-पुलिस को घटनास्थल की लोकेशन मिली, घाटमपुर के पास हाईवे पर किया था कत्ल

-कत्ल के बाद साथी के साथ मिलकर आगरा में दोस्त की पत्नी से किया था गैंगरेप

KANPUR : दरोगा ज्ञानेंद्र ने मनीष और कुछ साथियों की मदद से ईशा को चलती कार में बेरहमी से मौत के घाट उतारा था, यह तो आप जान चुके हैं, लेकिन आपको ये नहीं पता होगा कि जल्लाद ज्ञानेंद्र और मनीष ने हत्या के बाद एक गैंगरेप को अभी अंजाम दिया था। दोनों ने अपने दोस्त की पत्नी की आबरू लूट ली। इसके बाद दोनों शहर आए थे। जिसके बाद से वे फरार चल रहे हैं। पुलिस दोनों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही है, लेकिन कातिल दरोगा पुलिस की हर चाल से वाकिफ होने के कारण उनके जाल में नहीं फंस रहा है। आज आई नेक्स्ट आपको बताने जा रहा है कि कातिल दरोगा ने क्यों और कहां पर ईशा का कत्ल किया और किसके साथ गैंग रेप किया? वो कैसे पुलिस के हर जाल को काटकर निकल जाता है?

बस घड़ी उतारना भूल गया

दरोगा ज्ञानेंद्र कत्ल करने के लिए ईशा को स्विफ्ट कार से नेशनल हाईवे-6 (नौबस्ता से सागर मध्यप्रदेश) पर ले गया था। मनीष कार चला रहा था। उसने घाटमपुर से पहले सुनसान जगह पर कार को रोक दिया। जहां पर ज्ञानेंद्र ने ईशा की हत्या कर दी। उसने ईशा का कत्ल करने के बाद उसके सिर को धड़ से अलग करने का प्लान बना लिया था। इसलिए वो धारदार हथियार साथ में ले गया था। उसने कत्ल के बाद लाश डिक्की में डाल दी। ईशा की लाश की शिनाख्त न हो, इसके लिए दरोगा ने उसके शरीर से जेवर तो उतार लिए, लेकिन वो जल्दबाजी में कलाई से घड़ी उतारना भूल गया। वो करीब 20 मिनट तक घटना स्थल पर रुका था। पुलिस को मोबाइल टॉवर लोकेशन से घटना स्थल का पता भी चल गया है।

ईशा मांग रही थी मोटी रकम

जल्लाद दरोगा ज्ञानेंद्र की पहली पत्नी का पता चलने पर ईशा उससे नाराज चल रही थी। ज्ञानेंद्र उससे छुटकारा पाना चाहता था। इसलिए उसने ईशा से तलाक लेने की बात की थी। सोर्सेज के मुताबिक, ईशा तलाक के लिए राजी तो हो गई थी, लेकिन बेटी की अच्छी परवरिश और खुद के भरण-पोषण का इंतजाम करने की मांग की थी। जिससे वो परेशान हो गया था। जब काफी समझाने के बाद भी ईशा अपनी मांग से पीछे नहीं हटी तो ज्ञानेंद्र ने उसकी हत्या का प्लान बना लिया।

एक और शख्स मौजूद था वहां

ज्ञानेंद्र ने जिस जगह पर ईशा का कत्ल किया वहां पर ज्ञानेंद्र, मनीष, अंकुर, ईशा और अवंतिका के अलावा एक और मोबाइल की लोकेशन मिली है। माना जा रहा है कि यह मोबाइल कातिल दरोगा के एक और साथी का है। वो घटनास्थल पर मौजूद तो था, लेकिन ज्ञानेंद्र और बाकी साथियों के साथ गया नहीं था। दरोगा ज्ञानेंद्र और मनीष घाटमपुर की ओर गए थे, जबकि तीसरा शख्स दूसरे रास्ते चला गया था। माना जा रहा है कि दरोगा ने अपने इसी साथी को ईशा का सिर ठिकाने लगाने के लिए भेजा था, लेकिन पुलिस को इसका कोई सबूत नहीं मिला है। पुलिस को शक है कि ये शख्स घटना में शामिल कथित पत्रकार भी हो सकता है। पुलिस इसकी पड़ताल कर रही है।

चालाकी में कर बैठा कई गलतियां

कातिल दरोगा ज्ञानेंद्र बेहद क्रूर होने के साथ ही शातिर भी है। वह क्राइम ब्रांच प्रभारी रह चुका है, इसलिए पुलिस के हर दांवपेंच से वाकिफ है। वो पुलिस को गुमराह करने के लिए आगरा गया था। वो मनीष, अंकुर और उसकी पत्नी अवंतिका को भी अपने साथ ले गया था, ताकि तीनों उसकी आगरा में मौजूदगी के गवाह बन सकें। उसने वहां जानबूझकर ईशा का मोबाइल छोड़ दिया था, ताकि पुलिस आगरा में ईशा की लोकेशन मिलने पर उसे वहीं पर ही ढूंढती रहे। हालांकि चालाकी करने में वह कई गलतियां भी करता रहा। उसने आगरा में एक वेटर को ईशा का मोबाइल दे दिया था। जिसे पुलिस ने वेटर से बरामद कर हकीकत जान ली है। पुलिस ने अंकुर और उसकी पत्नी अवंतिका को भी उठा लिया है। जिनसे पूछताछ में पुलिस को कई अहम सुराग मिले हैं।

सुसाइड नोट या कहानी?

ज्ञानेंद्र को अपनी पत्नी ईशा को मारने का बिल्कुल भी अफसोस नहीं है। बल्कि उसको तो अपने प्लान के कामयाब होने का यकीन था। उसने आगरा में अंकुर को इतनी शराब पिला दी कि वो बेहोश हो गया। जिसके बाद उसने और मनीष ने अंकुर की पत्नी अवंतिका का गैंगरेप किया। दोनों ने अवंतिका को मुंह खोलने पर पति समेत जान से मारने की धमकी दी। जिससे वो सहम गई और उसमें अंकुर को कुछ नहीं बताया। पुलिस के हत्थे चढ़ने पर अवंतिका ने इसका खुलासा किया है। उसके पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। माना जा रहा है कि उसने गैंग रेप की घटना के बाद सुसाइड नोट लिखा था। जिसे अंकुर के परिजनों ने आईजी को देकर न्याय की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि अंकुर को हत्या के बारे में कुछ नहीं मालूम है। उसका तो मनीष से विवाद चलता है। उसे दरोगा ज्ञानेंद्र ने पत्नी समेत बुलाया था। वो उनको प्लान के तहत आगरा ले गया। उनका कहना है कि अगर अंकुर कत्ल में शामिल होता तो वो भी ज्ञानेंद्र और मनीष की तरह फरार हो सकता था। पुलिस के कॉल करने पर परिजनों ने खुद ही उसको पुलिस के सुपुर्द कर दिया था। हालांकि आईजी का कहना है कि आरोपी खुद को बचाने के लिए कहानियां गढ़ रहे हैं। पुलिस बेहद बारीकी से मामले की छानबीन कर रही है।

व्हाइट स्विफ्ट से घूम रहे हैं दोनों

ज्ञानेंद्र और उसके साथी मनीष अभी शहर में ही फरारी काट रहे हैं, लेकिन पुलिस उनको पकड़ नहीं पा रही है। वे व्हाइट कलर की स्विफ्ट वीडीआई कार (यूपी 78 0025) से चल रहे हैं। दोनों संडे को किदवईनगर में देखे गए थे। मनीष तो अपने घर के पास ये पता करने गया था कि पुलिस ने उसकी मां को छोड़ दिया है कि नहीं। मनीष ने पुलिस से बचने के लिए मूंछ हटा ली है। दोनों एफआईआर की कॉपी हासिल करने की कोशिश कर रहे है ताकि वे गिरफ्तारी के अगेंस्ट स्टे के लिए हाईकोर्ट में अपील कर सके।

कॉल फारवर्डिग से दे रहे चकमा

दरोगा ज्ञानेंद्र पुलिस के हर दांवपेंच से वाकिफ है, उसी तरह मनीष मोबाइल फोन का मास्टर है। पुलिस ने उनको पकड़ने के लिए सर्विलांस का जाल बिछाया है। इसलिए मनीष ज्ञानेंद्र के जरिए अपने मददगारों से कॉल फारवर्डिग से बात कर रहा है। मनीष के कॉल फारवर्डिग यूज करने पर उनकी लोकेशन दो प्रदेश झारखण्ड और मध्यप्रदेश में मिल रही है, लेकिन वो यहीं पर हैं। मनीष के इस खेल से पुलिस को उन्हें ढूढ़ने में दिक्कत हो रही है।

दोस्त नहीं, पार्टनर है मनीष

ज्ञानेंद्र और मनीष दोस्त नहीं बल्कि पार्टनर हैं। मनीष ज्ञानेंद्र की वर्दी का रौब गांठकर लोगों की बीसी का रुपया हड़प लेता है। जब पीडि़त उससे तगादा करने आता है तो ज्ञानेंद्र वर्दी का रौब दिखाकर उसको शान्त करा देता है। इसके अलावा दरोगा ज्ञानेंद्र ने सास की स्विफ्ट कार को मनीष की ट्रेवल एजेंसी में लगाया था। मनीष ने ही ज्ञानेंद्र को साकेत नगर में रूम दिलाया था। जिसमें उसकी पहली पत्नी नीलम बच्चों समेत रहती थी। ज्ञानेंद्र ने वारदात के बाद नीलम को बच्चों समेत मायके भेज दिया है।