संस्था का कहना है कि धुम्रपान करने वालों की संख्या में आई भारी कमी और इलाज के साधनों में बेहतरी की वजह से बीमारी से होने वाली मौतों में 17 फ़ीसदी की गिरावट आएगी।

साल 2010 में हर एक लाख में से 170 मौतें कैंसर की वजह से हुई थीं। लेकिन 2030 तक ये संख्या लाख में 142 ही रह जाएगी। जिस तरह के कैंसर के रोग और मौतों में कमी आएगी उनमें फेफड़े, स्तन, आंत और प्रॉस्टैट कैंसर शामिल हैं। अध्ययन में कहा गया है कि गर्भाशय के कैंसर में 43 प्रतिशत गिरावट आएगी।

लंदन विश्वविद्यालय के क्वीन मेरी कालेज के प्रोफेसर पीटर सासेनी का कहना है, "हमारे अनुमान के मुताबिक़ आने वाले दशकों में कैंसर के रोग से होने वाली मौतों में भारी गिरावट आएगी."

हालांकि लोगों के जीवन काल में बढ़ोतरी हो रही है इसलिए कैंसर के रोग से पीड़ित लोगों और मौतों की कुल तादाद में इज़ाफ़ा होगा लेकिन इस बीमारी से हुई मौतों का प्रतिशत कुल हुई मौतों में कम होगा।

बढ़ोतरी

हालांकि कलेजे और मुंह के कैंसर की बीमारियों में अगले दो दशकों में बढ़ोतरी की बात कही गई है। ब्रितानी कैंसर रिसर्च संस्था के कार्यकारी प्रमुख डॉक्टर हरपाल कुमार का कहना है, "नए आंकड़े काफ़ी उत्साहवर्धक है और दर्शाते है कि हम इस क्षेत्र में कितनी प्रगति कर रहे हैं." उनका कहना था कि इस क्षेत्र में हो रहे शोध अपनी भारी छाप छोड़ रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि हालांकि कैंसर के इलाज में बहुत तरक्क़ी है लेकिन हमें अभी बहुत कुछ करना है। विभाग का कहना था कि उनका लक्ष्य है कि साल 2015 तक वो कैंसर के कम से कम पांच हजा़र और मरीज़ों की जान बचा पाएं।

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