डेविड कैमरन ने कहा कि उन्होंने ये फ़ैसला देश हित में किया है। यूरोप में उभरे क़र्ज़ संकट के मद्देनज़र तैयार नई संधि में सभी सदस्य मुल्कों के बजट के लिए कड़े दिशा निर्देशों का प्रावधान है और जिसमें संघ को भी सुझाव और दख़ल देने का अधिकार होगा।

भरोसे

ब्रितानी प्रधानमंत्री का कहना था कि वो ब्रसेल्स इस भरोसे के साथ गए थे कि समझौते में यूरोपीय संघ के सभी 27 देश शामिल होंगे लेकिन उन्हें लगा कि संधि के भीतर ब्रिटेन के आर्थिक हितों की रक्षा संभव नहीं हो पाएगी।

लेकिन विरोधी लेबर पार्टी ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री का ये फ़ैसला अपने राजनीतिक दल के भीतर यूरोपीय संध विरोधी ख़ेमे को खुश करने के लिए लिया गया था।

संसद में हुई कारवाई के दौरान डेविड कैमरन की साझा सरकार के दूसरे धड़े - लिब्रल डेमोक्रेट पार्टी के नेता और उप-प्रधानमंत्री निक क्लेग अनुपस्थित थे।

उप-प्रधानमंत्री भी ख़िलाफ़

लेबर पार्टी ने प्रधानंत्री पर ये कहते हुए कटाक्ष किया कि वो अपने फ़ैसले से अपने उप-प्रधानमंत्री को भी सहमत करवाने में असमर्थ रहे हैं। निक क्लेग ने बाद में कहा कि वो नहीं चाहते थे कि उनकी उपस्थिति मामले को नया मोड़ दे।

निक क्लेग ने बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में साफ़ तौर पर कहा था कि डेविड कैमरन का फ़ैसला "ब्रिटेन के लिए बूरा संदेश है" जिससे "वो अलग-थलग पड़ जाएगा और उसके प्रभाव में कमी आएगी."

उप-प्रधानमंत्री का कहना था कि इसका असर देश में रोज़गार और ब्रिटेन की आर्थिक प्रगति पर होगा। हालांकि उन्होंने साफ़ किया कि इसका असर साझा सरकार पर नहीं पडे़गा।

राजनयिक तबाही

उन्होंने इस बात से भी इंकार किया कि दोनों गठबंधन दलों के बीच उभरे ये मतभेद साझा सरकार के अंत की शुरूआत है। लेबर पार्टी के नेता एड मिलिबैंड ने प्रधानमंत्री पर एक राजनयिक तबाही की स्थिति पैदा करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि देश हित की रक्षा की बजाए प्रधानमंत्री ने एक ऐसी स्थिति पैदा की है जिसमें यूरोप के मामलों में ब्रिटेन का कोई दख़ल नहीं रह जाएगा।

ब्रिटेन के संधि में शामिल होने से इंकार करने के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति ने एक बयान में कहा है कि ब्रसेल्स में हुए निर्णय से साफ़ हो गया है कि "अब दो यूरोप मौजूद हैं." लेकिन नए समझौते को संधि में तबदील किए जाने से पहले कई देशों के संसदों से मंज़ूरी मिलनी है।

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