फ्रांस में सड़कों पर अपना मुसल्ला बिछा कर नमाज़ अदा करने की पुरानी और प्रचलित परंपरा रही है लेकिन पिछले दिनों धुर दक्षिणपंथी प्रदर्शनों के बीच ये एक राजनैतिक मुद्दा बन गया। पश्चिमी यूरोप में सबसे ज़्यादा मुसलमान फ्रांस में ही रहते हैं।

अनुमान के अनुसार कम से साठ लाख फ्रांसिसी लोग या यूं कहें कि पूरी आबादी का लगभग दस प्रतिशत मुसलमान हैं। इन लोगों को मुख्य धारा में जोड़ने की मुहिम पिछले कुछ सालों में राजनैतिक विवाद का विषय रहा है। इस साल की शुरूआत में फ्रांस यूरोपीय संघ का पहला देश बना जिसने सार्वजनिक स्तर पर बुरक़ा पहनने पर रोक लगा दी थी।

पाबंदी

ये पाबंदी गुरूवार को मध्यरात्री को लागू किया गया यानि जुमे की नमाज़ से ठीक पहले। सरकार का कहना है कि इस पाबंदी को लागू करने के लिए किसी बल का प्रयोग करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि इस मुद्दे पर समुदाय और मस्जिदों से बात चीत की गई है। गृह मंत्री का कहना था कि पेरिस से पहले दो और शहरों में सड़को पर नमाज को लेकर समस्या थी।

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