-पत्नी ईशा का हत्यारोपी दरोगा ज्ञानेंद्र ने पुलिस को चकमा देकर कोर्ट में किया सरेंडर

-पुलिस की भूमिका पर फिर उठे सवाल, गिरफ्तारी के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करती रही

-सोर्सेज का कहना, हर मूवमेंट की जानकारी होने के बाद पुलिस ने नहीं की गिरफ्तारी की कोशिश

KANPUR : पत्नी की ईशा हत्याकांड में फरार चल रहे जल्लाद दरोगा ज्ञानेंद्र सिंह ने सोमवार को पुलिस को गच्चा देकर कोर्ट में सरेंडर कर दिया। हत्या में सह आरोपी और ज्ञानेंद्र का दोस्त मनीष पहले ही कोर्ट में सरेंडर कर चुका है। यानि एक बार फिर साबित हो गया कि शहर की पुलिस सिर्फ अपराधियों को सरेंडर कराने के लिए है। क्रिमिनल्स पुलिस से ज्यादा स्मार्ट हैं। सभी हाइटेक संसाधन और नेटवर्क होने के बावजूद उसके हाथ आरोपियों तक नहीं पहुंच पाते हैं। इन हालात में सिटी पुलिस के स्लोगन मित्र पुलिसपर भी सवाल उठने लगे हैं कि पुलिस मित्र किसकी है? जनता की या फिर क्रिमिनल्स की।

भाईचारा निभाती रही पुलिस

यह पहली बार नहीं हुआ जब हत्या जैसे जघन्य अपराध में आरोपी पुलिस को इस तरह धता बताकर कोर्ट पहुंच गया। इससे पहले भी कई चर्चित मामलों में आरोपी पूरी पुलिस फोर्स को मुंह चिढ़ाते हुए कोर्ट पहुंच गए। ईशा मामले में तो पूरे शहर को मालूम था कि ज्ञानेंद्र सरेंडर करने की फिराक में घूम रहा है। उसने कोर्ट में सरेंडर की अर्जी भी डाल रखी थी। इसके बाद भी पुलिस उसे दबोच नहीं सकी। सूत्र तो यहां तक बता रहे हैं कि पुलिसकर्मियों को ज्ञानेंद्र के हर मूवमेंट की खबर थी लेकिन वो उसे पकड़ने के बजाय भाईचारा निभाते रहे और कोर्ट में सरेंडर करवा दिया।

खुल गई दावाें की पोल

चार दिन पहले दरोगा ज्ञानेंद्र की सरेंडर अर्जी कोर्ट में दाखिल हुई थी। जिससे पुलिस को पता चल गया था कि वो सरेंडर करने की फिराक में है। पुलिस भी उसको पकड़ने के लिए दबिश देने का दावा कर रही थी, लेकिन सोमवार को ज्ञानेंद्र के कोर्ट में सरेंडर करने से पुलिस के खोखले दावों की पोल खुल गई। साफ हो गया कि पुलिस दबिश के नाम पर सिर्फ खानापूरी कर रही थी।

आई नेक्स्ट ने भी चेताया था

ईशा हत्याकांड में सच्चाई पता लगाने के लिए आई नेक्स्ट भी तफ्तीश कर रहा है। आई नेक्स्ट ने पहले ही खबर छापकर पुलिस को चेताया था कि हत्यारोपी मनीष और दरोगा ज्ञानेंद्र सिंह सरेंडर करने की फिराक में हैं। जिसे संज्ञान में लेते हुए एसएसपी ने सीओ, एसओ समेत क्राइम ब्रांच को अलर्ट किया था, लेकिन इसके बाद भी पुलिस न तो मनीष कठेरिया को पकड़ पाई और न ज्ञानेंद्र को। एक हफ्ते पहले मनीष ने आराम से कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया फिर सोमवार को ज्ञानेंद्र ने।

एसएसपी ऑफिस में खड़ी की कार

इतना वीभत्स कत्ल करने के बाद भी दरोगा ज्ञानेंद्र पूरी तरह से निश्चिंत नजर आया। वो पुलिस की तैयारी को लेकर इतना बेफिक्र था कि वो कोर्ट में सरेंडर करने लिए व्हाइट कलर की डस्टर कार से पहुंचा। उसने कचहरी के सामने एसएसपी ऑफिस में गुमशुदा सेल के बाहर कार को पार्क किया। इसके बाद पैदल टहलते हुए कचहरी चला गया। उसके साथ एक दोस्त भी था। वो ज्ञानेंद्र के साथ कोर्ट तक गया। वहां पर ज्ञानेंद्र के सरेंडर करते ही वो वापस एसएसपी ऑफिस पहुंचा और वहां से कार को ले गया। कुछ पुलिसकर्मियों को एसएसपी ऑफिस में दरोगा ज्ञानेंद्र के कार को खड़ी करने के बारे में पता चल गया, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया।

वकीलों ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा

पुलिस के भाईचारे से जल्लाद दरोगा आसानी से कोर्ट तो पहुंच गया लेकिन वकीलों और अन्य आरोपियों के परिजनों के गुस्से से नहीं बच पाया। दरोगा ज्ञानेंद्र के कोर्ट में सरेंडर करते ही कुछ ही देर में ये खबर जंगल में आग की तरह कचहरी में फैल गई। कोर्ट के बाहर वकीलों और हत्याकांड के अन्य आरोपियों के परिजनों का जमावड़ा लग गया। अन्य आरोपियों के परिजन दरोगा ज्ञानेंद्र को देखते ही भड़क गए। वे दरोगा ज्ञानेंद्र पर अपने बच्चों को फर्जी फंसाने का आरोप लगाने लगे। इस बीच कुछ वकील ज्ञानेंद्र से गाली-गलौज करने लगे। दरोगा ज्ञानेंद्र के जवाब देने पर वकील का पारा चढ़ गया। गुस्से में वकीलों ने दरोगा ज्ञानेंद्र को पीटना शुरू कर दिया। वकीलों ने उसके कपड़े फाड़ दिए। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंच गई, लेकिन पुलिस वकीलों की भीड़ को देख मूक दर्शक बनी रही। वकीलों ने उसको इतना पीटा कि वो बेहोश हो गया। पुलिस सीनियर वकीलों की मदद से दरोगा ज्ञानेंद्र को अर्धनग्न हालत में छुड़ाकर हवालात ले गई। जहां से उसको कड़ी सुरक्षा में जेल भेजा गया।

फिर भी पुलिस नहीं सुधरी

ईशा हत्याकांड के पहले भी पुलिस कई बार मुंह की खा चुकी है। इसके बाद भी पुलिस नहीं सुधरी। इससे पहले चर्चित शानू बादशाह हत्याकांड में एक शातिर ने पुलिस को चकमा देकर कोर्ट में सरेंडर किया था। इसी तरह गंगा बैराज पर हुए ट्रिपल मर्डर केस, चमनगंज में कटिया को लेकर हुई युवक की हत्या में भी पुलिस को मुंह की खानी पड़ी थी।