- पनकी गैस प्लांट अंडरपास के टूटे थे आधा दर्जन गर्डर

- मेंटिनेंस कंपनी के साथ आईआईटी ने भी की थी जांच

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KANPUR : कानपुर-झांसी फ्लाईओवर में पनकी गैस प्लांट अंडरपास के बेय¨रग फेल होने से गार्डर टूट गये थे। इसकी जांच मेंटीनेंस कंपनी के बाद आईआईटी के प्रोफेसर्स ने भी की, लेकिन गर्डर टूटने की वजह स्पष्ट नहीं बता पाए।

पांच अप्रैल को टूटने लगे थे गर्डर

पांच अप्रैल की दोपहर को पनकी गैस प्लांट अंडरपास की बेय¨रग के बाद गर्डर टूटना शुरू हो गये। धीरे-धीरे आधा दर्जन गार्डर टूट जाने पर एनएचएआई ने फ्लाईओवर में तात्याटोपेनगर से ट्रैफिक को रोक कर सर्विस रोड से होकर वाहन निकालने की व्यवस्था की है। इससे जाम की भी समस्या बनी हुई है।

बेयरिंग में चोट आनी बताई वजह

अंडरपास की सभी बेय¨रग में चोट आई है। कुछ हिस्से में ज्यादा चोट आने की वजह से गर्डर टूट गए हैं। आईआईटी के प्रोफेसरों ने सुझाव दिया है कि रेट्रोफि¨टग तकनीक से गर्डरों को ठीक किया जा सकता है। इसके साथ ही आईआईटी ने ये भी एनएचएआई को सुझाव दिया है कि अब बेय¨रग भूकंपरोधी होनी चाहिए। जिससे ज्यादा भार पड़ने पर भी बेय¨रग में कोई दिक्कत ना आए। हालांकि रिपोर्ट में ये नहीं साफ हो पाया है कि बेय¨रग किस वजह से फेल हुई है, लेकिन मेंटिनेंस एजेंसी के अधिकारियों का मानना है कि ओवरलोड वाहन ने फ्लाईओवर में अचानक ब्रेक लगा दी होगी, इस वजह से पुल अपनी जगह से खिसक गया है।

अंडरपास की 18 बेय¨रग नई बनेगी

पनकी गैस प्लांट अंडरपास की 18 बेय¨रग बनाने के लिए सेन फील्ड कंपनी को ऑर्डर दिया गया है। एनएचएआई के परियोजना निदेशक पंकज मिश्रा ने बताया कि सेन फील्ड को बेय¨रग बनाने के ऑर्डर दे दिये गये हैं। दो माह के अंदर ये बेय¨रग बनेंगी। इसके बाद ही आगे काम होगा।

क्या है रेट्रोफि¨टग तकनीक

गर्डर कमजोर होने व या ज्यादा गैप होने पर रेत, सीमेंट को भरकर उसके ऊपर से स्टील का जाल लगाकर जाम कर दिया जाता है। इससे कोई दिक्कत भी नहीं होती है। पुन: गर्डर पुरानी स्थिति में आ जाता है। इसके साथ ही नए मकानों में दरारें पड़ने पर इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इसके एक्सपर्ट ही यह काम कर सकते हैं।