सूफ़ी और हिंदी फ़िल्मों की गायिका रेखा भारद्वाज मानती हैं कि संगीत अनजान लोगों को भी जोड़ देता है जो कभी-कभी ख़ूबसूरत रिश्तों में तबदील हो जाते हैं। बीबीसी के साथ फ़्रेंडशिप बियॉन्ड बॉर्डर्स श्रृंखला के लिए एक ख़ास बातचीत में रेखा भारद्वाज ने अपने पाकिस्तानी फ़ैन्स के संदर्भ में ये बात कही।

नमक इश्क का, राँझा रांझा और गेंदा फूल जैसे लोकप्रिय गीत गाने वाली रेखा कहती हैं, “आज हम इंटरनेट के माध्यम से बहुत सारे लोगों से जुड़ जाते हैं। एक पाकिस्तानी लड़की कायनात मेरे गाने बहुत सुनती है। उससे फ़ोन पर बात होती है, वो मुझे आपा बुलाती है। वो कहती है कि मेरी एलबम ‘इश्का इश्का’ उसे बहुत पसंद है। ख़ुशी होती जब संगीत आपको अनजान लोगों से जोड़ देता है और वो ख़ूबसूरत रिश्तों में तबदील हो जाता है.”बचपन का रिश्ता

वैसे तो रेखा भारद्वाज अब तक एक ही बार पाकिस्तान गई हैं लेकिन उनका पाकिस्तान से रिश्ता बचपन में जुड़ गया था। रेखा ने बताया, “मेरे पिता संगीत में शौक रखते थे। उन्होंने दिल्ली में उर्दू माध्यम से पढ़ाई की थी। उनके सबसे अच्छे दोस्त एहसान साहब बंटवारे में पाकिस्तान चले गए थे। 1976 में जब मैं बहुत छोटी थी, तब एहसान साहब के बेटे और उनके दोस्त भारत आए और मैंने उनसे कुछ गाने सीखे। वो एक तरीका था उनसे जुड़ने का.”

ख़ुद रेखा 2006 में कराची गई थीं। मौका था कारा फ़िल्म फ़ेस्टीवल जहां उनके पति और निर्देशक विशाल भारद्वाज की फ़िल्म ओंकारा दिखाई गई। इस बारे में बात करते हुए रेखा ने कहा, “विशाल बहुत सोचते थे कि वहां के लोग कैसे होंगे। जो प्यार मिला वहां पर, उसे कैसे बयां करूं। उम्मीद करते हैं कि इस साल वहां कुछ शो ज़रूर करेंगे.”

रेखा भारद्वाज ने भले ही अभी तक पाकिस्तान में पर्फ़ोम नहीं किया हो लेकिन फिर भी वो पाकिस्तान के लोगों के लिए अनजान नहीं हैं। उन्होंने कहा, “मेरी एलबम, इश्का इश्का, का गाना ‘तेरे इश्क में’ है, वहां इसी नाम का एक सीरियल भी बनाया गया और ये नग़मा बतौर टाइटिल सॉन्ग इस्तेमाल किया। इसके अलावा गुलज़ार साहब के अफ़सानों पर पाकिस्तान में एक सीरियल बना, ‘कहानी सांस लेती है’, उसका टाइटिल सॉ़न्ग भी मैंने गाया। मेरे पास इस तरह के गाने बहुत आते हैं और मैं गाती हूं.”

मेहदी हसन, राशिद ख़ान, नूरजहां और फ़रीदा ख़ानुम रेखा भारद्वाज के पंसदीदा पाकिस्तानी गायक हैं। कॉलेज में तो उन्होंने नूरजहां के गाने गाकर कई पुरुस्कार भी जीते। संगीत को प्यार का पैग़ाम मानने वाली रेखा कहती हैं, “हिंदुस्तान और पाकिस्तान की बात करें, तो राजनीतिक स्तर पर जो भी मुश्किलें हैं, लेकिन आम लोग तो वहीं हैं, हमारे जैसे ही हैं वो भी। ये तो सीमाएं खिंच गईं, नहीं तो हम लोग तो सब साथ ही थे।

हम लोगों का ( भारत और पाकिस्तान ) ख़ासतौर पर संगीत की वजह से जो जुड़ाव है, प्यार है, वो बिल्कुल ही अलग है.” पाकिस्तानी गायकों से अपने रिश्तों के बारे में बात करते हुए रेखा ने बताया, “राहत फतेह अली ख़ां ने विशाल के लिए काफ़ी गाने गाए हैं, तो उनसे एक रिश्ता है। पाकिस्तानी बैंड मेकाल हसन के पूर्व गायक जावेद बशीर से मेरी दो-तीन मुलाक़ातें हुई हैं, फ़ोन से भी हमारी बातचीत होती रहती है। जैसे ही कुछ सिलसिला बने तो हम कुछ एक साथ करेंगे।

अमन की आशा कार्यक्रम में मैंने सनम मरवी के साथ हैदराबाद में पर्फ़ोम किया है.” रेखा पाकिस्तानी क़व्वाल, मेहर अली और शेर अली, के साथ गाना चाहती हूं। वो कहती हैं, “मैं उन्हें भारत भी बुलाना चाहती हूं और मैंने विशाल से कहा है कि उन्हें फ़िल्म में भी गाना गवाएं.”

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