दो लाख से ज्यादा श्रद्धालु

फ्राइडे को पूरे शहर में दो लाख से ज्यादा श्रद्धालु छठ पर्व पर सूर्य को अघ्र्य देने के लिए गंगा नदी के तट पर इकट्ठा होंगे। रानी घाट में छठ पर्व के इंतजाम करा रही मिथिला चेतना समिति के अध्यक्ष नित्यानंद झा ने बताया कि सिर्फ रानी घाट पर ही 8 हजार से ज्यादा लोग पर्व मनाने के लिए पहुंचेंगे। इसके लिए समिति के सदस्य अपने स्तर पर इंतजाम कराने में जुटे हुए हैं। घाट को सही कराकर बहुत हद तक पानी को साफ करने का प्रयास भी किया जा रहा है। इसके अलावा शहर भर के दो दर्जन से ज्यादा छोटे-बड़े घाटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के जुटने की उम्मीद है।

ये आपको बीमारबहुत बीमार कर सकते हैं

डॉक्टर्स का कहना है कि रिपोर्ट के मुताबिक गंगा नदी के पानी में सामान्य से 500 गुना ज्यादा बैक्टीरिया पाए जाने की रिपोर्ट के आकड़े बहुत ही गंभीर हैं। डॉ। जेएस कुशवाहा बताते हैं कि इतनी ज्यादा संख्या में बैक्टीरिया ह्यूमन बॉडी के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं। इस पानी में सिर्फ नहाने की वजह से ही डिसनिया, एलर्जिक ब्रोंकाइटिस, कार्डिएक एरिडिमा और एलर्जिक डर्मेटाइटिस जैसी बीमारियां अपनी चपेट में ले सकती हैं। डॉ। हेमंत मोहन के मुताबिक बैक्टीरिया का लेवल इतना बढ़ जाने की दशा में पानी के अंदर बायोलॉजिकल ऑक्सीजन का लेवल पूरी तरह से डिसबैलेंस हो जाता है। जिसकी वजह से कार्बन मोनो आक्साइड और कार्बन डाई आक्साइड जैसी विषैली गैसेज की अधिकता होने लगती है। ऐसे पानी में नहाने या डुबकी लगाने से सांस फूलना, सांस की नली में सूजन, हार्ट के साइज का बढऩा या सिकुडऩा जैसे घातक कॉम्पलीकेशन हो सकते हैं। इसके अलावा एलर्जिक डर्मेटाइटिस, एलर्जिक ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारी होना आम बात है। उन्होंने बताया कि इस पानी को पीने से टाइफाइड, कालरा, हैजा, गेस्ट्रोइट्राइटिस, ब्लडी स्टूल, डिसेंट्री और तमाम तरह के इ-कोली नाम के बैक्टीरिया का बॉडी में इनफेक्शन हो जाता है। जिसकी वजह से पेट संबंधी तमाम बीमारियां हो जाती हैं।

सहयोग के नाम पर शून्य

रानी घाट और शास्त्रीनगर में छठ पर्व की तैयारियां जोरों पर हैं। लेकिन दोनों ही जगहों पर स्थानीय जनता और समितियां अपने स्तर पर ही साफ-सफाई से लेकर पानी को साफ करने की कोशिशों में लगे हुए हैं। कहीं पर भी नगर निगम का सहयोग नहीं मिल रहा है। रानी घाट पर तैयारी करा रही मिथिला चेतना समिति के सदस्यों ने बताया कि घाट को बराबर कराने के लिए सभासद से मिन्नतें करके जेसीबी मंगाई थी, उसे चलाने के लिए डीजल अपने पास से दिया। इसके बावजूद जेसीबी चलाने वाले ने गाड़ी खराब होने की बात कहकर काम बीच में ही रोक दिया।

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गंगाजल में 500 गुना बैक्टीरिया

जलकल के बैक्ट्रोलॉजी टेस्ट में 100 एमएल गंगाजल में पाए गए 24 लाख बैक्टीरिया, मानक के मुताबिक100 एमएल रॉ वाटर में 5000 से अधिक नहीं होने चाहिए बैक्टीरिया

KANPUR: जिस गंगाजल में आप आस्था की डुबकी लगाने जा रहे है। जरा उसका हाल तो जान लीजिए। इस गंगाजल में मानक से 500 गुना तक बैक्टीरिया मौजूद है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि सिटी में वाटर सप्लाई का जिम्मा संभाले जलकल डिपार्टमेंट की रिपोर्ट है। यही वजह है कि इस रॉ वाटर को ट्रीट कर वाटर सप्लाई लायक बनाने में जलकल डिपार्टमेंट को हर साल करीब 3 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं।

अरबों रुपए गए पानी में

छठ पर्व शुरू हो चुका है। फ्राईडे को गंगाजल में खड़े होकर हजारों श्रद्धालू डूबते हुए और सेटरडे को उगते हुए सूर्य को अघ्र्य देंगें। लेकिन गवर्नमेंट डिपार्टमेंट्स के ऑफिसर्स की लापरवाही से गंगा जल पाल्यूटेड हो चुका है। गंगा को पाल्यूशन फ्री बनाने के लिए पहले इंडो डच और अब जेएनएनयूआरएम के अन्र्तगत करोड़ों रुपए खर्च किए। अरबों रुपए खर्च हो जाने के बाद भी गंगा पाल्यूशन फ्री नहीं हो सकी है। वेडनेसडे को ही इस गंगा के 100 एमएल रॉ वाटर में जलकल डिपार्टमेंट को 24 लाख बैक्टीरिया मिले। जबकि मानक के मुताबिक 100 एमएल पानी में मोस्ट प्रॉबेबल नम्बर ऑफ बैक्टीरिया 5 हजार से अधिक नहीं होनी चाहिए। यानि कि बैक्ट्रोलॉजी टेस्ट में जलकल को 100 एमएल गंगाजल में मोस्ट प्राबेबल नम्बर ऑफ बैक्टीरिया 500 गुना के करीब मिले। ये हाल तब है जब गंगा से ही रॉ वाटर लेकर सिटी के 2 लाख से अधिक घरों में वाटर सप्लाई हो रही है। पाल्यूटेड वाटर की वजह से पीने लायक पानी बनाने के लिए जलकल को क्लोरीन, एलम अधिक खर्च करना पड़ रहा है.   

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बैक्टीरिया- 2400000-5000