- प्रतिबंध के बावजूद गेस्ट हाउसों में देर रात तक तेज आवाज में बज रहे डीजे

- परीक्षा की तैयारी में जुटे बोर्ड स्टूडेंट्स का हो रहा ध्यान भंग, प्रशासन बेफिक्र

UNNAO: आम तौर पर शादी पार्टी या अन्य समारोहों में सभी गेस्ट हाउसों में डीजे व लाउडस्पीकर रात क्क् बजे के बाद बजाने पर कोर्ट का प्रतिबंध है, लेकिन आयोजकों और गेस्ट हाउस संचालकों में पुलिस व कानून का डर खत्म हो चुका है। इसी कारण से गेस्ट हाउसों में देर रात तक तेज आवाज में म्यूजिक बजाने का आम चलन जारी है। ये हाल तब है जबकि बोर्ड परीक्षाएं चल रही हैं। आधी रात तक तेज आवाज में म्यूजिक बजने से स्टूडेंट्स डिस्टर्ब हो रहे हैं। वे पढ़ाई में फोकस नहीं कर पा रहे हैं।

कोई उनके बारे में तो सोचो

शहर में अभी शादी ब्याह का दौर थमा नहीं है। बल्कि आचार्यो आदि की मानें तो फरवरी के साथ साथ मार्च माह के अंत तक मांगलिक कार्य चलेंगे। ज्यादातर कार्यक्रमों में की रौनक अब लोग तेज आवाज में बजने वाले म्यूजिक डीजे से ही मानते हैं। हाई बीट्स म्यूजिक पर मेहमान और मेजबान देर रात तक थिरकते हैं। डीजे की आवाज इतनी तेज होती है कि कई किलोमीटर तक साफ सुनाई देती है। बची खुची कसर बैंडबाजे के साथ निकलने वाली बारात से पूरी हो जाती है।

तैयारी में खलल

इन्हीं पार्टी व अन्य आयोजनों के बीच हाईस्कूल, इंटर की बोर्ड और स्नातक की परीक्षाएं का भी मौसम शुरू हो गया है। जहां एक तरफ आयोजक अपने आयोजन के जश्न को शानदार करने के लिए डीजे, आर्केस्ट्रा, बैंड बाजे जैसे आइटमों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं वहीं दूसरी तरफ परीक्षा में सफलता के लिए देररात तक छात्र पढ़ाई करते हैं। ऐसे में इन ध्वनि विस्तारक सयंत्रों का शोर उनकी तैयारी पर खलल डालता है। एकाग्रता न हो पाने से पढ़ाई संभव नहीं हो पाती। वैसे न्यायालय के आदेश हैं कि रात दस बजे के बाद तेज आवाज में डीजे आदि न बजाया जाए। इसे रोकने की पूरी जिम्मेदारी पुलिस की है, लेकिन पुलिस इन मामलों में दखल देना पसंद नहीं करती है।

इतने डेसीबल में होती है समस्या

8भ् डेसीबल में सुनने की क्षमता कम होने लगती है। क्ख्0 डेसीबल शोर कान में दर्द होने लगता है। ब्भ् डेसीबल शोर के वातावरण में नींद नहीं आती। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय प्रबंधक डॉ। राम करन ने बताया कि शोर के कारच्च बच्चों का पढ़ाई से मन भटक जाता होगा। इन दिनों रात को छात्र पढ़ाई करते हैं, ऐसे में रात के समय शोर नहीं करना चाहिए। नींद न आने और अधिक शोर होने के कारण सिर दर्द हो सकता है। पढ़ाई के दबाव म“ं बच्चे में मानसिक तनाव भी बढ़ सकता ह“। बच्चों में ब्लड प्रेशर और माइग्रेन जैसी समस्या हो सकती है।