कानपुर(ब्यूरो)। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में बतौर परमानेंट फैकल्टी के रूप में तैनात डॉक्टर दंपत्ति को शासन ने सस्पेंड कर दिया है। उन पर प्राइवेट प्रैक्टिस कर हॉस्पिटल बनाने के आरोप थे। जिसके बाद अब मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने कॉलेज में काम करने वाले सभी परमानेंट व संविदा पर तैनात फैकल्टी मेंबर्स को शपथपत्र देने के लिए कहा है। जिसमें उन्हें इस बात की घोषणा करनी होगी कि वह प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करते। सभी विभागों के हेड को जारी पत्र के साथ दो प्रारूप भी दिए गए हैं। जिसे 10 रुपए के स्टाम्प पेपर पर भरकर साइन करके देना होगा।

पकड़े जाने पर सख्त कार्यवाई

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो.संजय काला ने बताया कि सभी एचओडी को पत्र जारी किया है। उसके मुताबिक सभी विभागों के मेडिकल डिग्री रखने वाले फैकल्टी मेंबर्स को दो दिन में 10 रुपए के स्टाम्प पेपर पर शपथ पत्र देना होगा। जिसमें उन्हें इस बात की घोषणा करनी होगी कि वह प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करते। कांट्रैक्ट पर तैनात फैकल्टी मेंबर्स को भी इस बात का शपथपत्र देना होगा कि मेडिकल कॉलेज में डयूटी के दौरान वह प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करेंगे। इसके बाद भी अगर वह प्राइवेट प्रैक्टिस करते पकड़े जाते हैं तो उनकी जिम्मेदारी होगी। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। कोई भी फैकल्टी मेंबर डयूटी की टाइमिंग के दौरान गैरहाजिर नहीं होगा।

प्रैक्टिस करते, भत्ता भी लेते

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल भले ही अपने यहां के फैकल्टी मेंबर्स पर प्राइवेट प्रैक्टिस को लेकर सख्त नजर आ रहे हों, लेकिन अस्पताल में ऐसे कई सीनियर डॉक्टर्स हैं जोकि अपना ज्यादातर वक्त कॉलेज की बजाय प्राइवेट प्रैक्टिस में देते हैं। पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट हो, सर्जरी, मेडिसिन या आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट, नेत्ररोग विभाग हो,स्किन, ऑब्स एंड गायनी या न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट। इन विभागों से कई ऐसे डॉक्टर्स हैं जोकि अपना ज्यादातर वक्त प्राइवेट प्रैक्टिस में देते हैं और सरकार से प्राइवेट प्रैक्टिस न करने का भत्ता भी लेते हैं।