़की को वकील मिल गया है। उसका केस एडवोकेट राजेश चतुर्वेदी फ्री में लड़ रहे हैं। मुकदमे में कागजी खर्च संस्था उठा रही है। संस्था ने लड़की के परिजनों के आर्थिक रूप से कमजोर होने पर उसकी जमानत का भी इंतजाम कराने की भरोसा दिलाया है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया

सीएमएम कोर्ट में दीपेंद्र हत्याकांड की सुनवाई चल रही है। जिसमें एडवोकेट राजेश ने कविता को नाबालिग घोषित करने की अपील करते हुए सबूत के रूप में मार्कशीट और टीसी पेश की थी। स्कूल की प्रिंसिपल अलका मिश्रा ने कोर्ट में पेश होकर गवाही भी दी। अभियोजन पक्ष के विरोध करने पर कविता का मेडिकल कराया गया। जिसमें उसकी उम्र क्9 वर्ष बताई गई, तो कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के तीन आदेश का हवाला देते हुए उसे नाबालिग घोषित किया। एडवोकेट राजेश के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने ज्योति प्रकाश राय बनाम स्टेट ऑफ बिहार में आदेश कर निर्धारित किया है कि आरोपी की आयु निर्धारण में एक से दो साल कम या ज्यादा किया जा सकता है। जिसके आधार पर कोर्ट ने उसको नाबालिग घोषित किया।

पुलिस ने गलत नाम में कराया था रिमाण्ड

दीपेंद्र हत्याकांड में पुलिस विवेचना में घोर लापरवाही की है। इसमें पुलिस ने कविता का गलत नाम पर रिमाण्ड करा दिया था। पुलिस ने उसकी नाम की तस्दीक करने की भी जरूरत नहीं समझी, जबकि थाने से आरोपी लड़की का घर करीब एक किलोमीटर दूर है। एडवोकेट राजेश चतुर्वेदी के मुताबिक इस केस में उनके मुवक्किल का वैष्णवी, अंकिता और लाडो नाम दर्शाया गया है, जबकि उसका असली नाम कुछ और है। चूंकि वो नाबालिग है, इसलिए आई नेक्स्ट उसका असली नाम नहीं लिख रहा है।

अब फंसेगी कर्नलगंज पुलिस

पीडि़त नाबालिग के वकील राजेश चतुर्वेदी ने बताया कि वह 7 अक्टूबर को कोर्ट में नाबालिग की बेल एप्लीकेशन डॉलेंगे। इसके बाद वह उन पुलिस वालों जिन्होंने उसे बालिग बना कर जेल भेजा और उसे पीटने वाले लोगों के खिलाफ केस करेंगे। नाबालिग को अ‌र्द्धनग्न हालत में पैदल थाने तक लाने वालों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई के लिए कोर्ट से अनुरोध करेंगे। राजेश चतुर्वेदी की मानें तो पीडि़त को पीटने व उसे अ‌र्द्धनग्न हालत में थाने ले जाने में जो भी शामिल हैं उनके खिलाफ लज्जा भंग, मारपीट से लेकर पीटा एक्ट में मामला बन रहा है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खुलेआम उड़ाई धज्जियां

- लोगों के पीटने के बाद अ‌र्द्धनग्न हालत में नाबालिग को पैदल थाने तक लाया गया।

- पीडि़त युवती को पूरी रात थाने में हिरासत में बैठाए रखा, जबकि उसे महिला थाने भेजा जाना चाहिए था।

-एनसीआर दर्ज की लेकिन उसे एफआईआर में आज तक तब्दील नहीं किया

- हत्यारोपी बनाने के बाद नाबालिग की गलत नाम से ली रिमांड

- पीडि़त लड़की की मेडिकल रिपोर्ट में खेल कर बालिग दिखाया और जेल भेज दिया

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पूरे पुलिसिया तंत्र ने की खानापूरी

दीपेंद्र हत्याकांड की जांच में जो भी घालमेल हुआ जिसके चलते एक नाबालिग को एक महीने से ज्यादा समय तक जेल में रहना पड़ा उसे पूरे पुलिस महकमे का समर्थन था। तभी तो मानवाधिकार आयोग के डीजीपी को नोटिस जारी करने के बाद तत्कालीन एसपी क्राइम एमपी वर्मा ने मामले की जो जांच की उसमें आरोपी पुलिस वालों को क्लीनचिट दे दी। अब सवाल यह उठता है आखिर किन तथ्यों के आधार पर कर्नलगंज पुलिस को जांच में क्लीन चिट दी गई।