- यात्रियों की शिकायत पर आई नेक्स्ट ने किया रियलिटी चेक, रेलवे खानपान विभाग का बेस किचन बना शौचालय के बगल में

- पीएम के स्वच्छता अभियान को यह बेस किचन दिखा रहा ठेंगा

KANPUR। सेंट्रल स्टेशन से गुजरने वाली सैकड़ों ट्रेनों के हजारों यात्री बदबूदार खाना खाने को मजबूर हैं। जिसकी क्वालिटी भी काफी गिरी होती है। इस मामले की शिकायत यात्रियों ने आई नेक्स्ट से फोन पर की तो टीम ने मामले की पड़ताल की, जिसमें सामने आया कि रेलवे खानपान विभाग ने अपना बेस किचन सेंट्रल स्टेशन सिटी साइड यात्री हॉल में बने सार्वजनिक शौचालय के बगल में बना रखा है। इस वजह से शौचालय में लगे नल के पानी से खाना बनाया जाता है। जिसमें बना भोजन रेलवे खानपान विभाग हजारों यात्रियों को प्रतिदिन खिला रहा है। इस मामले पर जब आई नेक्स्ट ने सेंट्रल स्टेशन खानपान प्रभारी पीएस चौहान से दो टूक वार्ता की तो उन्होंने इलाहाबाद के उच्च अधिकारियों के आदेश पर शौचालय के बगल में खाना बनने की बात कह कर मामले को टाल दिया।

नियम ताक में रख बनाया जाता खाना

रेलवे बोर्ड द्वारा खानपान विभाग में लागू किए गए नियमों को ताक में रख कर खाना बनाया जा रहा है। जिसमें छोला चावल में छोले की जगह आलू की सब्जी व अच्छे चावल की जगह कम क्वालिटी का चावल यात्रियों के सामने परोसा जाता है। जिसका यात्री चाह कर भी विरोध नहीं कर सकते हैं।

अतिरिक्त लंच पैकेट बना किया जाता ब्लैक

खानपान विभाग सूत्रों की माने तो नियम के मुताबिक सेंट्रल स्टेशन में रेलवे खानपान विभाग के बेस किचन में कुल 750 लंच पैकेट बनाए जा चकते है। जहां वर्तमान में हजारों की संख्या में लंच पैकेट तैयार हो रहा है। बेस किचन से प्लेटफार्म पर कार्यरत वेंडर व रेल आहार स्टॉल में भी यह अतिरिक्त लंच पैकेट ब्लैक किए जाते हैं।

पांच रुपये अतिरिक्त में बेचते लंच पैकेट

रेलवे बोर्ड द्वारा लंच पैकेट के कवर में उसका रेट 15 रुपये लिखा है। इसके बावजूद वेंडर द्वारा खानपान विभाग से ब्लैक में लिए गए लंच पैकेट को यात्रियों को 20 रुपये में बेचा जाता है। जिसका विरोध यात्री चाह कर भी नहीं कर पाता है। कई बार यात्री के विरोध करने पर वेंडर मारपीट पर उतर आते हैं।

इन ट्रेनों में बेचा जा रहा पैकेट

सेंट्रल स्टेशन खानपान विभाग के सूत्रों के मुताबिक दिल्ली हावड़ा रूट की सीमांचल, कालका, नीलांचल, सम्पूर्ण सम्पर्क क्रांति, नार्थईस्ट एक्सपे्रस समेत लम्बी दूरी से आने वाली दर्जनों ट्रेनों में सैकड़ों यात्रियों को इस बेस किचन में बना खाना खिलाया जाता है। जोकि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी सिद्ध होता है।

ठंड के दौरान खूब चलता गोरखधंधा

ठंड के दौरान इनका गोरखधंधा खूब फलता फूलता है। कोहरे से प्रभावित दर्जनों ट्रेनों के यात्री भूखे प्यासे सेंट्रल स्टेशन में आते है। जोकि इस कदर भूखे होते है कि वह लंच पैकेट में लिखा लंच पैकेट का एमआरपी भी नहीं देखते है और मजबूरन पेट भरने की स्थित में पूरा खाना भी खा जाते हैं।

यात्रियों से बातचीत

प्लेटफार्म में बिक रहा खाना कौन खाना चाहता है। मजबूरन खाना पड़ता है।

सुनील कुमार, फिरोजाबाद

प्लेटफार्म पर बिकने वाला खाना सस्ता पड़ता है। जिसको जैसे तैसे खाकर पेट भर जाता है।

रेजू, बांग्लादेश

खाने में कोई स्वाद ही नहीं होता है। सफर के दौरान यह खाना सिर्फ भूख मारने के लिए होता है।

मफ्तजल, बांग्लादेश

पेट भरना है तो जितने पैसे में खाना मिलेगा उनमें में खरीदना मजबूरी है।

शीला कुमारी, झुमरी तल्लियां

पीएम अंकल को ट्रेनों व स्टेशनों में बिकने वाले खाने की क्वालिटी की जांच करानी चाहिए।

दिव्या

भूख में कुछ भी मिले पेट भरने की मजबूरी रहती है।

ज्योति कुमारी

शताब्दी में मिलने वाले खाने की भी क्वालिटी पहले की अपेक्षा गिरी है।

सुनील कुमार, इंजीनियर

रेलवे विभाग का बेस किचन ही जब शौचालय के बगल में बना है तो इससे ज्यादा अंधेर क्या हो सकता है।

अशोक सिंह

रेल मंत्री जहां ट्वीटर में बच्चे के दूध उपलब्ध करा रहे है। उनको स्टेशनों में बिकने वाले खाने की क्वालिटी पर भी नजर मारनी चाहिए।

रश्मि मिश्रा

लंच पैकेट में मिलने वाली सब्जी व पूड़ी बासी होती है। जिसको खाने से स्वास्थ्य भी खराब हो जाता है।

हमारे फूड इंस्पेक्टर समय-समय वहां बनने वाले खाने की जांच करते रहते है। अगर वहां खाना खराब बन रहा है तो इसकी जांच कराई जाएगी।

विजय कुमार सीपीआरओ एनसीआर