- आज से शुरू हो रहा है मलमास, 17 जुलाई से श्रीहरि शयन को जाएंगे

- 15 नवम्बर से शुरू होगी सहालग, एक महीने ही रहेंगे मुहूर्त

KANPUR:'आज मेरे यार की शादी हैऐसा लगता है सारे संसार की शादी है' शादी में बजने वाला यह गीत व शहनाई की धुन पांच महीने के लिए शांत हो गई है। दुल्हनिया लाने की ख्वाहिश मन में संजोए दुल्हों को अब थोड़ा लंबा इंतजार करना पड़ेगा। बुधवार से मलमास शुरू हो रहा है, जो 16 जुलाई तक चलेगा। इसके बाद 17 जुलाई से 15 नवम्बर तक के लिए श्रीहरि शयन पर चले जाएंगे। हिन्दू धर्मग्रंथों के मुताबिक श्रीहरि शयन के दौरान मांगलिक कार्य पूर्णत: निषेध होते हैं।

35 माह में एक बार मलमास

कालचक्र गणना के मुताबिक प्रत्येक 35 माह में एक बार मलमास अर्थात पुरुषोत्तम मास होता है। यह मास किसी भी महीने में पड़ सकता है। जिस मास में भी मलमास का योग बनता है उस माह की गणना दो बार की जाती है। इस बार मलमास अषाढ़ में होने के कारण मांगलिक कार्यो के लिए अशुभ है। कहा जाता है कि इस दौरान मांगलिक कार्य करने पर उनका फल विपरीत हो जाता है। काल गणना के अनुसार 35 माह बीतने पर मलमास उसके बाद पुन: 35 माह बीतने के बाद षट मास होता है। मलमास की अवधि तीस दिन और षट मास की अवधि 15 दिन की प्रमाणित है। इस तरह के मासों की उत्पत्ति तिथियों के घटने बढ़ने से बनती है।

मलमास में क्या न करें

इस मास में मांगलिक कार्य पूरी तरह से वर्जित है। विवाह, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, चूड़ाकर्म, तीर्थयात्रा, जैसे कार्य करना वर्जित है। चूंकि इस समय किए जाने वाले मांगलिक कार्य फलदायी नहीं होते है। माना जाता है कि इस समयावधि में किए गए कार्य जीवन में विपरीत प्रभाव डालते हैं।

क्या करना चाहिए

मलमास का समय भगवान की पूजा और आराधना के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस समय में भगवान विष्णु और भगवान शंकर की पूजा आराधना का विशेष फल मिलता है। पार्थिव शिव¨लगों का निर्माण, विष्णु पुराण का पाठ, करने से विशेष फल मिलता है। धर्म ग्रन्थो के उल्लिखित है कि इस दौरान आराधना का हजार गुना पुण्य फल प्राप्त होता है।

'बुधवार से मलमास शुरू हो रहा है जो कि 16 जुलाई तक रहेगा। इसके बाद हरिशयन का समय शुरू होगा। जिस दौरान भगवान निद्रा में रहते है। इस लिए इस बीच मांगलिक कार्य पूर्णत: वर्जित है। 15 नवम्बर से 15 दिसम्बर तक भगवान ब्रम्ह मुहूर्त में होने के कारण इस दौरान सभी कार्य किए जाएगे। जबकि 16 दिसम्बर से 13 फरवरी तक फिर से मांगलिक कार्य न होने का योग है.' आचार्य दीपक शास्त्री