-बड़ी मुश्किल से जान बचाकर बाहर निकले मरीज और तीमारदार

>KANPUR: एक महीने की गौरी का डॉ। एसके गौतम की यूनिट में कई दिनों से एसएनसीयू में भर्ती कर इलाज चल रहा है। उसकी दादी सुनीता के मुताबिक वह और परिवार के अन्य सदस्य मंगलवार रात एनआईसीयू के बाहर ही गलियारे में बैठे थे कि अचानक फर्श पर एक के बाद एक कई धमाके हुए उसके बाद इतने धमाके हुए कि जैसे किसी ने गलियारे में लंबी चटाई छुड़ा दी हो। पूरे गलियारे और वार्डो की लाइट गुल हो गई और चीख पुकार मचने लगी। वह किसी तरह भाग कर बाहर निकली।

बालरोग से लिए अग्निरोधी यंत्र

मंगलवार रात को शॉर्ट सर्किट के बाद आग लगने पर भगदड़ मची तब पूरे अस्पताल में किसी कर्मचारी को कोई अग्निरोधी यंत्र ही नहीं मिला। वहीं जब बगल में एनआईसीयू में धुआं आने लगा तब वहां के जेआर और कर्मचारी फायरइंस्टीग्विशर निकाल कर लाए और आग बुझाई। इस दौरान दमकल की गाडि़यां भी पहुंच गई थीं। वहीं जच्चा बच्चा अस्पताल की किसी अधिकारी ने मौके पर आना जरूरी नहीं समझा। वहीं बालरोग अस्पताल के एचओडी और सीएमएस ही एनआईसीयू में बिजली शुरू कराने व परिजनों को समझाने के लिए जूझते रहे।

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भगवान भरोसे हैं सरकारी अस्पताल

मंगलवार रात को अपर इंडिया अस्पताल में लगी आग से सरकारी अस्पतालों में आग से बचाव के इंतजामों की पोल खुल गई। अपर इंडिया तो क्या अन्य सरकारी अस्पतालों उर्सला, केपीएम, बालरोग, हैलट, मुरारीलाल चेस्ट अस्पताल को देखें तो वहां भी आग लगने पर बचना भगवान और किस्मत के भरोसे ही है। हैलट इमरजेंसी, उर्सला इमरजेंसी, कार्डियोलॉजी में कुछ इंतजाम भले ही दिखते हैं, लेकिन उनके मेंटीनेंस को लेकर भी लापरवाही दिखाई पड़ती है।