कानपुर (ब्यूरो)। कानपुराइट्स की सांसों में जहर घोलकर सिर्फ लंग्स को ही नहीं प्रभावित कर रहा है, बल्कि चेहरे की रौनक भी चुरा रहा है। यह हम नहीं बल्कि हैलट के स्किन रोग डिपार्टमेंट में बड़ी संख्या में ट्रीटमेंट के लिए पहुंच रहे पेशेंट के आकड़े बया कर रहे हैं। डेली हॉस्पिटल में ट्राइकोस्पोरम फंगस से ग्रसित पेशेंट ट्रीटमेंट के लिए पहुंच रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि हवा में मौजूद ट्राइकोस्पोरम फंगस स्किन की सतह की कोशिकाएं से क्रेटिन नाम के प्रोटीन को भोजन के रूप में खाकर चेहरे के ग्लो को खत्म कर देता है। जिससे चेहरे पर हल्के सफेद व काले चकत्ते पड़ जाते हैं।

बच्चों से लेकर बूढे तक
पॉल्यूशन की वजह से हवा में मौजूद ट्राइकोस्पोरम फंगस के कण लोगों के चेहरे की खूबसूरती में दाग लगा रहे हैं। हैलट हॉस्पिटल के स्किन रोग डिपार्टमेंट की ओपीडी में इन दिनों डेली 100 से अधिक पेशेंट ट्राइकोस्पोरम फंगस से ग्रसित होकर पहुंच रहे हैं। इनमें महिला, पुरुष व बच्चे सभी शामिल हैं। जिनके चेहरे में काले व सफेद रंग के चकत्ते पड़ रहे हैं। पॉल्यूशन से बचाव व नियमित ट्रीटमेंट करने पर लगभग दो सप्ताह में पेशेंट को रिलीफ भी मिल रही है।

धीरे-धीरे पूरे चेहरे पर
हेलट के स्किन रोग डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। डीपी शिवहरे ने बताया कि इस फंगस के पार्टिकल को पोर्स कहते हैं, ये चेहरे की स्किन पर चिपक कर कोशिकाओं में मौजूद क्रेटिन प्रोटीन को भोजन के रूप में यूज करते हैं और उसके बाद धीरे-धीरे पूरे चेहरे पर फैल जाते हैं। यह कण नमी वाले क्षेत्रों में पनपते हैं। नमी वाले स्थानों पर इस संक्रमण का प्रभाव अधिक देखने को मिलता है।

बाल झड़ते, डैंड्रफ का खतरा
प्रो। डीपी शिवहरे ने बताया कि इस फंगस से बाल झडऩे और डैंड्रफ का खतरा भी बढ़ जाता है। बालों में फंगस घुसने से डैंड्रफ बढ़ जाता है और साथ ही छोटे-छोटे रिंग बन जाते हैं। इस दौरान इस दायरे में आने वाले बाल कम हो जाते हैं। बिना बाल के इस हिस्से को टोनिया कैवीटस कहा जाता हैं। जिसके ट्रीटमेंट में लंबा समय लगता है। एक से दो महीने तो कभी छह महीने तक रेगुलर मेडिसिन का यूज करना पड़ता है।

हाथों के बगल में भी संक्रमण
फंगल इंफेक्शन चेहरे और सिर के अलावा बगलों और जांघों में भी होता है। संक्रमित व्यक्ति अगर इस पर ध्यान न दे तो यह संक्रमण बढ़ता चला जाता है। तब ये बैक्टीरियल संक्रमण हो जाता है। धीरे-धीरे यह संक्रमण पूरे शरीर में फैल जाता है। वही, साथ में रहने वाले लोग भी इस संक्रमण की जद में आ सकते हैं।